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मुंबई

महाराष्ट्र में सत्ता के नशे में लोकतंत्र का चीरहरण, राजनीतिक हिंसा में विपक्ष के नेता भी नहीं अछूते

महाराष्ट्र में शिवसेना शिंदे गुट से लेकर एनसीपी अजित पवार गुट तक के नेताओं के व्यवहार से साफ झलक रहा है कि सत्ता में होने का अहंकार किस तरह लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तार-तार कर रहा है। ताजा घटनाक्रमों ने राज्य की राजनीति में अराजकता का माहौल बना दिया है। पढ़ें इंद्रजीत सिंह की रिपोर्ट।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Md Junaid Akhtar Updated: Jul 21, 2025 18:48
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महाराष्ट्र में सत्ता के नशे में लोकतंत्र का चीरहरण

महाराष्ट्र में हाल के दिनों में सत्ता पक्ष से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा हिंसा की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। शिवसेना शिंदे गुट से लेकर एनसीपी अजित पवार गुट तक के नेताओं के व्यवहार से साफ झलक रहा है कि सत्ता में होने का अहंकार किस तरह लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तार-तार कर रहा है। ताजा घटनाक्रमों ने राज्य की राजनीति में अराजकता का माहौल बना दिया है, अराजकता सिर्फ सत्ता पक्ष से ही नहीं है विपक्ष के नेता भी इसमें शामिल हैं, जिसको लेकर सियासत गरमा गई है।

कैंटीन कर्मचारी पर हमला

महाराष्ट्र में मारपीट की घटना का आरंभ एक बेहद ही मामूली सी बात से हुआ। महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड़ ने विधायक कैंटीन की दाल को “खराब” बताकर बवाल शुरू किया और बात इतनी बढ़ गई कि विधायक ने कैंटीन कर्मचारी की पिटाई कर दी। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद आम लोगों के बीच नाराजगी फैल गई। सवाल उठने लगे, क्या जनप्रतिनिधि अब जनता के सेवक नहीं बल्कि सत्ता के मद में चूर शासक बन चुके हैं? इसके बाद विधायक पर केस दर्ज हुआ ,लेकिन कोई कड़ी कारवाई नहीं हुई।

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लोकतंत्र का मंदिर अखाड़ा बना

पहली घटना के कुछ ही दिनों बाद विधानसभा की लॉबी में दो विधायको के समर्थकों के बीच झगड़ा हाथापाई तक पहुँच गया। इसमें एनसीपी शरद चंद्र पवार पार्टी के विधायक जितेंद्र अहवाड और सत्ता पक्ष बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर के समर्थक विधानसभा की लॉबी में जमकर मारपीट किए। यह वही स्थान है जिसे लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है। विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह महाराष्ट्र के राजनीतिक चरित्र को गिराने वाला कृत्य है। स्पीकर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं लेकिन विपक्ष को विश्वास नहीं कि कोई ठोस कार्रवाई होगी।

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लातूर में छावा संगठन के कार्यकर्ताओं की पिटाई

सबसे नई घटना लातूर जिले की है जहां एनसीपी अजित पवार गुट के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने छावा संगठन के सदस्यों और संगठन के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष विजय घाडगे पर हमला कर दिया। जानकारी के अनुसार, एनसीपी अजित गुट के महाराष्ट्र अध्यक्ष सुनील तटकरे की प्रेस कॉन्फ्रेंस में छावा संगठन के कार्यकर्ता घुस गए और ताश के पत्ते फेंकते हुए कृषि मंत्री माणिक राव कोकाटे के इस्तीफे मांग करने लगे। दरअसल माणिकराव कोकाटे का विधानसभा में रम्मी खेलते वीडियो वॉयरल हुआ था। इसी बात से नाराज होकर एनसीपी के नेताओं ने संगठन के कार्यकर्ताओं को घेर लिया और खुलेआम पिटाई की। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हुई और सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद राज्य भर में छावा संगठन के कार्यकर्ताओं में रोष व्याप्त हो गया।

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सियासत हुई तेज

बताया जा रहा है कि शिवसेना उद्धव गुट और कांग्रेस ने इन घटनाओं की तीखी निंदा की है। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार गुट ने कहा कि “सत्ता ने नेताओं को बेलगाम बना दिया है और अब लोकतंत्र खतरे में है। सरकार की ओर से हालांकि सिर्फ जांच के आदेश दिए गए हैं, लेकिन कार्रवाई न होने की स्थिति में जनाक्रोश और भड़क गया है। मराठा युवकों के हक के लिए लड़ने वाले छावा संगठन ने महाराष्ट्र के तीन जिलों में प्रोटेस्ट किया है। मामले को बढ़ता देख अजित पवार ने अपनी पार्टी के महाराष्ट्र के यूथ अध्यक्ष सूरज चव्हाण का इस्तीफा ले लिया है इससे पहले सूरज चव्हाण ने पूरे मामले पर खेद व्यक्त किया।

यूथ प्रेसिडेंट ने लगाया आरोप

एनसीपी अजित पवार गुट के यूथ प्रेसिडेंट सूरज चव्हाण ने कहा है कि छावा संगठन के पदाधिकारी और एनसीपी के पदाधिकारियों के बीच मारपीट हुई थी। इस बीच उन पर विजय घाडगे के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया गया है। जो सरासर गलत है। वो किसानों की आवाज उठा रहे थे इसलिए मारामारी हुई थी। अगर कोई इसके लिए आवाज उठाता है तो वह खुद उसके साथ खड़े होंगे। हमारे नेतृत्व को लेकर आपत्तिजनक शब्द कहे जिससे हमारे सहित कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूटा। इसके बाद जो कुछ हुआ उसके लिए मैं खेद व्यक्त करता हूं।

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विपक्षी आवाज को कुचलने की कोशिश

विपक्ष का आरोप है कि सत्ता पक्ष का व्यवहार अब विपक्षी आवाज को कुचलने की दिशा में बढ़ता दिख रहा है। हिंसा और दमन की राजनीति न सिर्फ लोकतंत्र की आत्मा को घायल करती है बल्कि आम जनता के भरोसे को भी तोड़ती है। महाराष्ट्र, जो कभी प्रगतिशील राजनीति का उदाहरण माना जाता था, अब ऐसे व्यवहार के कारण आलोचनाओं के घेरे में आ गया है।

First published on: Jul 21, 2025 06:46 PM

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