MP Assembly Election: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में आज शिवराज सरकार ने अंबेडकर महाकुंभ का आयोजन कराया। जिसमें सीएम शिवराज सिंह चौहान सहित बीजेपी के तमाम नेता शामिल हुए। साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव के नजरिए से यह आयोजन अहम माना जा रहा है। क्योंकि बीजेपी ग्वालियर-चंबल में अपनी पकड़ मजबूत बनाना चाहती है।
सीएम शिवराज ने किए बड़े ऐलान
कार्यक्रम में पहुंचे सीएम शिवराज ने कई बड़े ऐलान किए। उन्होंने अलग-अलग जातियों के बोर्ड बनाने की बात कही है। इसके अलावा सीएम शिवराज ने कहा कि ‘भारतीय जनता पार्टी सबकी जिंदगी कैसे बदले इस प्रयास में लगी हुई है, हमारे अनुसूचित जाति के भाई और बहन की चाहे शिक्षा का मामला हो या बेटा बेटियों का मामला हो चाहे रोजगार का सवाल हो और चाहे महिला सशक्तिकरण हो और चाहे मकान में रहने की जमीन हो या अलग-अलग समाजों की समस्याओं का समाधान, हम सब पर काम कर रहे हैं।’
अनुसूचित जाति वर्ग पर फोकस
सीएम शिवराज ने कहा कि ‘एक पंचतीर्थ की यात्रा जो डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर से संबंधित स्थान है, वह यात्रा मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन यात्रा में सम्मिलित की गई है इसके अतिरिक्त हमने अलग-अलग समाजों की उपजातियां की जो समस्याएं हैं, उनके समाधान के लिए उसी समाज से एक टीम बनाने का फैसला किया है, ताकि वह अपनी समस्याओं के बारे में विचार करके सरकार को कुछ सुझाव दें और उसमें से जो अमल करने लायक सुझाव हो उन पर अमल करें। इसलिए उनके अलग-अलग बोर्ड भी बनाए जाएंगे।’ सीएम शिवराज का यह ऐलान खास माना जा रहा है, जिसे अनुसूचित जाति वर्ग के फोकस से जोड़कर देखा जा रहा है।’
ग्वालियर-चंबल पर क्यों है बीजेपी का फोकस
गौरतलब है कि 2023 के लिए ग्वालियर चंबल में बीजेपी का यह सबसे बड़ा आयोजन है, जिसके जरिए अनुसूचित जाति वर्ग के वोटर पर बीजेपी का फोकस बना हुआ है। क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले एट्रोसिटी एक्ट को लेकर ग्वालियर-चंबल अंचल में ही सबसे ज्यादा माहौल बिगड़ा था, जिसका सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को हुआ था। बीजेपी को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में बीजेपी यहां एक्टिव हैं। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अंचल के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोम र भी एक्टिव है।
ग्वालियर-चंबल में 34 सीटें
बता दें कि ग्वालियर-चंबल अंचल में विधानसभा की 34 सीटें आती हैं, वर्तमान में अंचल की 7 में से 6 दलित सीटें कांग्रेस के खाते में है, लिहाजा अभी 34 में से बीजेपी और कांग्रेस के पास 17-17 सीटें हैं। मुख्य बात यह भी है कि 2018 में दलित वोटरों की नाराजगी के चलते बीजेपी ने मध्य प्रदेश की सत्ता खोई थी उस दौरान अंचल की 34 में से महज 7 सीटों पर बीजेपी सिमट गई थी। जबकि कांग्रेस के खाते में 26 सीटें आई थी और यही वजह रही कि कांग्रेस ने 33 साल पुराना रिकॉर्ड बनाया था। बीजेपी द्वारा आयोजित किए गए इस महाकुंभ के जरिए ग्वालियर चंबल अंचल की 34 सीटों पर पकड़ मजबूत करना है क्योंकि यहां दलित वोटरों की तादाद 15 से 45 फीसदी के लगभग है।