Maharashtra Nanded Hospital Death Constroversy: महाराष्ट्र के ठाणे, नांदेड़, छत्रपति संभाजी नगर और पुणे के सरकारी और महागरपालिका के अस्पतालों में मौत का तांडव दिखाई दे रहा है। कोविड जैसी महामारी में जहां देश में हाहाकार मचा हुआ था, तब महाराष्ट्र में भले ही मौत का आंकड़ा ज़्यादा था, लेकिन ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी। स्वास्थ सेवाए नहीं चरमराईं, लेकिन 2 साल में ऐसा क्या हुआ कि महाराष्ट्र की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवालिया निशान लग गया, इसकी कुछ वजह सामने आई हैं। आप भी जानिए…
हेल्थ वर्कर्स की कमी
महाराष्ट्र के सरकारी अस्पताल कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं। महाराष्ट्र के पब्लिक हेल्थ विभाग की तरफ़ से क्लास 3 और क्लास 4 की 10 हज़ार 949 पदों के लिए विज्ञापन जारी हुआ। 2 लाख 13 हजार हज़ार आवेदन आए। सरकार को इससे 22 करोड़ का राजस्व मिला, लेकिन अब तक इम्तिहान की तारीख़ जारी नहीं हुई। महाविकास अघाड़ी की सरकार के वक़्त साल 2019 और 2021 में पेपर लीक के कारण भर्ती रद्द करनी पड़ी थी
दवाई ख़रीद के हज़ार करोड़ पड़े हुए
महाराष्ट्र के पब्लिक हेल्थ विभाग को हाफ़किन महामंडल की तरफ़ से दवाइयों की सप्लाई इससे पहले होती थी, लेकिन महायुति की सरकार ने दवाई में देरी की वजह बताकर पांच महीने पहले दवाई और अन्य मेडिकल उपकरण ख़रीदने के लिए नया प्राधिकरण बनाया, लेकिन इस प्राधिकरण का काम काफ़ी धीमी गति से जारी है, जिस कारण पैसे होकर भी राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में दवाई की कमी देखने मिल रही है
मेडिकल उपकरण के रखरखाव राम भरोसे
महाराष्ट्र के अधिकतर सरकारी अस्पतालों में एक्सरे मशीन हो, MRI, सिटी स्कैन मशीन या अन्य दूसरे मेडिकल उपकरण हों, इनका मेंटेनेंस सही समय पर नहीं हो रहा। इनका सर्विस कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म होने के बाद मशीन बंद हो जाती है, लेकिन कोई इस पर ध्यान नहीं दे रहा। नांदेड़ के जिस डॉ शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में मरीजो की मौतें हुईं, वहां की एक्सरे मशीन 4 महीने से बंद है।
सरकारी बाबुओं का है राज
राज्य सरकार के अस्पताल के बाद ऐसा ही कुछ हाल महानगरपालिका अस्पताल का भी है, अधिकतर महानगरपालिका के चुनाव न होने से वहां प्रशासक काम काज संभाल रहे हैं। ऐसे में सरकारी बाबूओं का राज इन महानगरपालिकाओं और उनसे जुड़े अस्पतालों पर है।