Madhya Pradesh News:Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान के कई जिलों में कफ सिरप के कारण कई बच्चों की मौत हो गई. रविवार को MP के बैतूल में भी 2 बच्चों की मौत की खबर सामने आई है. इसके बाद मध्यप्रदेश में बच्चों की मौत का आंकड़ा 16 पर पहुंच गया है. वहीं इस मामले में रविवार को केन्द्रीय स्वास्थय सचिव ने भी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की है. बैठक में केन्द्रीय सचिव ने सभी अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं.
मध्य प्रदेश में अबतक 16 बच्चों की मौत
मध्यप्रदेश के बैतूल में कफ सिरप के कारण 2 बच्चों की मौत की खबर सामने आ रही है. वहीं एमपी के छिंदवाड़ा में अब तक 14 बच्चों की मौत कफ सिरफ के कारण मौत हो चुकी है. वहीं बैतूल में भी दोनों बच्चों की किडनी फेल होने की बात सामने आई है. बताया जा रहा है कि इन दोनों बच्चों का उपचार डॉ. प्रवीन सोनी ने किया था और दोनों बच्चों को कोल्ड्रिफ (Coldrif) कफ सिरप दी गई थी. वहीं छिंदवाड़ा जिले में हुई बच्चों की मौत के मामले में प्रशासन द्वारा भी कड़ी कार्रवाई शुरू हो गई . एडीएम धीरेंद्र सिंह के अनुसार, छिंदवाड़ा में तक 14 बच्चों की मौत की पुष्टि हुई है. इन सभी मामलों में मुआवजा स्वीकृत कर दिया गया है और राशि परिजनों के खातों में पहुंच चुकी है. वहीं बताया जा रहा है कि छिंदवाड़ा के 8 बच्चे का उपचार नागपुर के अस्पताल में हो रहा है. अस्पताल में बच्चों की स्थिति पर नजर रखने के लिए प्रशासन स्तर पर एक टीम गठित की गई है. इसके अलावा ड्रग कंट्रोलर की टीम का भी गठन किया गया है. यह टीम राज्य में प्रतिबंधित कोल्ड्रिफ कफ सिरप को जब्त कर रही है.
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केन्द्रीय स्वास्थय सचिव ने दिए निर्देश
वहीं कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने खांसी की दवाओं की गुणवत्ता और तर्कसंगत उपयोग पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की है. इस दौरान उन्होंने सभी दवा निर्माताओं द्वारा संशोधित शेड्यूल ‘एम’ का कड़ाई से पालन करने पर जोर दिया है. इसके अलावा गैर अनुपालक इकाइयों के लाइसेंस रद्द करने की आदेश दिया है. उन्होंने राज्यों से बच्चों में खांसी की दवाओं के तर्कसंगत उपयोग पर बल देने को कहा हैं, क्योंकि अधिकांश खांसी अपने आप ठीक हो जाती है और इसके लिए दवाई से उपचार की आवश्यकता नहीं होती. राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी गई कि सभी स्वास्थ्य संस्थानों से बेहतर निगरानी और समय पर रिपोर्टिंग की जाएं, आईडीएसपी-आईएचआईपी के सामुदायिक रिपोर्टिंग टूल का प्रसार करें और जल्द से जल्द रिपोर्टिंग और संयुक्त कार्रवाई के लिए राज्यों के बीच समन्वय मजबूत बनाएं.
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