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गणेश चतुर्थी के लिए DJ हानिकारक तो ईद के लिए भी, बॉम्बे हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी

Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने त्योहारों पर डीजे और लेजर लाइट्स के उपयोग से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट के सामने कई तर्क रखे गए। कोर्ट ने इस मामले पर क्या-क्या कहा, चलिए आपको बताते हैं।

Edited By : Pushpendra Sharma | Updated: Sep 18, 2024 18:57
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Bombay High Court
बॉम्बे हाई कोर्ट।

Bombay High Court: भारतीय त्योहारों के बीच बजने वाले डीजे की आवाज को लेकर कई बार बहस होती है। जहां कुछ लोग इसे त्योहार के जश्न से जोड़कर देखते हैं तो वहीं कुछ ध्वनि प्रदूषण कहते हुए इस पर रोक लगाने की बात कहते हैं। हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूसों के दौरान डीजे, डांस, म्यूजिक और लेजर लाइटों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की याचिका लगाई गई।

कोर्ट ने जनहित याचिका पर की सुनवाई

बुधवार ने कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अगर डीजे गणेश चतुर्थी के लिए हानिकारक है, तो यह अन्य त्योहारों के लिए भी उतना ही हानिकारक है। दरअसल, पुणे के चार व्यापारियों ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने कई तर्क दिए। व्यापारियों ने कहा था कि इस्लाम में न तो कुरान और न ही हदीस ने त्योहार के लिए डीजे म्यूजिक और लेजर लाइट के इस्तेमाल की बात कही है।

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याचिकाकर्ताओं ने कहा- संवैधानिक अधिकार नहीं 

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि धार्मिक त्योहारों के दौरान लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि कोई भी धर्म या समुदाय डीजे म्यूजिक और स्पीकर का उपयोग ‘संवैधानिक अधिकार’ का हवाला देकर नहीं कर सकता है। इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने सुनवाई की। उन्होंने अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की ओर से हाई-डेसीबल साउंड सिस्टम और खतरनाक लेजर लाइट्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर 20 अगस्त के अपने आदेश का हवाला दिया।

क्या इस बारे में कोई साइंटिफिक स्टडी है?

मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कई सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि क्या इस बारे में कोई साइंटिफिक स्टडी है, जिसके जरिए ये साबित किया जा सके कि लेजर लाइट कितनी हानिकारक हैं। न्यायमूर्ति उपाध्याय ने टिप्पणी कर कहा- मोबाइल टावर्स को लेकर भी इन दिनों काफी शोर मचा है। क्या आपने इसके बारे में पढ़ा है? जब तक वैज्ञानिक रूप से ये साबित नहीं हो जाता कि लेजर बीम नुकसान पहुंचाते हैं, तब तक हम इस मुद्दे पर किस तरह निर्णय ले सकते हैं। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा- जनहित याचिका दायर करने से पहले आपको जरूरी और बुनियादी रिसर्च करनी चाहिए।

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 हम हर बीमारी का इलाज नहीं हैं

उन्होंने आगे कहा कि हम इन चीजों के एक्सपर्ट नहीं हैं। सभी के विचार अलग-अलग होते हैं। आप लोगों को लगता है कि हम हर बीमारी का इलाज हैं। अगर डीजे गणेश चतुर्थी के लिए हानिकारक है, तो यह ईद के लिए भी हानिकारक है। आपको बता दें कि अगस्त में पंचायत की याचिका में महाराष्ट्र सरकार और पुलिस पर ध्वनि प्रदूषण से निपटने में विफलता का आरोप लगाया गया था। उस वक्त पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया था कि याचिकाकर्ता के पास अन्य उपाय भी उपलब्ध हैं। वे पुलिस सहित संबंधित अधिकारियों के सामने इसके बारे में संपर्क कर सकते हैं। पीठ ने यह भी कहा था कि पंचायत सार्वजनिक स्थानों पर लेजर बीम के उपयोग को लेकर अधिकारियों के सामने डिटेल प्रजेंटेशन दे सकते हैं। अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता धारा 125 या भारतीय न्याय संहिता के किसी अन्य प्रावधान के तहत दंडनीय अपराध के बारे में पुलिस से संपर्क कर सकता है।

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अधिकारियों को जारी किया था नोटिस

गौरतलब है कि इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता वकील ने आरोप लगाया था कि पुणे में गणेश उत्सव के दौरान होने वाली तेज आवाज के कारण उनकी सुनने की क्षमता को गंभीर नुकसान पहुंचा है और उन्हें मानसिक पीड़ा हो रही है।

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Edited By

Pushpendra Sharma

First published on: Sep 18, 2024 06:54 PM

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