Congress AAP Alliance: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर कांग्रेस और बीजेपी उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने में जुटे हैं। कांग्रेस ने 34 सीटों पर उम्मीदवार लगभग फाइनल कर लिए हैं। तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी भी 55 सीटों की जंबो लिस्ट निकालने की तैयारी में है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दोनों पार्टियां एक-दो दिन में पहली लिस्ट जारी कर सकती है। इस बीच कांग्रेस प्रदेश में 10 साल का जीत का सूखा खत्म करना चाहती है। इसके लिए वह गठबंधन की राजनीति की रास्ते भी तलाश रही है। इससे पहले दोनों ही पार्टियां कह चुकी हैं कि वे हरियाणा के विधानसभा चुनाव में अलग-अलग मैदान में उतरेंगे। ऐसे में आइये जानते हैं अगर हरियाणा में कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन होता है तो बीजेपी को क्या नुकसान होगा?
हरियाणा विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए कांग्रेस सीईसी की बैठक सोमवार को हुई। इस बैठक में राहुल गांधी भी शामिल हुए। बैठक के दौरान उन्होंने यह कहते हुए सबको चौंका दिया कि हम हरियाणा में आप के साथ गठबंधन कर सकते हैं क्या? उन्होंने हरियाणा के स्थानीय नेताओं पर इसे लेकर एक रिपोर्ट मांगी। इतना ही नहीं कांग्रेस ने केसी वेणुगोपाल के नेतृत्व में दीपक बाबरिया, अजय माकन और भूपेंद्र हुड्डा की एक कमेटी भी बनाई है।
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हरियाणा में 10 सीटें मांग रही AAP
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव में 3-4 सीटें देने पर सहमत है। हालांकि आप पार्टी 10 सीटें मांग रही हैं। इसको लेकर चंडीगढ़ या दिल्ली में आप नेताओं और कांग्रेस की 4 सदस्यीय कमेटी बैठक भी कर सकती है। ऐसे में सवाल यह है कि अगर कांग्रेस और आप साथ चुनाव लड़ते हैं बीजेपी को क्या नुकसान होगा?
1. अगर कांग्रेस और आप साथ चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी की नाॅन जाट पाॅलिटिक्स पर पानी फिर सकता है। आप के साथ आने से कांग्रेस को दलित और ओबीसी के वोट मिल सकते हैं।
2. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार की बड़ी वजह यह गठबंधन ही था। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस 9 और आप 1 सीट पर मिलकर चुनाव लड़े। नतीजा यह हुआ कि बीजेपी 10 से 5 सीटों पर आ गई। वहीं कांग्रेस ने 5 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की।
3. आप के सपोर्ट की वजह से 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले कांग्रेस को 2024 में 7.87 प्रतिशत वोट ज्यादा मिले।
4. दोनों पार्टियां चंडीगढ़ मेयर चुनाव और चंडीगढ़ लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं।
5. कांग्रेस- आप के अलग-अलग लड़ने का फायदा बीजेपी को मिल सकता था, गुजरात में दोनों के अलग-अलग लड़ने का नुकसान कांग्रेस को हुआ, नतीजन पार्टी की सीटें कम हो गई।
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