Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच जारी सियासी घमासान और तेज होता जा रहा है। सीएम ने शिंदे के अगुवाई वाले नगर विकास विभाग की फिजूलखर्ची पर लगाम लगाते हुए विकास कार्यों को मंजूरी से पहले सीएम की अनुमति लेने के निर्देश जारी किए हैं। इन प्रतिबंधों के माध्यम से फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की एकछत्र सत्ता पर लगाम लगाई है।
महाराष्ट्र में महानगरपालिका चुनाव होने हैं। इससे पहले शिंदे और उनकी पार्टी शिवसेना ने अलग-अलग पार्टियों के दर्जनों पार्षदों को अपनी पार्टी में प्रवेश देकर उन्हें बड़े पैमाने पर विकास निधि देने का सिलसिला शुरू किया। इसके बाद बीजेपी और एनसीपी के विधायकों ने सीएम से शिकायत की कि जिन महानगरपालिकाओं में एनसीपी और बीजेपी की ताक़त है, उन्हें फंड नहीं दिया जा रहा।
सीएम की अनुमति जरूरी
सीएम ने इस शिकायत को गंभीरता से लिया और नगर विकास विभाग द्वारा विविध योजनाओं के तहत बांटे जाने वाले फंड पर रोक लगा दी है। इसी के तहत विविध योजनाओं में काम को मंजूरी देते समय सीएम की मान्यता लेना जरूरी कर दिया गया है। फिर सीएम को अवगत कराया जाए ऐसी सूचना सीएम सचिवालय की तरफ से नियोजन और नगर विकास विभाग को दी गई है।
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दी गई थी करोड़ों की विकास निधि
विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सीएम एकनाथ शिंदे ने अपने विधायकों, पार्षदों और कुछ महानगरपालिकाओं को कई योजनाओं के तहत करोड़ों की विकास निधि दी थी। कुछ महानगरपालिकाओं में फंड का इस्तेमाल नहीं हुआ, तो कुछ कामों पर फिजूलखर्ची की गई थी। भले ही यह कहा जा रहा है कि विकास निधि तीनों पार्टियों को मिले, इसलिए सीएम ने यह फैसला लिया है, लेकिन सच्चाई यह है कि एकनाथ शिंदे की एकछत्र सत्ता पर लगाम लगाई गई है।
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