बैतुल: आम तौर पर बच्चों को स्कूल तक लाने और वापस ले जाने का काम उनके परिजनों के जिम्मे होता है या फिर बच्चे खुद ही अपने स्कूल आते जाते हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के भैंसदेही की एक ऐसी अनोखी टीचर हैं जो हर दिन अपने स्कूल के बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए खुद उनके घर तक जाती हैं और स्कूल की छुट्टी होने के बाद उन्हें वापस घर तक छोड़कर आती हैं। इस बात पर यकीन करना मुश्किल हो लेकिन इसे सच कर दिखाया है शिक्षिका अरुणा महाले ने जिन्हें गांव के लोग स्कूटर वाली मैडम के नाम से जानते हैं।
स्कूल बंद होने वाला तो शिक्षिका को आया आईडिया
अरुणा महाले बैतूल जिले में भैंसदेही विकासखंड के ग्राम धूड़िया में पदस्थ हैं। दुर्गम इलाका होने की वजह से यहां पर 7 साल पहले स्कूल में केवल 10 बच्चे रह गए थे और स्कूल बन्द होने की कगार पर आ चुका था । ये देखकर अरुणा ने कुछ नया करने की ठानी और अपनी स्कूटर की मदद से बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर लाना शुरू कर दिया । धीरे-धीरे करके अरुणा ने उन सभी बच्चों के पिक एंड ड्राप का काम शुरू कर दिया जो स्कूल नहीं आ रहे थे। नतीजा ये हुआ कि आज इस स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या बढ़कर 85 हो गई है और शासन ने इस स्कूल को बन्द करने का फैसला वापस ले लिया है।
खुद के खर्चें पर करती है बच्चों को छोड़ने का काम
रोजाना सुबह अरुणा अपनी स्कूटर लेकर कच्चे पक्के रास्तों से होते हुए छोटे-छोटे मजरे टोलों तक पहुंचकर बच्चों को अपने साथ स्कूल लाती हैं और फिर उन्हें वापस भी छोड़ने जाती हैं। इसे करने में उनका काफी समय और पैसा खर्च होता है लेकिन अरुणा की अपनी कोई संतान नहीं है इसलिए वो हर बच्चे पर अपनी ममता लुटा रही हैं । बच्चों और उनके पालकों के लिए तो स्कूटर वाली मैडम एक फरिश्ते की तरह हैं । वहीं इसके अलावा बच्चों को कोई रबर, पेंसिंल व अन्य की कमी होती है तो वो उसे भी पूरा करती है।