Kamal Nath is almost CM face in MP(शब्बीर अहमद): मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 की वोटिंग 17 नवम्बर को समाप्त हो गई है। अब 3 दिसम्बर को नतीजों का इंतजार किया जा रहा है। इस बीच कांग्रेस सरकार बनने पर कमलनाथ का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय हो चुका है। इसके साथ ही उनके मंत्रिमंडल में कई चेहरों के शामिल होने की चर्चा है।
गोविंद सिंह
कांग्रेस के सबसे सीनियर नेताओं में से एक मौजूदा विधानसभा में गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष हैं। ये सिंधिया के जाने के बाद ग्वालियर-चंबल के बड़े नेता हैं। ठाकुर समाज में गोविंद सिंह का अच्छा प्रभाव माना जाता है। बता दें कि गोविंद सिंह, लहार से 7 बार से लगातार विधायक हैं और 8वीं बार फिर से मैदान में हैं।
अजय सिंह
विंध्य संभाग के कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह सरकार मंत्री रहे अजय सिंह, पिछला चुनाव हारने के कारण कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बन पाए थे। विंध्य में कांग्रेस के क्षत्रिय समाज के सर्वमान्य नेता पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे और चुरहट से लगातार 6 बार विधायक रह चुके हैं।
मुकेश नायक
बुंदेलखंड में कांग्रेस का बड़ा ब्राह्मण चेहरा और दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रह चुके मुकेश नायक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। उनकी दिल्ली दरबार पर अच्छी पकड़ है, हालांकि मुकेश नायक पिछला चुनाव हार गए थे।
लाखन सिंह यादव
ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस का बड़ा ओबीसी चेहरा लाखन सिंह यादव जमीनी नेताओं में गिने जाते हैं। वह विपरीत परिस्थितियों में लगातार चुनाव जीतकर आए हैं।
सचिन यादव
निमाड़ संभाग के कांग्रेस के दिग्गज नेता सुभाष यादव के बेटे, सचिन यादव ने पिता की विरासत को बखूबी संभाला। निमाड़ में कांग्रेस की सियासत में सचिन यादव और अरुण यादव का अच्छा दखल माना जाता है। सचिन यादव, कमलनाथ सरकार में कृषि मंत्री रहे थे।
तरुण भनोट
तरुण भनोट, कमलनाथ के करीबियों में से एक हैं, उनको कमलनाथ सरकार में वित्त विभाग की जिम्मेदारी मिली थी। उनकी जबलपुर और आसपास के जिले में कार्यकर्ताओं की अच्छी फौज है। तरुण भनोट का मुकाबला जबलपुर सांसद राकेश सिंह से है।
बाला बच्चन
कांग्रेस के निमाड़ का आदिवासी चेहरा बाला बच्चन, कमलनाथ के गुड बुक से आते हैं। उनको कमलनाथ सरकार में गृह विभाग की जिम्मेदारी मिली थी।
हर्ष यादव
उमंग सिंघार, आदिवासियों के उभरते लीडर हैं। आदिवासियों वोटर्स पर उमंग सिंघार की अच्छी पकड़ है। उमंग सिंघार, सीधे दिल्ली दरबार से जुड़े हैं।
हनी बघेल
हनी बघेल, दिग्विजय सिंह के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। धार के आदिवासियों में हनी बघेल की अच्छी पकड़ है। वह कमलनाथ सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।
जयवर्धन सिंह
जयवर्धन सिंह, दिग्विजय सिंह के बेटे हैं। युवाओं में जयवर्धन सिंह की अच्छी पकड़ है। सिंधिया के जाने के बाद एक मात्र ग्वालियर-चंबल के युवा लीडर जिनका क्रेज देखने को मिलता है।
कमलनाथ सरकार में उनको नगरीय प्रशासन जैसे बड़े विभाग की अहम जिम्मेदारी मिली थी।
प्रियवर्त सिंह
प्रियवर्त सिंह दिग्विजय सिंह के रिश्तेदार, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों से अच्छे रिश्ते हैं। खिलचीपुर सीट से विपरित परिस्थितियों में भी चुनाव जीते।
सज्जन सिंह वर्मा
सज्जन सिंह वर्मा, कांग्रेस में दलित वर्ग के बड़ा नेता हैं। उनकी गिनती कमलनाथ के सबसे करीबी नेताओं में होती है।
विजयलक्ष्मी साधौ
निमाड़ में कांग्रेस दलित वर्ग एक मात्र लीडर, महिला कोटो से विजयलक्ष्मी साधौ को मंत्री बनाया जा सकता है।
ओमकार सिंह मरकाम
महाकौशल के आदिवासियों के बड़े नेता ओमकार सिंह मरकाम सीधे राहुल गांधी से जुड़े हुए हैं। ये एमपी के एक मात्र नेता हैं, जो कांग्रेस चुनाव समिति के सदस्य हैं।
राजेन्द्र सिंह
पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह कमलनाथ के करीबी हैं, वह विंध्य संभाग में कमलनाथ के सबसे विश्वसनीय नेताओं में सबसे ऊपर हैं। बता दें कि कमलनाथ ने वचन पत्र बनाने की जिम्मेदारी राजेन्द्र सिंह को ही दी थी। राजेन्द्र सिंह, पिछला चुनाव कम अंतर से हार गए थे।
कमलेश्वर पटेल
विंध्य में कांग्रेस के बड़े ओबीसी लीडर कमलेश्वर पटेल का कांग्रेस के दिल्ली नेताओं से सीधा संपर्क है। वह, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं।
दिलीप गुर्जर
दिलीप गुर्जर का गुर्जर समाज में अच्छा प्रभाव माना जाता है। लगातार चुनाव जीतने के चलते मंत्री बनने की प्रबल संभावना है। उज्जैन से पिछली बार भी कमलनाथ सरकार में इनको मौका नहीं मिला था।
आरिफ मसूद
आरिफ मसूद को मुस्लिम कोटे से मंत्री बनाया जा सकता है। आरिफ मसूद की मुस्लिम समाज में अच्छी लोकप्रियता है।
रामनिवास रावत
रामनिवास रावत सिंधिया के कट्टर समर्थक रहे, लेकिन पार्टी नहीं छोड़ी। रावत, ग्वालियर-चंबल के कांग्रेस के बड़े नेताओं में एक हैं। वह, पिछला चुनाव हार गए थे।
केपी सिंह
केपी सिंह, दिग्विजय सिंह के करीबी नेताओं में से एक हैं। उनको, कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया था, लेकिन इस बार उनकी प्रबल संभावना है। केपी सिंह पिछौर से पहली बार शिवपुरी से चुनाव लड़ रहे हैं।
जीतू पटवारी
जीतू पटवारी कांग्रेस के उभरते हुए नेता हैं। युवा लीडर खाती समाज में जीतू पटवारी का काफी प्रभाव माना जाता है। जीतू पटवारी, एमपी में राहुल गांधी के करीबी नेताओं में से एक हैं।
लखन घनघौरिया
लखन घनघौरिया की गिनती कमलनाथ के करीबी नेताओं में होती है। लखन, दलित वर्ग से आते हैं। उनको महाकौशल संभाग में दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के चलते मौका मिल सकता है।
इस बार कमलनाथ के मंत्रीमंडल में सीनियर और जूनियर दोनों का मिश्रण देखने को मिलेगा पिछली बार कमलनाथ कैबिनेट में युवाओं को ज्यादा मौका मिला था, उसकी एक वजह ये भी थी कि कांग्रेस के कई सीनियर लीडर चुनाव हार गए। वो सभी एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं और उनकी स्थिति इस बार मजबूत बताई जा रही है।