Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच बीजेपी के लिए राहत भरी खबर है। पार्टी ने टिकट वितरण के बाद बागी हुए कई नेताओं को मना लिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपाल शेट्टी समेत 9 उम्मीदवारों ने टिकट वितरण के बाद नाराजगी जताई थी। जिसके बाद निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया था। ये सभी नौ नेता टिकट मांग रहे थे, लेकिन बीजेपी ने इनके ऊपर भरोसा नहीं जताया। टिकट वितरण के बाद ये नेता बागी होकर निर्दलीय मैदान में उतर चुके थे। लेकिन बीजेपी हाईकमान बगावत के बाद एक्टिव हो गया। अब नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन सभी 9 नेताओं को मनाने में बीजेपी हाईकमान कामयाब हो गया है।
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सभी नेताओं ने अपना नाम वापस ले लिया है। डोंबिवली सीट से आजाद लड़ रहे गोपाल शेट्टी ने भी नामांकन के अंतिम दिन फैसला बदल लिया है। शेट्टी को मनाने के लिए खुद देवेंद्र फडणवीस, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश खुद उनके घर गए थे। कई बड़े नेताओं ने भी शेट्टी से बात की थी। शनिवार को मीटिंग के दौरान गोपाल शेट्टी अपना नाम वापस लेने के लिए राजी हो गए थे। रविवार को छुट्टी थी, इसलिए उनको वेट करना पड़ा। इसके बाद सोमवार सुबह अपना नाम वापस ले लिया।
वहीं, गुहागार, गढ़चिरौली, पाथर्डी, सांगली, मेहकार, कारजात-जमखेद, खानापुर और बुलढाणा से भी बागी होकर चुनाव लड़ रहे बीजेपी नेताओं ने नाम वापस ले लिया है। प्रदेश और केंद्र के नेता इन लोगों को मनाने के लिए कोशिश कर रहे थे। कई नेताओं से सीधे हाईकमान ने बात की थी। कुछ बड़े नेता बागियों को मनाने के लिए उनके घर भी गए। आखिरकार पार्टी की रणनीति कारगर रही।
भाजपचे ज्येष्ठ नेते गोपाळ शेट्टीजी यांनी पक्षहिताचा निर्णय घेत एक सच्चा कार्यकर्ता कसा असतो, याचे उत्तम उदाहरण सर्वांपुढे ठेवले आहे. पक्षहित कायम त्यांनी सर्वोच्च ठेवले आणि त्याच्याशी कधीच तडजोड केली नाही.
हा निर्णय घेतल्याबद्दल मी त्यांचा अत्यंत आभारी आहे. pic.twitter.com/xjZh7V6Zzb— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) November 4, 2024
कांग्रेस में भी दिख रही बगावत
अब कई सीटों पर बीजेपी नेताओं को बगावत शांत होने का फायदा मिल सकता है। विश्लेषकों के अनुसार बगावत शांत होने का फायदा एनडीए को मिलेगा। कांग्रेस और शिवसेना उद्धव गुट में भी टिकट वितरण के बाद बगावत का माहौल है। कांग्रेस ने भी अपने बागियों को मनाने के लिए कवायद शुरू की थी। कोल्हापुर नॉर्थ सीट पर राजेश लाटकर कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। उनको मनाने की तमाम कोशिशें फेल रहीं। प्रयास सिरे न चढ़ने पर कांग्रेस बैकफुट पर आई और अपनी प्रत्याशी मधुरिमा राजे को मैदान से हटा दिया। कई और भी सीटें हैं, जहां कांग्रेस को बगावत का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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