Dhulu Mahto Vs Saryu Roy: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी ताकत से झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इसके लिए जेडीयू ने झारखंड के कुछ बड़े नेताओं को पार्टी ज्वॉइन कराई है। इनमें सरयू राय और राजा पीटर का नाम प्रमुख है। जेडीयू वैसे तो झारखंड में 10 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन अभी तीन सीटों पर उसकी पक्की दावेदारी नजर आ रही है। इसमें एक सीट जमशेदपुर पूर्वी भी है। यहां से सरयू राय ने पिछली बार बीजेपी नेता और मुख्यमंत्री रघुबर दास को हराकर कोयलांचल में तहलका मचा दिया था, लेकिन इस बार सरयू राय के खिलाफ धनबाद से बीजेपी सांसद ढुलू महतो ने मोर्चा खोल दिया है।
सरयू राय जहां से लड़ेंगे विरोध करेंगेः ढुलू महतो
ढुलू महतो और सरयू राय के बीच की अदावत 2024 के लोकसभा चुनाव में खुलकर दिखी। बीजेपी ने धनबाद से ढुलू महतो को चुनावी मैदान में उतारा तो सरयू राय, ढुलू का विरोध करने धनबाद पहुंच गए। उन्होंने ढुलू की प्रतिद्वंदी कांग्रेस की उम्मीदवार अनुपमा सिंह को अपना आशीर्वाद भी दिया था। लेकिन ढुलू महतो ने बड़ी जीत दर्ज की और सरयू राय के लगातार कैंपेनिंग करने के बावजूद अपना झंडा बुलंद किया। अब बारी ढुलू महतो की है। सरयू राय जेडीयू में शामिल हो गए हैं और कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो जमशेदपूर्वी सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस बीच ढुलू महतो ने कहा है कि सरयू राय जहां से भी चुनाव लड़ेंगे। उनका विरोध करेंगे।
ढुलू महतो कोयलांचल में अपना दबदबा रखते हैं। 2024 के चुनाव में बीजेपी नेताओं की नाराजगी के बावजूद उन्होंने धनबाद का चुनाव जीता। ढुलू महतो का सरयू राय के खिलाफ मोर्चा खोलना कोई सामान्य बात नहीं है। झारखंड में महतो समुदाय की आबादी 15 प्रतिशत से ज्यादा है। महतो समुदाय परंपरागत तौर पर बीजेपी को वोट करता रहा है। धनबाद सांसद खुद आर्थिक तौर पर बेहद मजबूत और दबदबे वाले रवैये के लिए जाने जाते हैं। पार्टी आलाकमान ने अगर हस्तक्षेप नहीं किया तो सरयू राय के लिए इस बार मुश्किल हो सकती है।
सरयू राय 2019 के चुनाव से पहले बीजेपी में ही थे, लेकिन बाद में इस्तीफा दे दिया और रघुबर दास के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा। सरयू राय को निर्दलीय के तौर पर 73,945 वोट मिले थे, जबकि रघुबर दास को 58,112 वोट मिले। रघुबर दास इस सीट से लगातार पांच बार विधायक रहे थे। 1995 से 2014 तक उन्होंने लगातार जीत दर्ज की। रघुबर दास इस समय ओडिशा के राज्यपाल हैं और सरयू राय एनडीए के अहम सहयोगी नीतीश कुमार के खासमखास हैं। देखना होगा नीतीश कुमार इस लड़ाई को कैसे मैनेज करते हैं।
जेडीयू के लिए सीट छोड़ेगी बीजेपी
जमशेदपुर पूर्वी को लेकर एक और अहम सवाल है कि यह सीट बीजेपी का गढ़ रही है तो क्या बीजेपी, जेडीयू के लिए यह सीट छोड़ेगी। सरयू राय ने भले ही 2019 में यह सीट छीन ली थी, लेकिन बीजेपी यहां से जीतती रही है। इस बीच पूर्व क्रिकेटर सौरभ तिवारी भी चुनावी मैदान में डेब्यू करने के लिए तैयार हैं। वह जनता के बीच हैं और लगातार संपर्क अभियान चला रहे हैं। भाजपा नेता अभय सिंह भी इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में है। अभय सिंह बीजेपी में विलय से पहले बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का हिस्सा रहे हैं। लिहाजा उनके दावे को खारिज करना भी पार्टी आलाकमान के लिए आसान नहीं होगा।