Maratha Reservation Protest Manoj Jarange Profile: 12वीं पास, दुबला-पतला इंसान, पढ़ाई छोड़कर होटल में नौकरी करनी पड़ी। मां-बाप, 3 भाई, पत्नी और 4 बच्चे, परिवार की आर्थिक स्थिति भी कुछ खास नहीं, लेकिन अचानक होटल की नौकरी छोड़ आंदोलन शुरू कर दिया। आंदोलन करने के लिए 2 एकड़ जमीन भी बेच दी।
पिछले करीब 10 सालों से हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। न सर्दी-गर्मी देखी, न सेहत का ख्याल, भूख हड़ताल तक की। आंदोलन के कारण परिवार को काफी दिक्कतें उठानी पड़ीं, लेकिन साफ दिल से की गई मेहनत का फल तो मिलता ही है। यही हुआ, आंदोलन के आगे महाराष्ट्र सरकार को झुकना पड़ा और मनोज जरांगे की मांगें CM एकनाथ शिंदे ने मान लीं।
STORY | Maratha quota activist Manoj Jarange calls off his protest over reservation issue
---विज्ञापन---READ: https://t.co/MDPLb8bp4D
(PTI File Photo) pic.twitter.com/WVIUjEJmYE
— Press Trust of India (@PTI_News) January 27, 2024
आखिर कौन हैं मनोज जरांगे पाटिल?
मनोज जरांगे पाटिल महाराष्ट्र के बीड जिले के गांव मोतारी में जन्मे थे। 2010 में 12वीं की, लेकिन पढ़ाई छोड़ कर होटल में नौकरी करनी पड़ी। अचानक नौकरी छोड़ मराठा आंदोलन से जुड़ गए। 2014 से मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े हैं। आंदालन में सहयोग करने के लिए, मराठा समुदाय के सशक्तिकरण के लिए शिवबा संगठन बनाया।
कांग्रेस जॉइन की थी, लेकिन मांगें पूरी होती नहीं दिखी तो पार्टी छोड़ दी। मराठा आंदोलन इतना महत्वपूर्ण है कि मनोज जरांगे ने अपने परिवार को भी मुश्किलें सहते हुए आंदोलन में सहयोग करने को कहा। मनोज मराठाओं के हक के लिए जान तक दे सकता है, लेकिन मराठा आरक्षण लेकर रहेगा।
Breaking News 🗞️
मनोज जरांगे-पाटलांच्या मागणीनुसार अधिसूचना काढल्याचे राज्य सरकारचे म्हणणे… #सगेसोयरे #मराठाआरक्षण #मनोजजरांगेपाटील pic.twitter.com/hs9GtklZFe— Ashish Jadhao 🇮🇳 (@ashish_jadhao) January 27, 2024
बैकफुट पर आई शिंदे सरकार पहुंची हाईकोर्ट
अपनी राह पर आगे बढ़ते हुए मनोज ने 26 जनवरी को सड़कों पर उतरने का ऐलान किया तो महाराष्ट्र सरकार हिल गई और ढाई लाख मराठाओं के आजाद मैदान पहुंचने से पहले ही मनोज जरांगे की मांगें मान लीं।
मनोज जरांगे ने आरक्षण के लिए आंदोलन की ऐसी अलख जगाई कि सड़कों पर मराठाओं की आंधी देख मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जरांगे से आंदोलन खत्म करने की अपील की। आंदोलन खत्म कराने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका तक दायर की, लेकिन कोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी।
उल्टा हाईकोर्ट ने शिंदे सरकार को ट्रैफिक बाधित नहीं होने के आदेश दे दिए। मजबूरन सरकार को मांगें माननी पड़ीं।