नई दिल्ली: करीब 70 सालों के लंबे इंतजार के बाद देश में एक बार फिर चीतों का दीदार हो सकेगा। फिलहाल आठ चीतों को नामीबिया के अलग-अलग इलाकों से भारत लाया जा रहा है। इन चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में रखा जाएगा।
आठ चीतों में पांच मादा, तीन नर
भारत लाए जा रहे आठ चीतों में साढ़े पांच साल के दो नर, एक साढ़े 4 साल का नर, ढाई साल की एक मादा, 4 साल की एक मादा, दो साल की एक मादा और 5 साल की दो मादा चीता शामिल है।
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PM मोदी को जन्मदिन पर खास गिफ्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 8 चीतों को छोड़ा जाएगा। नामीबिया से विशेष प्रोजेक्ट के तहत भारत लाए जा रहे चीतों का वीडियो भी सामने आया है।
बोईंग 747 से लाए जा रहे चीते
नामीबिया के हुशिया कोटाको इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इन चीतों को बोईंग 747 विशेष विमान के जरिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर लाया जाएगा। यहां से हेलीकॉप्टर की मदद से इन चीतों को कुनो नेशनल पार्क में शिफ्ट किया जाएगा।
बता दें कि चीता को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। नामीबिया के चीतों को भारत लाने के लिए इस साल की शुरुआत में एक समझौता हुआ था।
16 घंटे की यात्रा, फिर ऐसे होगा चीतों का स्वागत
जानकारी के मुताबिक नामीबिया से भारत आते वक्त चीतों को खाली पेट रखा जाएगा। कुल 8280 किमी के लंबे सफर में इन्हें खाली पेट इसलिए रखा जा रहा है जिससे इन्हें उल्टी, बैचैनी जैसी समस्या नहीं हो। चीतों की भूख मिटाने के लिए यहां 181 चीतल छोड़े गए हैं।
चीतों पर पांच साल में खर्च होंगे 75 करोड़ रुपये
नामीबिया से भारत लाए गए चीतों पर पांच सालों में कुल 75 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के बीच MoU साइन किया गया है। पांच सालों में इंडियन ऑयल 50 करोड़ जबकि अन्य खर्च मंत्रालय करेगा।
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चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क ही क्यों?
चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क को चुनने सबसे बड़ी वजह ये है कि यहां उनके खाने की कमी नहीं होगी। कूनो में चीतों के पसंदीदा शिकार चीतल की भरपूर मात्रा है। चीतल के अलावा चीतों के शिकार के लिए यहां अन्य जीव जैसे सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा, चौसिंघा, ब्लैक बक, ग्रे लंगूर, लाल मुंह वाले बंदर, शाही, भालू, सियार, लकड़बग्घे, ग्रे भेड़िये, गोल्डेन सियार, बिल्लियां जैसे कई जीव हैं। यानी जमीन हो या फिर ऊंचे इलाके, किसी भी परिस्थिती में चीतों के लिए खाने की कमी नहीं होगी। करीब 748 वर्ग किलोमीटर में फैले इस नेशनल पार्क में इंसानों का आना-जाना बिलकुल कम है।
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