Gwalior Chambal Politics: आपने फिल्मी गीत ‘मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है, जरूर सुना होगा। विधानसभा चुनाव करीब आते ही ग्वालियर की राजनीति में यह गाना सबसे ज्यादा गुनगुनाया जा रहा है। क्योंकि पूरा मामला विधानसभा चुनावों से जुड़ा है। जिससे ग्वालियर में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं।
दूसरे क्षेत्रों में कर रहे दावेदारी
दरअसल, चुनाव के लिए ग्वालियर के नेता घर छोड़ बाहर टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। खास बात यह है कि ऐसे नेताओं की फेहरिस्त बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में है। हालांकि टिकट किसे मिलेगा किसे नहीं यह तो विधानचुनाव में ही पता चलेगा। लेकिन नेताओं ने अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं।
ग्वालियर में बीजेपी के दावेदार
- ग्वालियर पूर्व विधानसभा में रहने वाले जयभान सिंह पवैया ग्वालियर दक्षिण सीट से कर रहे दावेदारी
- ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले घनश्याम पिरोनिया भांडेर विधानसभा क्षेत्र से कर रहे हैं दावेदारी।
- ग्वालियर पूर्व विधानसभा में रहने वाले देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रामु तोमर मुरैना जिले की सुमावली सीट से कर रहे दावेदारी।
- ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह के बेटे राजेश सिंह सोलंकी ग्वालियर विधानसभा सीट से कर रहे टिकट की दावेदारी।
- ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले लोकेंद्र पाराशर भितरवार विधानसभा सीट से कर रहे हैं दावेदारी
कांग्रेस में भी लंबी लिस्ट
ये कहानी केवल बीजेपी की नहीं है बल्कि कांग्रेस में भी अपना घर छोड़ दूसरी विधानसभा से दावेदारी करने वालों का जमघट है। कांग्रेस में भी ऐसे नेताओं की फेहरिस्त लंबी है। जिससे टिकट वितरण में यहां कांग्रेस को भी खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
- ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह ग्वालियर ग्रामीण सीट से कर रहे टिकट की दावेदारी।
- ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले साहब सिंह गुर्जर ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट से कर रहे दावेदारी।
- ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव मितेंद्र सिंह ग्वालियर विधानसभा सीट से कर रहे दावेदारी।
- ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में रहने वाली संजू जाटव भिंड की गोहद सीट से कर रही दावेदारी।
- ग्वालियर पूर्व विधानसभा में रहने वाले केदार सिंह कंषाना ग्वालियर ग्रामीण से दावेदारी कर रहे है।
बीजेपी-कांग्रेस का एक ही तर्क
अपना घर छोड़ दूसरी विधानसभा सीट पर दावेदारी करने के मसले पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों का कहना है कि नेता की जन्मभूमि अपनी जगह है, लेकिन कर्मभूमि दूसरी जगह हो सकती है। इसलिए जो दावेदार जहां मेहनत करता है उसी विधानसभा सीट पर वह अपने टिकट के लिए मशक्कत करता है। हालांकि भाजपा और कांग्रेस दोनों का इस मसले में एक ही तर्क है कि दावेदारी करना सबका हक है चाहे कहीं से करें लेकिन टिकट देना पार्टी के आला नेताओं का काम है जो सर्वे और योग्य उम्मीदवार के आधार पर ही तय किया जाता है।
बड़े नेताओं का अपनी विधानसभा छोड़ दूसरी विधानसभा से दावेदारी करने से दोनों ही पार्टियों के स्थानीय दावेदारों में नाराजगी होती हैं। इन हालातों में कई बार नाराज कार्यकर्ता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में भी चले जाते हैं। लेकिन इस पर दोनों ही पार्टी एकमत है इनका कहना है कि जीतने योग्य दावेदार के लिए विधानसभा की सीमाओं का कोई बंधन नहीं रहता।
ग्वालियर से कर्ण मिश्रा की रिपोर्ट