Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में टिकट वितरण के बाद से ही बीजेपी में बागियों ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की नींद उड़ा दी है। गुरुग्राम सीट प्रदेश की हाॅट सीट बनी हुई है। गुरुग्राम की 4 में से 2 सीटों पर बागी बीजेपी के लिए मुसीबत बने हुए हैं। वहीं एक और सीट है जोकि बीजेपी और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के लिए नाक की लड़ाई बनी हुई है और वह है अटेली विधानसभा। यहां से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव मैदान में हैं। उन्हें कांग्रेस की अनीता यादव कड़ी टक्कर दे रही हैं। अनीता यादव 2009 में इस सीट से सांसद रह चुकी हैं। ऐसे में आइये जानते हैं प्रदेश की इन दो हाॅट सीटों पर क्या हैं समीकरण?
बीजेपी ने गुरुग्राम सीट पर पहली बार ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेला है। यहां पार्टी ने जीएल शर्मा की जगह मुकेश शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। जीएल शर्मा का टिकट कटने के बाद कई संगठन अब सीधे तौर पर बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़ रहे नवीन गोयल को सपोर्ट कर रहे हैं। पार्टी यहां पर जातीय समीकरणों में उलझती नजर आ रही है। बीजेपी के बागी नवीन गोयल को ब्राह्मण के साथ ही पूरा वैश्य समाज भी सपोर्ट कर रहा है। बता दें कि टिकट नहीं मिलने के बाद बीजेपी व्यापार प्रकोष्ठ के पूर्व संयोजक नवीन गोयल इस्तीफा देकर निर्दलीय ही मैदान में उतर गए।
वैश्यों के वोट खिसके तो बीजेपी को नुकसान तय
वैश्य समाज को बीजेपी का मूल काडर का वोट बैंक माना जाता है। उसको निर्दलीय के पक्ष में जाता देख बीजेपी ने शुक्रवार को यहां केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की रैली करवाई। इस दौरान मंच से केंद्रीय मंत्री ने गोयल को मैदान से हट जाने को कहा और बीजेपी प्रत्याशी को समर्थन देने के लिए कहा। ऐसे में केंद्रीय मंत्री का बयान लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया।
भाजपा प्रत्याशी हार चुके हैं दो चुनाव
केंद्रीय मंत्री के बयान पर बागी उम्मीदवार नवीन गोयल ने पलटवार करते हुए कहा कि मुकेश शर्मा का इतिहास जानने के साथ ही उनकी वायरल वीडियो भी सुननी चाहिए। उन्होंने 2014 में बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ा। उन्होंने पार्टी के सभी बडे़ नेताओं की आलोचना की। फिर वो कैसे सच्चे नेता हो सकते हैं। इसके बाद बावजूद पार्टी ने उनको टिकट दी। अब अगर नवीन गोयल भी चुनाव के बाद घर वापसी करेंगे तो क्या दिक्क्त है। बता दें कि भाजपा प्रत्याशी मुकेश शर्मा बादशाहपुर सीट से 2009 और 2014 में चुनाव लड़ चुके हैं।
अटेली में बीजेपी के लिए फंस गया मुकाबला
वहीं अटेली सीट पर इस बार मुकाबला तिकोना हो गया है। बीजेपी की आरती राव, कांग्रेस की अनीता यादव के अलावा यहां तीसरे उम्मीदवार ठाकुर अतरलाल है। जोकि राजपूत समुदाय से आते हैं। इस सीट पर राजपूतों के 8 प्रतिशत वोट है। वहीं बसपा से गठजोड़ के बाद उन्हें 20 प्रतिशत एससी वोट बैंक का फायदा मिल सकता है। अतरलाल 20 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। वे 15 साल से चुनाव लड़ रहे हैं। अहीर वोटर्स की सहानुभूति भी उन्हें फायदा पहुंचा सकती हैं।
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जानें क्या कहते हैं समीकरण
अटेली में सबसे ज्यादा अहीर मतदाता हैं। यहां से 3 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। इनके बीच वोटों का बंटवारा हो सकता है। इसके अलावा 20 प्रतिशत वोट दलितों के हैं। जो कांग्रेस को मिल सकते है। वहीं 8 प्रतिशत राजपूत वोट अगर अतर लाल के पक्ष में गए तो मुकाबला फंस सकता है। इस सीट पर 1967 से लेकर अब तक 13 चुनाव हुए हैं। एक उपचुनाव में अहीर उम्मीदवार ने यह सीट जीती है। इन 14 चुनावों में 2 बार निर्दलीय भी यहां से जीते तो वे भी अहीर समुदाय से ही थे।
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