Goregaon Jewellery Expo Diamond Heist: आपने धूम सीरीज की फिल्मों में चोरी करने की चालाकी देखी होगी। जिसमें चोरी करने के लिए एक्टर्स नए-नए तरीके अपनाते हैं, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि एक ऐसी ही चोरी को आज से करीब 14 साल पहले मुंबई के गोरेगांव में अंजाम दिया गया था। दरअसल, अगस्त 2010 में मुंबई के गोरेगांव में एक ज्वैलरी एक्सपो में से 6.6 करोड़ रुपये के 300 हीरे चोरी होने पर हड़कंप मच गया था। इसके बाद पुलिस ने इस चोरी की गुत्थी को किस तरह सुलझाया, आइए जानते हैं…
इजराइली कंपनी के हीरे हो गए थे चोरी
इस चोरी को 23 अगस्त 2010 को गोरेगांव के एनएसई ग्राउंड में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल ज्वैलरी शो-2010 (IIJS-2010) के छठे और अंतिम दिन अंजाम दिया गया था। अंतिम दिन कई विदेशी नागरिकों सहित 5,000 से अधिक लोग इस प्रदर्शनी का हिस्सा बने थे। यहीं हांगकांग स्थित इजराइली कंपनी डेलुमी ग्रुप के हीरे के 300 टुकड़ों से भरा एक बॉक्स कड़ी सुरक्षा और निगरानी के तहत प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया था। इस बॉक्स में रखे हीरों का वजन वजन 887.24 कैरेट था।
मच गया था हड़कंप
जब 6.6 करोड़ रुपये के हीरे चोरी होने की सूचना वहां मौजूद आयोजकों को मिली तो हड़कंप मच गया। आयोजकों ने तुरंत सभी गेट बंद कर दिए और हर विजिटर के बाहर निकलने से पहले अच्छी तरह से तलाशी ली। हालांकि इसका कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि चोर पहले ही भाग चुके थे।
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आयोजक इस बात को लेकर भी हैरान थे क्योंकि उन्होंने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों के अलावा प्राइवेट गार्ड्स को भी वहां तैनात किया गया था। चोरी की इस घटना के बाद तुरंत पुलिस को सूचना दी गई।
संजीव दयाल ने डकैती को सुलझाने की जिम्मेदारी ली
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त संजीव दयाल ने डकैती को सुलझाने की जिम्मेदारी ली। उन्होंने क्राइम ब्रांच के तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त हिमांशु रॉय और अतिरिक्त आयुक्त देवेन भारती की देखरेख में कई पुलिस टीमें बनाईं। जहां एक टीम को सीसीटीवी फुटेज स्कैन करने का काम दिया गया तो दूसरी टीम को सभी विजिटर्स के बारे में पता लगाने के लिए कहा गया।
छह दिनों में 30,000 से ज्यादा विजिटर्स ने इस प्रदर्शनी में हिस्सा लिया था। ऐसे में पुलिस की चुनौती बढ़ गई। इस एक्सपो में केवल ज्वैलरी बिजनेस से जुड़े लोगों को ही जाने की अनुमति थी। ऐसे में आयोजकों के पास पहले से ही उनके बारे में पर्सनल इंफॉर्मेशन मौजूद थीं। इसमें उनके पैन कार्ड की फोटोकॉपी भी शामिल थी। हालांकि इससे उनके सिर्फ बैकग्राउंड का ही पता लग सकता था।
विदेशी नागरिकों को मिली थी सहूलियत
पुलिस के सामने लगातार बढ़ रही असमंजस के बीच एक महत्वपूर्ण जानकारी मिली। दरअसल, आयोजकों ने पुलिस को बताया कि विदेशी नागरिकों को देश में पर्यटक होने के नाते बिना किसी शर्त के एक्सपो में एंट्री मिली थी। यहीं से पुलिस को एक क्लू मिल गया और इसके बाद पूरा ध्यान विदेशी विजिटर्स पर चला गया। अहम बात ये थी कि उनकी पर्सनल इंफॉर्मेशन, पासपोर्ट और आईडी आयोजकों के पास पहले से ही थे।
