Haryana Assembly Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में जींद जिले की उचाना सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। कांग्रेस ने यहां से हिसार के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह, JJP-ASP गठबंधन से पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला मैदान में हैं। वहीं, BSP-INLD ने विनोद पाल सिंह और BJP ने देवेंद्र अत्री को टिकट दिया है। 2019 में दुष्यंत यहां से साढ़े 47 हजार वोटों से जीते थे। कांग्रेस से बागी वीरेंद्र घोघड़ियां और दिलबाग संडील आजाद लड़ रहे हैं। इस सीट पर 2.17 लाख वोटर हैं, जिनमें से 1.7 लाख जाट हैं। बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र और दुष्यंत जाट समाज से हैं। दोनों परिवारों की प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर है। किसान आंदोलन के कारण बीजेपी के अलावा दुष्यंत को भी किसानों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।
🔳Uchana Kalan Assembly Constituency:
---विज्ञापन---◾JJP-ASP – Dushyant Chautala (Current MLA)
◾Congress – Brijendra Singh
◾BJP – Devendra Atri
◾AAP -Pawan Fauji
◾INLD-BSP – Vinod DhulachWho is going to win the election?#HaryanaElections2024 pic.twitter.com/mOAUbuNXvl
---विज्ञापन---— Desh Ka Verdict (@DeshKaVerdict) September 13, 2024
बृजेंद्र को कांग्रेस वेव और किसानों का लाभ मिल सकता है। निर्दलीय वीरेंद्र घोघड़ियां उनकी दिक्कतें बढ़ा रहे हैं। वे भी जाट हैं। उचाना में 28 हजार ब्राह्मण, 23 हजार OBC, SC के 26 हजार और वैश्य वोटर करीब 7 हजार हैं। विकास काला भी निर्दलीय हैं। अगर जाट वोट बृजेंद्र, दुष्यंत, वीरेंद्र और विकास काला में बंटे तो बीजेपी को फायदा मिलेगा। अगर जाट एकजुट रहे तो बीजेपी की राह आसान नहीं होगी। भाजपा को गैर जाट वोटों से उम्मीदें हैं। OBC, SC यहां निर्णायक साबित हो सकते हैं। SC वोटर निर्दलीय वीरेंद्र घोघड़ियां के साथ जा सकते हैं। उचाना सीट पर किसानों के लगभग सवा लाख वोट हैं। पिछले चुनाव में ये जजपा को मिले थे। लेकिन इस बार कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो सकते हैं।
देवेंद्र चतरभुज अत्री भाजपा प्रत्याशी ने किया दावा, उचाना विधानसभा की जनता खिलाएगी कमल
Read more ⬇️
https://t.co/5N9YCcm9B8 pic.twitter.com/4YWTMCwQC1— Nishpaksh Mat (@NishpakshMat) September 29, 2024
पहली बार बीरेंद्र सिंह जीते थे यहां से
उचाना सीट 1977 में बनी थी। पहला चुनाव बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर जीता। बृजेंद्र के पिता बीरेंद्र सिंह इस सीट से 5 बार विधायक बन चुके हैं। जो कई बार मंत्री रहे हैं। 2009 में वे सिर्फ 621 वोटों से ओमप्रकाश चौटाला से हारे थे। जिसके बाद कभी चुनाव नहीं लड़ा। ये अब तक की सबसे छोटी हार है। 2014 में बीरेंद्र परिवार BJP में चला गया। 2014 में उनकी पत्नी प्रेमलता यहां से विधायक बनीं। 2019 में प्रेमलता को साढ़े 47 हजार वोटों से दुष्यंत ने हराया। ये अब तक की सबसे बड़ी जीत है।
Dushyant Chautala speaks from heart today at uchana rally. @Dchautala pic.twitter.com/khW73asrGL
— Prateek som (@Prateeksom2) October 2, 2024
बृजेंद्र IAS अफसर रहे हैं। 2019 में VRS लेकर BJP के टिकट पर हिसार लोकसभा से चुनाव लड़ा और जीतकर सांसद बने। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसके बजाय पार्टी ने जयप्रकाश को टिकट दिया। अब बृजेंद्र जनता के बीच जाकर रोजगार, पेंशन आदि के नाम पर वोट मांग रहे हैं। बीजेपी कैंडिडेट देवेंद्र अत्री के पिता चतुभुर्ज अत्री यहां के बड़े समाजसेवी रहे हैं। देवेंद्र काफी समय से इस सीट पर सक्रिय हैं, जो अपना पहला चुनाव लड़ रहे हैं। जनता के बीच जाकर बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुए कामों के आधार पर वे वोट मांग रहे हैं। वहीं, दुष्यंत चौटाला अपने डिप्टी सीएम रहते हुए कामों को जनता के बीच रख रहे हैं।
Ch Brijendra Singh pic.twitter.com/lCoqAUoPSB
— Ravinder Numberdar Koth ( Birender Singh ke sathi) (@Ravinde51617957) October 1, 2024
वीरेंद्र ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें
दुष्यंत 2014 में हिसार से सांसद बने थे। जिनको 2019 में बृजेंद्र ने हरा दिया। बाद में दुष्यंत ने उचाना से विधानसभा चुनाव लड़ा और बृजेंद्र की मां को हरा दिया। इसके बाद उन्होंने ऐलान किया था कि अगला यानी 2024 का चुनाव भी उचाना सीट से लड़ेंगे। निर्दलीय वीरेंद्र सिंह घोघड़ियां गांव के हैं। वे हुड्डा के करीबी रहे हैं। बीरेंद्र परिवार के BJP में जाने के बाद वे यहां एक्टिव थे। लेकिन बीरेंद्र वापस कांग्रेस में आ गए। जिसके बाद अब वीरेंद्र निर्दलीय लड़ रहे हैं। उनको घोघड़ियां, भौंसला, कालता, रोजखेड़ा और छापड़ा के लोगों का भी साथ मिल रहा है। माना जा रहा है कि यहां के 12 हजार वोटर खेल कर सकते हैं। देखने वाली बात होगी कि जनता इस बार किसको अपना विधायक चुनती है?
यह भी पढ़ें:HOT सीट सिरसा… गोपाल कांडा और गोकुल सेतिया में कांटे का मुकाबला, HLP-INLD गठबंधन से कितने बदले समीकरण?