Kuno National Park: दक्षिण अफ्रीका ने मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में हुई दो चीतों की मौत को सामान्य बताया है। वानिकी, मत्स्य पालन और पर्यावरण विभाग (DFFE) ने कहा कि कूनो में दो चीतों की मौत टाइगर प्रोजेक्ट के लिए अपेक्षित मृत्युदर से भीतर है। जोखिम भरे पुनर्वास में यह होना सामान्य बात है।
डीएफएफई ने यह भी कहा कि बड़े मांसाहार जानवरों को फिर से बसाने का प्रोजेक्ट बेहद जटिल होता है। कई तरह के जोखिम होते हैं। जैसे-जैसे चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा, उनकी रोजमर्रा की गतिविधियों को काबू में रखना मुश्किल होता जाएगा। अभी तक अटॉप्सी रिपोर्ट नहीं आई है। पोस्टमार्टम के दौरान भी ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि चीतों में किसी तरह का कोई संक्रमण हुआ है और अन्य चीतों को किसी तरह का खतरा है।
अफ्रीका में भी हुई थी चीतों की मौत
विभाग ने कहा कि 11 दक्षिण अफ्रीकी चीते बड़े बाड़ों में हैं। उन पर दिन में दो बार कड़ी निगरानी रखी जाती है। चूंकि वे जंगली चीते हैं, इसलिए उनके व्यवहार, चाल-चलन और शरीर की स्थिति का दूर से मूल्यांकन किया जाना चाहिए, ताकि उनके स्वास्थ्य की स्थिति की सटीक जानकारी मिल सके। अगले दो महीने में ये चीते खुले जंगल में छोड़ दिए जाएंगे। कुनो में तेंदुए, भेड़िये, भालू और हाइना समेत कई जीव हैं।
अफ्रीका में भी जब चीतों को बसाया गया था तो खुले जंगल में छोड़ने के एक साल के भीतर कई चीते मारे गए थे। कई चीते कूनो नेशनल पार्क की सीमाओं से बाहर निकल जाएंगे। फिर उन्हें पकड़ा जाएगा तो वे तनाव में रहेंगे। एक बार चीतों को सीमा की पहचान हो जाए तो स्थिरता आ जाएगी।
इन दो चीतों की हुई मौत
23 अप्रैल: दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए छह वर्षीय चीते उदय की 23 अप्रैल को मौत हो गई थी।
27 अप्रैल: नामीबिया से भारत लाए गए आठ चीतों में से पांच वर्षीय साशा की 27 अप्रैल को मौत हुई थी। उसकी किडनी फेल हो गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन्मदिन पर किया था गिफ्ट
श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को छोड़ा था। इनमें पांच मादा और तीन नर चीते लाए गए थे। इसके बाद 18 फरवरी को कूनो नेशनल पार्क में साउथ अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए थे।
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