BJP New Office Mumbai Become Political Issue: मुंबई के चर्चगेट इलाके में सोमवार के दिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए प्रदेश मुख्यालय का भूमिपूजन होने जा रहा है. मरीन ड्राइव के किनारे बनने वाला यह शानदार भवन बीजेपी के लिए एक नया ‘पावर सेंटर’ साबित हो सकता है. कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण और अन्य शीर्ष नेता मौजूद रहेंगे. लेकिन इससे पहले ही शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत ने बीजेपी पर तीखे आरोप लगाते हुए माहौल गरमा दिया है.
“मराठी भाषा भवन रुका, बीजेपी का भवन बना”
राउत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा,“मुंबई में बीजेपी मुख्यालय का भूमिपूजन हो रहा है. अमित शाह खुद आ रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि मरीन ड्राइव पर जहां सालों से मराठी भाषा भवन अटका पड़ा है, वहीं बीजेपी के दफ्तर के लिए फाइलें रॉकेट की स्पीड से मंजूर हो गईं. राफेल से भी तेज़ी से सब हुआ. निगम की जमीन देखते-देखते पार्टी के कब्जे में चली गई.”उन्होंने व्यंग्य में आगे कहा,“अमित शाह ईमानदार हैं, उन्हें दो नंबर के काम नहीं आते. मगर जिस दिन वे इस जमीन पर पहला फावड़ा चलाएंगे, उसके नीचे से बहुत से राज़ बाहर आएंगे. शिवाजी महाराज का स्मारक आज तक अधूरा है, लेकिन बीजेपी का मुख्यालय पूरी तैयारी में है. मैंने इस पूरे मामले पर अमित शाह को पत्र लिखा है और उनसे जांच की मांग की है.”
राउत के आरोप – “नगर निगम की जमीन सिर्फ 11 दिनों में बीजेपी को!”
अमित शाह को भेजे पत्र में संजय राउत ने गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा है कि मरीन लाइन्स स्थित यह भूखंड नगर निगम के रिकॉर्ड में ‘आवासीय उपयोग के लिए आरक्षित था. लेकिन सिर्फ 11 दिनों में यह जमीन बीजेपी के नाम हो गई. राउत का दावा है कि यह सौदा एकनाथ रियल्टर्स नामक बिल्डर के जरिए किया गया. नरीमन पॉइंट का मौजूदा बीजेपी कार्यालय छोटा पड़ने लगा था, और तभी चर्चगेट स्टेशन के पास की यह जमीन पार्टी की नजर में आई.“जिस तेजी से कागज़ चले, वो किसी सरकारी प्रक्रिया जैसी नहीं लगती,” राउत ने कहा.
“बैंक में गिरवी, लीज खत्म – और फिर चमत्कार!”
- पत्र के मुताबिक, जमीन का 46% हिस्सा वासानी परिवार ने बिना अनुमति बैंकों में गिरवी रख दिया था.
- लीज की अवधि 2001 में खत्म हो चुकी थी.
- उसके बाद चार निवेश कंपनियों ने जमीन के अधिकार अपने नाम किए और फिर बैंकों में गिरवी रखकर नियमों का उल्लंघन किया.
- यह पूरा विवाद 2017 से ठंडे बस्ते में था.
- लेकिन 2025 में अचानक एकनाथ रियल्टर्स नाम की कंपनी आई और कुछ ही हफ्तों में पूरी प्रक्रिया क्लियर हो गई.
- “21 करोड़ में डील, 8 करोड़ में ट्रांसफर – सबकुछ बिजली की रफ्तार से!”
राउत के मुताबिक –
- 1 अप्रैल 2025 को एकनाथ रियल्टर्स ने भूखंड ट्रांसफर का आवेदन दिया.
- 4 अप्रैल को मंजूरी मिल गई.
- शेष 54% हिस्सा, जो महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव फाइनेंस कॉर्पोरेशन के पास था, उसका लीज नवीनीकरण भी तुरंत मंजूर हो गया.
- कंपनी ने 21.25 करोड़ रुपये देकर जमीन का कब्जा लिया.
- फिर 21 मई को बीजेपी के नाम हस्तांतरण का प्रस्ताव दिया गया — और अगले ही दिन 22 मई को स्वीकृति भी मिल गई.
- 31 मई तक मकता (लीज) ट्रांसफर पूरा, और बीजेपी ने 8.91 करोड़ रुपये शुल्क के रूप में भरा.
- राउत ने कहा — “इतनी तेजी से कोई फाइल तब ही चलती है जब सत्ता की हवा पीछे से धकेल रही हो.”
रोहित पवार का भी हमला – “घोटालों के बीच भूमिपूजन से गलत संदेश”
बीजेपी पर हमला बोलने वालों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार भी शामिल हो गए हैं.
उन्होंने ‘X’ पर लिखा —“राज्य में जमीन घोटाले जोरों पर हैं, और अब मुंबई में बीजेपी के नए कार्यालय की जमीन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. बताया जा रहा है कि यह भूखंड महाराष्ट्र हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन की 99 साल की लीज पर था. इमारत को ‘खतरनाक’ घोषित कर गिरा दिया गया, और अब उसी जगह बीजेपी का दफ्तर बन रहा है.” उन्होंने चेतावनी दी, “जब पुणे के जैन बोर्डिंग प्रकरण पर जनता नाराज है, ऐसे में मुंबई की इस जमीन पर उठे सवाल बीजेपी के लिए अच्छा संकेत नहीं हैं. पार्टी को सामने आकर सफाई देनी चाहिए.”










