Banned On Export Onion: महाराष्ट्र में प्याज किसानों की हालात दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। प्याज के निर्यात पर रोक लगने से किसान मुसीबत में पड़ गए गए हैं। दाम गिरने से प्याज के किसानों की लागत भी नही निकल पा रही है। कीमतों में गिरावट आने से मंडी में किसानों को एक रुपये प्रति किलो का भाव मिल रहा है। राज्य के बीड जिला का एक किसान जब प्याज बेचने गया तो लागत तो दूर की बात, किसान को अपनी जेब से ही व्यापारी को पैसा देना पड़ा। जिससे गुस्साए किसान ने बाकी के बचे हुए प्याज को मंडी ले जाने की बजाय उसने अपने खेत में ही फेंक दिया।
व्यापारी को जेब से देने पड़े 565 रुपये
किसान वैभव शिंदे, महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे के गृह जिला बीड के नेकनूर गांव से आते हैं। कुछ दिनों पहले सोलापुर की मंडी में प्याज बेचने गए थे, लेकिन वहां पहुंचने के बाद जब इन्हें प्याज का दाम मिला, तो उसे देखकर इनके पैरों के तले जमीन खिसक गई। वैभव के पास कुल 7 एकड़ जमीन है, इसमें से दो एकड़ की जमीन पर 70 हजार रुपये का कर्ज लेकर प्याज की फसल लगाई थी।
वैभव शिंदे को उम्मीद थी अच्छी पैदावार होगी, उससे पैसों से आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी, लेकिन जब वो प्याज बेचने के लिए मंडी गए तो उन्हें 345 किलो का भाव ही नहीं मिला। वैभव शिंदे सिर्फ 98 किलो प्याज ही बेच पाए, जिसका उन्हें 1 रुपए प्रति किलो दाम मिला है। तौलाई, मजदूरी, गाड़ी-भाड़ा काटने के बाद उन्हें अपने जेब से 565 रुपये व्यापारी को देना पड़ा।
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सरकार निर्यात पर लगी रोक हटाए
किसान वैभव शिंदे ने बताया कि मैं प्याज लेकर सोलापुर बाजार गया। उस जगह पर प्याज 1 रुपये में बिका और कुछ प्याज की नीलामी भी नहीं हुई। मैंने उन प्याज को वहीं फेंक दिया। प्याज की खेती में हमने 70 हजार रुपये खर्च किए, लेकिन इससे कोई आमदनी नहीं हुई। उल्टा जेब से देना पड़ा। बाद में और जो प्याज बेचने थे, उसे अपने ही खेत में फेंक दिया क्योंकि मंडी ले जाकर बेचने पर अपने जेब से पैसा देना पड़ रहा है। केंद्र सरकार से मेरी यही विनती है कि जल्द से जल्द प्याज के निर्यात पर लगे रोक हटा दे।
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प्याज के घटते दाम से प्याज उत्पादक किसान सरकार पर हमलावर हो गए हैं। संगठन से जुड़े नेता भरत ने कहा कि निर्यात बंदी से किसानों की यह हालात हुई है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय किसान प्याज की खेती ही करना बंद कर देंगे। संगठन से जुड़े नेताओं का कहना है कि पहले किसान सूखे से परेशान थे, फिर बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी। जब प्याज से कुछ मुनाफा कमाने का वक्त था तो केंद्र सरकार ने निर्यात पर ही रोक लगा दी। मौजूदा समय में पुराने प्याज के इतने स्टॉक है कि देशभर में इसकी आसानी से सप्लाई की जा सकती है।
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किसान विरोधी है सरकार : विपक्ष
वहीं इस पर राजनीति भी तेज हो गई है। मानों सरकार के लिए प्याज राजनीतिक फसल बन गई है। प्याज किसानों की इस हालात पर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोल दिया। शिवसेना UBT के प्रवक्ता आनंद दुबे ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार सिर्फ उद्योगपतियों की मदद कर रही है। राज्य के किसानों का कोई सुध नहीं ली जा रही है। किसान भीख मांगने पर मजबूर हो गए हैं। सरकार बदलने के बाद ही महाराष्ट्र के किसानों की हालत सुधरेगी।
पहले भी उठाया गया था मुद्दा
गौरतलब है कि बीते संसद और महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्याज का मुद्दा खूब जोर-शोर से उठाया गया था। सांसद सुप्रिया सुले ने प्याज को लेकर संसद में सरकार से सवाल किया था। वहीं नागपुर विधानसभा सत्र के दौरान किसानों के हालात को लेकर विपक्ष ने विधानसभा की सीढ़ियों पर प्रदर्शन कर प्याज के निर्यात पर लगी रोक को हटाने की मांग की थी। मौजूद समय मे APMC मार्केट में प्याज की 1300 से 1500 प्रति क्विंटल का भाव चल रहा है। वहीं रिटेलर मार्केट में प्याज 15 से 25 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है।