एक टीम ने दस्तावेजों की जांच की। डीसीपी दाभाड़े ने सीसीटीवी फुटेज की निगरानी करने का फैसला किया। पुलिस ने कहा कि जिस स्टॉल से हीरे चुराए गए थे वह सीसीटीवी से पूरी तरह से कवर नहीं थ। इससे पुलिस का शक यकीन में बदल गया कि चोरों ने चोरी करने के लिए इस जगह को चुना होगा।
अलग-अलग ग्रुप्स में होने का नाटक किया
पुलिस ने लगातार तीन घंटे तक सीसीटीवी फुटेज खंगाले। इस दौरान पुलिस अधिकारी को एक अजीब संयोग का पता चला। दाभाड़े के अनुसार, “विदेशी नागरिकों की गतिविधियों को देखते समय मैंने दो ग्रुप्स को अजीब व्यवहार करते हुए देखा। उन्होंने दो अलग-अलग ग्रुप्स में होने का नाटक करने लगे। एक सीसीटीवी फ्रेम ने मेरा ध्यान तब खींचा, जब मैंने देखा कि एक स्लाइड में एक महिला एक पुरुष साथी के साथ और दूसरी स्लाइड में दूसरे पुरुष साथी के साथ दिखाई दे रही थी। जैसे-जैसे वह प्रदर्शनी में घूमती गई, उसने अपने पार्टनर बदल लिए। इससे मेरा पूरा ध्यान इन्हीं विदेशी नागरिकों पर चला गया।”
दाभाड़े का कहना है कि “एक फ्रेम में मैंने चारों को एक-दूसरे से बात करते हुए देखा, लेकिन दूसरे में वे पूरी तरह से अजनबी के रूप में एक-दूसरे के पास से गुजरते हुए दिखाई दिए। इस दौरान वे एक-दूसरे को दूर से देखते हुए निकले।”
दुबई में सुरक्षाकर्मियों से किया संपर्क
इसके बाद तुरंत अधिकारी सीसीटीवी रूम से बाहर निकले और आरोपियों को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए मुंबई हवाई अड्डे पहुंच गए। हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी थी। चारों संदिग्ध दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के जरिए जर्मनी के हैम्बर्ग जा रहे थे। इसके बाद पुलिस ने देर रात दुबई हवाई अड्डे पर सुरक्षा कर्मियों से संपर्क किया। पुलिस अधिकारी सुरक्षा अधिकारी को पूरा माजरा समझाने में कामयाब रहे। खास बात यह थी कि एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच से बचने के लिए आरोपी ने बड़ी चालाकी से हीरे छिपा दिए थे। हालांकि दुबई पुलिस ने इसे उनके पास से बरामद किया।
इसके बाद ग्युरेरो लूगो एलिविया ग्रिसल, कैंपोस मोलान एलियास, गोंजालेज माल्डोनाडो मौरिसियो और गुटिरेज ऑरलैंडो नाम के आरोपियों को दुबई अधिकारियों द्वारा निर्वासन के लिए आधिकारिक तौर पर हिरासत में ले लिया। ऑरलैंडो वेनेजुएला से और बाकी लोग मैक्सिको से थे। नर्स होने का दावा करने वाली ग्रिसल और ऑरलैंडो ने बताया कि वे शादीशुदा हैं। ग्रिसल को एक्सपो में पार्टनर बदलते हुए देखा गया था।
इंटरपोल की ली गई मदद
चारों 18 अगस्त को मुंबई पहुंचे। जहां वे लग्जरी होटल्स में रुके। चारों ने खुद को ज्वैलरी बिजनेस से जुड़ा बताया। उन्होंने स्टॉल की रेकी की। इसके बाद इन लोगों में से दो ने कंपनी के प्रतिनिधि का ध्यान भटकाया तो तीसरा हीरे वाला बॉक्स लेकर भाग गया।
बाद में इंटरपोल और अन्य अधिकारियों की मदद से मुंबई क्राइम ब्रांच की एक टीम दुबई गई और चारों आरोपियों को उनके निर्वासन के तहत मुंबई ले आई। डकैती का मास्टरमाइंड पेरेज हेंडर वाल्मोर होने का संदेह है, जो वेनेजुएला का रहने वाला है और माना जाता है कि वह जोहान्सबर्ग भाग गया है। आरोपियों को दोषी ठहराया गया। उन्हें मार्च 2012 में सजा पूरी करने के बाद मैक्सिको भेज दिया गया। इस तरह पुलिस ने एक सुराग से बड़ी पहेली को सुलझा लिया।
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