एक शादीशुदा शख्स ने स्नैपचैट पर 17 साल की लड़की से दोस्ती की। दोस्ती पक्की होने के बाद शख्स ने लड़की को मिलने बुलाया। उसने युवती को अपने रिश्तेदार के घर का पता दिया। जब युवती उससे मिलने पहुंची तो जबरन उसका रेप किया और उसे प्रेग्नेंट कर दिया। मामले सामने आने के बाद पता चला कि युवती 27 महीने की गर्भवती है। हालांकि इसके बावजूद बॉम्बे हाई कोर्ट ने शख्स को जमानत पर रिहा कर दिया। आखिर क्यों?
कोर्ट को युवती पर शक
जस्टिस मिलिंद जाधव का कहना है कि लड़की के बयान में काफी ज्यादा विरोधाभास देखने को मिला है। शुरुआती जांच में पता चलता है कि शारीरिक संबंध बनाने में युवती की भी सहमित थी। इस दौरान आरोपी ने न उसे डराया, धमकाया और न ही किसी प्रकार की हिंसा की। यही नहीं, युवती ने कथित घटना के बारे में 5 महीने तक किसी से कुछ नहीं बताया। जब उसके गर्भवती होने की बात सामने आई, जब उसने आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज करवाई।
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पॉक्सो के तहत दर्ज हुआ मामला
बॉम्बे हाई कोर्ट की पीठ ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि कानूनी तौर पर युवती की उम्र 18 साल से कम है, ऐसे में पॉक्स एक्ट की धारा 29 के तहत मामला दर्ज किया गया है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि पीड़िता के बयान को ही पूरी तरह से सच मान लिया जाए। अदालत रिकॉर्ड्स में मौजूद सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद ही फैसला लेगी।
बच्चे का हुआ DNA टेस्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त लोक अभियोजक राजेश्री न्यूटन ने आरोपी की जमानत याचिका का विरोध किया है। उनका कहना है कि आरोपी ने नाबालिग की कम उम्र का फायदा उठाकर उसे गर्भवती कर दिया। युवती की प्रेग्नेंसी का DNA टेस्ट भी पॉसिटिव आया है। यह बच्चा आरोपी शख्स का ही है।
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