Gujarat Education Model: पिछले 15 सालों में गुजरात के सरकारी स्कूलों को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं। साल 2010 से 2025 के बीच गुजरात विधानसभा में सत्र के दौरान बार-बार एक ही सवाल गूंजता रहा कि राज्य में कितने सरकारी स्कूल बंद हुए हैं? वहीं, इस दौरान सरकार के जवाबों में छिपी कई परतें भी सामने आईं। लेकिन गुजरात के शिक्षा मॉडल की सच्चाई जानने के लिए न्यूज24 की टीम गुजरात पहुंची। यहां टीम अलग-अलग जिलों में गई और गुजरात के शिक्षा मॉडल की जमीनी हकीकत सामने रखी है। चलिए पढ़ते हैं कि न्यूज24 की रिपोर्ट में क्या कुछ लिखा हुआ है।
शिक्षा मॉडल पर सरकार का जवाब
रिपोर्ट में बताया गया कि 2017 से 2023 के दौरान अलग-अलग विधानसभा सत्र में विपक्ष द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि पिछले 8 सालों में 525 स्कूल बंद और 5912 स्कूलों को मर्ज किया गया है। वहीं, साल 2021 से 2024 के दौरान आयोजित विधानसभा सत्र में बताया गया कि सरकार ने पहले चरण में 5000 स्कूलों के विलय की योजना बताई है, जिसके साथ कुल 13000 स्कूलों को मर्ज करने की नीति पर काम जारी है। इसके अलावा, साल 2020 से 2022 तक आयोजित विधानसभा सत्र में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि राज्य में 86 सरकारी स्कूल बंद हुए हैं और 491 स्कूलों का विलय किया गया है। वहीं, गुजरात में साल 2023-25 के बीच में 33 जिलों में कुल 54 सरकारी प्राथमिक स्कूल बंद हुए थे।
8 सालों में 525 सरकारी स्कूल बंद
इस साल मार्च 2025 की विधानसभा सत्र में कांग्रेस विधायक किरीट पटेल के सवाल पर सरकार ने माना की द्वारका में 1 अरवल में 7, अमरेली में 6, पोरबंदर में 6, जूनागढ़ में 4 छोटा उदेपुर में 3, कच्छ में 3, राजकोट में 3 सरकारी स्कूल बंद हुए है। वहीं खेड़ा, जामनगर, नवसारी में 2-2 और भावनगर, दांग, गिर सोमनाथ, महेसाणा, पंचमहल, सूरत और सुरेंद्रनगर में 1–1 स्कूल बंद हो गए। अबतक के विधानसभा सत्र में सरकार की तरफ से मिले जवाबों के अनुसार, पिछले 8 सालों में अकेले गुजरात अंदर 525 सरकारी स्कूल बंद हो गए हैं। इसके अलावा, गुजरात सरकार कम छात्र होने की वजह से 5912 सरकारी स्कूलों को बंद करने की योजना बना रही है। इन सबके बावजूद सरकार का दावा है कि वो सुधार की राह पर है। इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से कई जरूरी कदम उठाए है।
शिक्षा मॉडल में हो रहे हैं बदलाव
- बैग‑लेस शनिवार योजना शुरू की गई। जुलाई 2025 में राज्य सरकार ने कक्षा 1 से लेकर 8वीं तक के छात्रों के लिए हर शनिवार बिना बैग स्कूल चलाने का फैसला लिया है। शनिवार को छात्रों को सिर्फ स्कूल में खेल‑कूद, योग, संगीत और आर्ट-वर्क जैसी एक्टिविटिज करवाई जाती हैं।
- शाला प्रवेशोत्सव (Shala Praveshotsav) की शुरुआत की गई। इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने जून 2025 में की और इसके तहत कक्षा पहली, 9वीं और 11वीं के छात्रों का नामांकन स्वयं किया। शाला प्रवेशोत्सव का लक्ष्य 25.75 लाख बच्चों को 2025‑26 सेशन के लिए नामांकित करना है। इसमें कक्षा 9वीं के लिए 10.56 लाख, कक्षा 10वीं-11वीं के लिए 6.5 लाख और कक्षा 1 के लिए 8.75 लाख बच्चों का नामांकन शामिल है।
- School of Excellence पहल के तहत सरकार प्रस्ताव रख रही है कि लगभग 1 प्रतिशत निजी स्कूलों को “School of Excellence” का दर्जा दे कर उन्हें शुल्क और पाठ्यक्रम में अधिक स्वायत्तता दी जाए।
- वडोदरा जिले में पिछले 6 सालों में 7,211 छात्र निजी से सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर हुए। ये सब राज्य के सुधार, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षण गुणवत्ता, डिजिटल क्लास और मुफ्त शिक्षा के कारण हुआ।
- स्कूल ऑन व्हील्स प्रोजेक्ट के तहत कच्छ, मोरबी, पाटण और सुरेन्द्रनगर जिलों में गरीब बच्चों के लिए मोबाइल वैन में कुल 38 स्कूल शुरू किए गए हैं।