MP News: मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके लिए कांग्रेस ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। एक तरफ कमलनाथ पूरे प्रदेश में चुनावी रणनीति जमाने में लगे हैं तो अब दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह भी प्रदेश की सियासत में एक बार फिर एक्टिव होने जा रहे हैं। जिसे प्रदेश के सियासी हलकों में सरगर्मी बढ़ गई है।
एक्शन मोड में दिग्विजय सिंह
बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भी दिग्विजय सिंह ने पर्दे के पीछे से बड़ी भूमिका निभाई थी। 2018 के चुनाव से पहले दिग्विजय सिंह ने नर्मदा परिक्रमा की थी, भले ही यह परिक्रमा राजनीतिक नहीं थी, लेकिन इसका फायदा कांग्रेस को जरूर हुआ था। बताया जा रहा है कि कमलनाथ ने खुद दिग्विजय सिंह से प्रदेश में एक्टिव होने की बात कही थी, जिसे उन्होंने मान लिया है। ऐसे में अब दिग्विजय ने रणनीति बनाना भी शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि 17 फरवरी से दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश कांग्रेस में सक्रिय हो जाएंगे और अलग-अलग विधानसभाओं का दौरे करेंगे।
विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे दिग्विजय सिंह
बता दें कि अब तक भारत जोड़ो यात्रा में बिजी रहे दिग्विजय सिंह अब प्रदेश के विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे। दिग्विजय सिंह आज आज भोपाल जिले की बैरसिया और गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर रहेंगे, सुबह वह बैरसिया में मंडलम व सेक्टर के कार्यकर्ताओं से वन टू वन बातचीत करेंगे, इसके अलावा बैठक के द्वितीय सत्र में बैरसिया विधानसभा क्षेत्र के ब्लॉक कांग्रेस, युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, किसान कांग्रेस, एनएसयूआई एवं अन्य समस्त मोर्चा पदाधिकारी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे, 3:30 बजे गोविंदपुरा विधानसभा में मंडलम सेक्टर के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। इसी तरह वह प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों के दौरे का प्लान बनाया जा रहा है।
प्रदेश में पकड़
दिग्विजय सिंह 10 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, जिससे प्रदेश में उनका बड़ा जनाधार है। खास बात यह है कि एमपी की सियासत में दिग्विजय सिंह को राजा साहब के नाम से भी जाना जाता है। वो राघौगढ़ रियासत के राजा हैं। ऐसे में उन्हें उनके समर्थक इसी नाम से बुलाते हैं। दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश में कांग्रेस की मजबूती और कांग्रेस की कमजोरी दोनों की सबसे ज्यादा अच्छे से जानते हैं। ऐसे में उनका चुनावी साल में एक्टिव होकर जमीन पर काम करना कांग्रेस के लिए फायेदमंद साबित हो सकता है।
2018 में थी अहम भूमिका
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को पार्टी का समनव्यक बनाया था। जिसका फायदा कांग्रेस को हुआ भी था। दिग्विजय सिंह ने संगठन में काम किया था और नेताओं को बीच चल रही गुटबाजी को काफी हद तक कम किया था। इसके अलावा उन्होंने टिकट वितरण से लेकर चुनावी प्रचार में भी अहम भूमिका निभाई थी। जिससे प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी हुई थी। ऐसे में अब 2023 के चुनाव के लिए भी कांग्रेस को अब फिर से दिग्विजय सिंह से उम्मीदें हैं।