Madhya Pradesh MLA Kamleshwar Dodiyar Unique Story: मध्य प्रदेश में हाल ही में विधानसभा चुनाव नतीजे आए हैं। भाजपा की प्रचंड जीत में जहां कांग्रेस 66 सीट पर सिमट गई। वहीं बसपा और सपा का सूपड़ा साफ हो गया, लेकिन एकमात्र विधायक ऐसा है, जो भारत आदिवासी पार्टी यानी BAP से जीतकर आए हैं। आज हम आपको उस विधायक से मिलवाते हैं, जिसने जनता से चंदा मांग कर और लोन लेकर चुनाव लड़ा और जीत गया, अब सरकार से मंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं।
BEAUTY OF DEMOCRACY
Bharatiya Adivasi Party (BAP) MLA Kamleshwar Dodiyar who won from Madhya Pradesh’s Ratlam constituency took ₹12 lakh debt to contest election and 90% polling took place here. pic.twitter.com/tvblpX6k3N
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ओबामा से प्रभावित होकर चुनाव लड़ा
रतलाम जिले में आने वाली सैलाना सीट पर न तो कांग्रेस प्रत्याशी जीता और न ही भाजपा प्रत्याशी, बल्कि सैलाना विधानसभा सीट पर जीत हुई भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी कमलेश्वर डोडियार की, जो विधानसभा की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए बहनोई की बाइक पर 400 किलोमीटर का सफर तय करके भोपाल पहुंचे। कमलेश्वर डोडियार ने बताया कि वे बेहद गरीब परिवार से आते हैं। इनके पिता के हाथ खराब हैं। मां ने मेहनत मजदूरी करके उन्हें पाला। बराक ओबामा से प्रभावित होकर कमलेश्वर ने चुनाव लड़ा।
मंत्री पद और मंत्रालय की इच्छा जताई
कमलेश्वर के मुताबिक, चुनाव में धनबल का जमकर इस्तेमाल हुआ, लेकिन जनता ने उन पर भरोसा जताया। चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने चंदा इकट्ठा किया, जिससे करीब ढाई लाख रुपये मिले। इसके अलावा कुछ और खर्चे हुए, जिसके चलते उन पर फिलहाल 5 लाख रुपये का कर्जा है। कमलेश्वर के मुताबिक वे फ़िलहाल बाइक पर ही चलेंगे, लेकिन अगर उन्हें लगा कि फोर व्हीलर की ज़रूरत है तो वह भी वे ज़रूर खरीदेंगे। कमलेश्वर मंत्री भी बनना चाहते है। आदिवासी मंत्रालय में वे बेहतर काम कर सकते हैं।
मां और भाई मजदूर, पिता के हाथ नहीं करते काम
कमलेश्वर डोडियार ने कांग्रेस के विधायक रह चुके हर्ष विजय गहलोत को 4618 वोटों से हराया। कमलेश्यर अभी दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ कर रहे हैं। 9 भाई-बहनों में सबसे छोटे कमलेश्वर घास-फूस से बनी झोपड़ पट्टी में रहते हैं। उनकी 62 साल की मां सीता बाई मजदूर हैं। उनके पिता 70 वर्षीय ओमकार लाल डोडियार के हाथ अब काम नहीं करते। उनके 5 भाई राजस्थान में मजदूरी करते हैं। 3 बहनों की शादी हो चुकी है। जब वे लॉ करने के लिए दिल्ली गए तो उन्होंने गुजारा करने के लिए टिफिन डिलीवरी का काम किया। कमलेश्वर आदिवासियों के हकों की आवाज बनकर काम करते रहे हैं। इसके चलते उनके खिलाफ आज तक 16 FIR दर्ज हो चुकी हैं। 11 बार वे जेल भी जा चुके हैं। एक बार उन्हें 84 दिन जेल में रहना पड़ा। उन्हें कई नोटिस भी मिल चुके हैं।