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मध्य प्रदेश

अब 112 पर आएगी मध्यप्रदेश पुलिस, बंद हुई डायल 100

मध्यप्रदेश पुलिस अब डायल 100 से नहीं डायल 112 से आएगी। मध्यप्रदेश में अब पुलिस की डायल 112 सेवा शुरु की गई है। यह डायल 100 की विरासत को और आगे ले जाएगी। यह भारत सरकार की आपातकालीन सेवा (ERSS) का हिस्सा है। यह सेवा डायल 100 की तरह ही 24 घंटे उपलब्ध रहेगी।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Aug 13, 2025 20:20

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश पुलिस ने डायल 112 सेवा शुरू की है, जो डायल 100 की विरासत को और आगे ले जाएगी। यह सेवा भारत सरकार की आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ERSS) का हिस्सा है, जिसमें पुलिस (112), स्वास्थ्य/एम्बुलेंस (108), अग्निशमन (101), महिला हेल्पलाइन (1090), साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) जैसी कई सेवाओं को एक नंबर 112 के साथ जोड़ा गया है।

डायल 112 में 1200 नई गाड़ियां शामिल की गई हैं, जो पूरे प्रदेश के शहरों, गांवों और मोहल्लों में 24 घंटे उपलब्ध रहेंगी। ये गाड़ियां प्रशिक्षित ड्राइवरों और पुलिस कर्मियों के साथ काम करती हैं। वहीं, इसका नया कंट्रोल रूम डिजिटल तकनीक से लैस है, जो क्विक रिस्पांस करता है। जून 2025 तक डायल 112 ने 8.99 करोड़ कॉल्स प्राप्त किए, जिनमें से 1.97 करोड़ पर तुरंत कार्रवाई की गई। इस सेवा ने 2.23 लाख वरिष्ठ नागरिकों, 19.71 लाख महिलाओं, 12.48 लाख सड़क दुर्घटना पीड़ितों और 27,112 गुमशुदा बच्चों को मदद पहुंचाई।

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खत्म हुआ डायल 100

मध्य प्रदेश पुलिस ने साल 2006 में डायल 100 सेवा शुरू की थी, जो देश की पहली केंद्रीकृत आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली थी। इसका मकसद शहर या गांव के हर नागरिक को एक फोन कॉल पर तुरंत पुलिस की मदद देना था। भोपाल में बने अत्याधुनिक कंट्रोल सेंटर के जरिए लोग टोल-फ्री नंबर 100 पर कॉल कर सकते थे। यहां प्रशिक्षित कर्मचारी कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से निकटतम डायल 100 गाड़ी को तुरंत भेजते थे। इस प्रणाली में 1000 जीपीएस-सक्षम चार-पहिया गाड़ियां और 150 दो-पहिया वाहन थे, जो मोबाइल फोन और डेटा टर्मिनल से लैस थे। वास्तविक समय में वाहन ट्रैकिंग, कॉल रिकॉर्डिंग और नागरिकों से फीडबैक जैसे कदमों ने इस सेवा को बेहद प्रभावी बनाया। पिछले 10 सालों में डायल 100 ने 9 करोड़ से ज्यादा कॉल्स पर कार्रवाई की, जिनमें से लगभग 2 करोड़ कॉल्स पर तुरंत मदद पहुंचाई गई। इस सेवा ने न केवल अपराधों से निपटने में मदद की, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं, गुमशुदा बच्चों और आत्महत्या जैसे मामलों में भी सहायता प्रदान की।

2015 में हुआ था विस्तार

साल 2015 में बदलते समय और तकनीक के साथ मध्य प्रदेश पुलिस ने डायल 100 को और बेहतर किया। इसमें लोकेशन बेस्ड सिस्टम (LBS) जैसी नई तकनीक जोड़ी गई, जिससे कॉल करने वाले की सटीक लोकेशन का पता लगाया जा सके। 1000 गाड़ियों और एक आधुनिक कॉल सेंटर के साथ यह सेवा और प्रभावी हो गई। इस दौरान डायल 100 ने न केवल अपराधों पर कार्रवाई की, बल्कि अग्निशमन, स्वास्थ्य सेवाएं, आपदा प्रबंधन और महिला व बाल संरक्षण जैसी हेल्पलाइन को भी जोड़ा गया। औसतन 16 मिनट में पुलिस की गाड़ियां मदद मांगने वालों तक पहुंचने लगीं, जिससे जनता में सुरक्षा का भरोसा बढ़ा।

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एक नया और आधुनिक कदम है डायल 112

डायल 112 को और उन्नत बनाने के लिए कई आधुनिक सुविधाएं जोड़ी गई हैं। नया कॉन्टैक्ट सेंटर हर शिफ्ट में 100 एजेंटों के साथ काम करता है, जिसमें 40 सीटों का डिस्पैच यूनिट है। कॉल एक्सेस को आसान बनाने के लिए PRI लाइनों को SIP आधारित ट्रंक लाइन में बदला गया है। उन्नत बिजनेस इंटेलिजेंस (BI) और MIS रिपोर्टिंग टूल्स से सेवा की गुणवत्ता बढ़ी है। नंबर मास्किंग से नागरिकों की गोपनीयता बनी रहती है। फ्लीट मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर गाड़ियों के रखरखाव को ट्रैक करता है। चैटबॉट और मोबाइल ऐप्स के जरिए नागरिकों से संवाद और शिकायतों की ट्रैकिंग आसान हुई है। गाड़ियों में डैशबोर्ड और बॉडी वॉर्न कैमरे लगाए गए हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ी है। इसके अलावा, बायोमेट्रिक उपस्थिति के साथ HRMS सॉफ्टवेयर कर्मचारियों के प्रबंधन को बेहतर बनाता है।

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First published on: Aug 13, 2025 08:20 PM

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