Maharashtra News: 14 मई को भारत के नए सीजेआई के तौर पर पदभार संभालने के बाद बीआर गवई का पहला आधिकारिक दौरा महाराष्ट्र और गोवा में था। उनके इस दौरे की अगवानी के लिए राज्य मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक या पुलिस आयुक्त को उन्हें रिसीव करना चाहिए था। मगर न ही उनमें से कोई उन्हें लेने पहुंचा और न ही किसी ने उनके कार्यक्रम में शामिल होने की जरूरत समझी। CJI गवई का यह पहला आधिकारिक कार्यक्रम था जो बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा द्वारा आयोजित किया गया था। गवई ने अपनी नाराजगी दिखाते हुए कहा कि लोकतंत्र के तीन स्तंभ होते हैं: न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका, और वे सम्मानजनक होते हैं। संविधान के 3 अंगों के प्रति सम्मान दिखाना उचित कदम है।
पहली बार पहुंचे थे महाराष्ट्र
CJI के रूप में 14 मई को शपथ ग्रहण करने के बाद यह जस्टिस गवई का पहला दौरा था। इस पूरे कार्यक्रम को सीजेआई ने बारिकी से देखा है। हालांकि उन्होंने कहा कि वे हर-छोटी बड़ी चीजों पर ध्यान नहीं देना चाहते हैं लेकिन लोकतंत्र का सम्मान होना जरूरी है। हर स्तंभ को एक-दूसरे का सम्मान करना ही चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मैं जब यहां पहुंचा तो राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक या मुंबई पुलिस आयुक्त कोई मौजूद नहीं था। अगर वे नहीं आना चाहते थे तो उन्हें सोचना चाहिए था कि मेरे शपथ ग्रहण करने के बाद पहली बार ऐसा करना सही रहेगा या नहीं।
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प्रोटोकॉल के पालन की अहमियत
बता दें कि सीजेआई महाराष्ट्र के ही हैं। गवई ने कहा कि यह संस्था अन्य संगठनों का न्यायपालिका के प्रति सम्मान का सवाल खड़ा करती है। प्रोटोकॉल के पालन पर कोई जोर नहीं है लेकिन वे खुद उसी राज्य के हैं, तो उन्हें सोचना चाहिए कि ऐसा व्यवहार सही है या नहीं। प्रोटोकॉल का पालन न हो, लेकिन उसकी अहमियत को समझना बहुत जरूरी होता है।
अपना अनुभव साझा किया
सीजेआई गवई ने अपने कार्यक्रम में अपने अनुभव को एक किस्सा भी शेयर किया था। जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने इस बात का जिक्र इसलिए किया ताकि लोगों को इसके बारे में पता चले। सीजेआई गवई ने कहा, “हम, न्यायाधीश के तौर पर, देश के कई हिस्सों में यात्रा करते हैं। हम नागालैंड, मणिपुर, असम और हाल ही में अमृतसर गए। डीजीपी, मुख्य सचिव, पुलिस आयुक्त वहां मौजूद थे। हम चार हफ्ते पहले झारखंड में देवघर गए थे, जो राजधानी रांची से लगभग 300-400 किलोमीटर दूर है। राज्य के मुख्य सचिव और अन्य लोग वहां हवाई अड्डे पर भी मौजूद थे।”
आगे उन्होंने बताया कि वे खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि संविधान के 75वें वर्ष में उन्हें देश का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
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