Kirti Vyas Case : 6 साल पहले एक सलून एग्जीक्यूटिव और चार्टर्ड अकाउंटेंट कीर्ति व्यास (28) ऑफिस जाने के लिए निकली थी लेकिन बीच में ही लापता हो गई थी। कीर्ति की बॉडी का अब तक पता नहीं चल पाया है। इस मामले में एक सत्र अदालत ने मंगलवार को कीर्ति के दो पूर्व साथियों सिद्धेश तम्हंकर (42) और कविता सिधवानी (48) को उम्र कैद की सजा सुनाई है। अदालत के आदेश पर दोनों के नाम बदले गए हैं। सोमवार को सत्र न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने दोनों को हत्या, किडनैपिंग और सबूत नष्ट करने के आरोपों में दोषी ठहराया था।
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Kirti Vyas was 27 years old when she left for work and went missing in March 2018. Yesterday, the Sessions Court convicted her former colleagues, Siddhesh Tahmankar and Khushi Sahjwani, for her murder.
Kirti’s body was never found, but a single drop of… pic.twitter.com/Ghx343WEPC---विज्ञापन---— Gautam S. Mengle (@NotMengele) May 28, 2024
क्या हुआ था और कैसे पता चला सच?
कीर्ति अंधेरी में स्थित बीब्लंट सलून में एग्जीक्यूटिव थी। फरवरी 2018 को कीर्ति व्यास ने काम को लेकर दोनों को नोटिस थमाया था। इसके बाद 16 मार्च को दोनों ने कीर्ति को ऑफिस ड्रॉप करने की बात कहते हुए कार में बैठाया। इसके बाद उन्होंने गला घोटकर उसकी हत्या कर दी। 5 मई को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और जुलाई में इस मामले में 1000 पन्ने की चार्जशीट दाखिल की गई। कीर्ति को आखिरी बार सीसीटीवी फुटेज में इन्हीं के साथ देखा गया था। कार में खून के निशान और बाल मिले थे। इनसे मिला डीएनए कीर्ति के पैरेंस्ट से मैच कर रहा था।
A sessions court in Mumbai on Tuesday sentenced two former staffers of a salon chain to life imprisonment in the 2018 Kirti Vyas murder case. The body of the 28-year-old Kirti Vyas has not been found yet. The quantum of sentence of two convicts in the Kirti Vyas murder case was… pic.twitter.com/D2Zb7cdYIC
— TSW NEWS (@TSW_News_) May 28, 2024
खूब ढूंढा पर नहीं मिल पाई डेडबॉडी
कॉल डाटा रिकॉर्ड के अनुसार कीर्ति का फोन 16 मार्च को सुबह 9.30 बजे वर्ली में बंद हो गया था। पुलिस की जांच में पता चला था कि दोनों कीर्ति के शव को माहुल में टंप किया था। लेकिन लंबी खोजबीन के बाद भी शव नहीं मिल पाया। उल्लेखनीय है कि कीर्ति की हत्या जिस दिन हुई उसी दिन दोनों को दिए गए कारण बताओ नोटिस की अवधि खत्म हो रही थी। अभियोजन पक्ष ने अदालत में दलील दी कि इस बात की पूरी संभावना थी कि उसी दिन दोनों की नौकरी चली जाती। अपनी नौकरी बचाने के लिए दोनों ने कीर्ति की हत्या करने का कदम उठा लिया।
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