मुंबई: महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल के बीच लगता है एनसीपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। क्या अजित पवार बीजेपी के नजदीक जाने की राह पर काफी आगे निकल चुके हैं, क्योंकि मुंबई में जब एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार केंद्र सरकार पर हमला कर रहे थे उसी समय पुणे के एक कार्यक्रम में अजित पवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शान में कसीदे पढ़ रहे थे। इतना ही नहीं पवार ने खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी बता डाला और उनके समर्थकों ने पुणे में भावी मुख्यमंत्री का पोस्टर भी लगा दिया।
लिस्ट में पवार का नाम गायब
दूसरी तरफ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए अपने 15 स्टार प्रचारकों की जो लिस्ट जारी की है उस लिस्ट में पवार का नाम गायब है। इसके पहले एनसीपी के मुंबई विभागीय सम्मेलन की पत्रिका से भी उनका नाम गायब था, हालांकि तब पवार ने सफाई भी दी थी, लेकिन जिस तरह से एनसीपी ने सार्वजनिक कार्यक्रमों से अजीत पवार दूर हो रहे हैं ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं एनसीपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
अजित पवार और सुप्रिया सुले में कई मुद्दों पर मतभेद
इस बीच पुणे में अजित पवार के समर्थकों ने उनको जनता के मन का मुख्यमंत्री बताते हुए पोस्टर भी लगा दिए, लेकिन सवाल यही है कि आखिर अजित पवार अपने चाचा शरद पवार की लाइन क्यों क्रॉस कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक अजित पवार और सुप्रिया सुले में कई मुद्दों पर मतभेद हैं और दोनों में वर्चस्व को लेकर खींचतान चलती रहती है।
कई घोटालों में हाथ फंसा
इसके अलावा पवार का कई घोटालों में हाथ फंसा हुआ है। ताजा मामले में महाराष्ट्र स्टेट को ऑपरेटिव बैंक घोटाले में ईडी ने जो चार्जशीट फाइल की है उसमें अजित पवार से जुड़ी कंपनी का तो नाम है, लेकिन पवार और उनकी पत्नी का आरोपी के रूप में नाम नहीं है, अजीत पवार के मन परिवर्तन का यह भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है।
जुबानी जंग भी हुई
गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही उद्धव ठाकरे और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की मुलाकात हुई थी, इसके बाद संजय राऊत ने शरद पवार के हवाले से बयान दिया था कि एनसीपी के कई नेताओं पर जांच एजेंसियों का दबाव है और वो बीजेपी ज्वाइन करने के लिए कह रही हैं, संजय राऊत ने आगे कहा कि शरद पवार साहब ने कह दिया है कि जिसको भी जहां जाना है मेरी तरफ से स्वतंत्र है इसके बाद अजित पवार और संजय राऊत की जुबानी जंग भी हुई।










