नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। आनंद शर्मा ने ट्विटर पर लिखा, “मैंने हिमाचल चुनाव के लिए कांग्रेस की संचालन समिति की अध्यक्षता से भारी मन से इस्तीफा दिया है। यह दोहराते हुए कि मैं आजीवन कांग्रेसी हूं और अपने विश्वासों पर कायम हूं।”
शर्मा ने आगे कहा, “मेरे खून में चलने वाली कांग्रेस की विचारधारा के लिए मैं प्रतिबद्ध हूं, इसमें कोई संदेह नहीं है। हालांकि, एक स्वाभिमानी व्यक्ति के रूप में निरंतर अपमान को देखते हुए मेरे पास कोई विकल्प नहीं था।”
Congress leader Anand Sharma resigns the post of chairman of Steering Committee for Himachal assembly polls
"Committed to Congress ideology that runs in my blood, let there be no doubts about this… as a self-respecting person- I was left with no choice," he tweeted pic.twitter.com/Szh8iRv522
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) August 21, 2022
सूत्रों के मुताबिक, शर्मा ने सोनिया गांधी को लिखे एक पत्र में कहा है कि परामर्श प्रक्रिया में मेरी उपेक्षा की गई। हालांकि, उन्होंने सोनिया गांधी से कहा है कि वह राज्य में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करना जारी रखेंगे। उन्होंने कथित तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष को अपने पत्र में कहा है कि उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंची है क्योंकि उन्हें पार्टी की किसी भी बैठक के लिए परामर्श या आमंत्रित नहीं किया गया है।
26 अप्रैल को संचालन समिति के अध्यक्ष पद पर किया गया था नियुक्त
बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता को 26 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में संचालन समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। शर्मा को हिमाचल प्रदेश के बड़े नेताओं में से एक माना जाता है। शर्मा ने पहली बार 1982 में विधानसभा चुनाव लड़ा था और 1984 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया गया था, तब से राज्यसभा सदस्य हैं और पार्टी में कई प्रमुख पदों पर रहे हैं।
पांच दिन पहले आजाद ने भी दिया था इस्तीफा
बता दें कि पांच दिन पहले कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद के इसी तरह का कदम उठाते हुए 16 अगस्त को जम्मू-कश्मीर कांग्रेस अभियान समिति के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था। बता दें कि आजाद और शर्मा दोनों G23 समूह के प्रमुख नेता हैं, जो पार्टी नेतृत्व के फैसलों के आलोचक रहे हैं।