अमित पांडे, नई दिल्ली: दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के हर घर को 24 घंटे नल से साफ पानी देने की दिशा में युद्धस्तर पर काम कर रही है। इसी क्रम में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली जलबोर्ड को नांगलोई वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) में स्पेस सेविंग टेक्नोलॉजी के साथ नए फिल्टर हाउस के निर्माण कार्य की परियोजना को मंजूरी दी। इस परियोजनाओं की कुल लागत 59.7 करोड़ रुपये है। परियोजना के पूरा होने के बाद नांगलोई वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस यह फिल्टर हाउस गर्मी या पानी का ज्यादा मांग के समय करीब 10-15 फीसद ज्यादा पानी का ट्रीट कर सकेगा।
इससे दिल्ली के विभिन्न इलाकों में पानी की जरूरत को पूरा करने में मदद मिलेगी। वहीं, गर्मी में पानी की किल्लत से लोगों को मुक्ति मिलेगी। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अधिकारियों को नांगलोई वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) में बनने वाले नए फिल्टर हाउस के कार्य को समय सीमा के अंदर काम पूरा करने के निर्देश दिए है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सेफ्टी-सिक्योरिटी व क्वालिटी के सभी मानकों का पालन प्रतिबद्धता के साथ सुनिश्चित किया जाएगा।
पुरानी पाइपलाइन बदलेगी
मनीष सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार राष्ट्रीय राजधानी में विभिन्न इलाकों में पानी की पुरानी पाइपलाइन बदकर नई पाइपलाइन बिछाने, विभिन्न वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाने व सभी लोगों के घरो में शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की दिशा में चरणबद्ध तरीके से काम कर रही है। दिल्लीवालों को 24 घंटे नल से साफ पानी मिले इसी को ध्यान में रखते हुए केजरीवाल सरकार ने नांगलोई वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) में स्पेस सेविंग टेक्नोलॉजी के जरिए नया फिल्टर हाउस बनाने निर्णय लिया है।
नए प्री-सेटलिंग टैंक बनेगा
इस परियोजना के तहत गाद की समस्या से निपटने के लिए दो नए प्री-सेटलिंग टैंक बनाए जाएंगे। इसके अलावा इनलेट चैंबर फ्लैश मिक्सर, हाइ रेट लैमेला क्लैरिफायर और उच्च दर वाले गहरे बेड्स फिल्टर बनाए जाएंगे। इसके निर्माण में जगह की बचत के लिए स्पेस सेविंग टेकोनॉलिजी का इस्तेमाल किया जाएगा। पानी को बेहतर तरीके से ट्रीट करने के अलावा इसके संचालन व मेंटेनेंस की लागत का भी ध्यान रखा जाएगा।
पानी का ओवरलोड ले सकेगा
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि नांगलोई वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) में कुल 16 फिल्टर बेड्स है, जिसमें ज्यादातर फिल्टर बेड्स की तत्काल मरम्मत कर उन्हें अपग्रेड करने की जरूरत है। गनिटिंग (सीमेंट और रेत से किया गया निर्माण कार्य) द्वारा किए गए मरम्मत कार्य ज्यादा समय तक नहीं चल सकता है, इसलिए दिल्ली सरकार ने नया फिल्टर हाउस बनाने का फैसला लिया है। वर्तमान में, 40 एमजीडी नांगलोई डब्ल्यूटीपी से मौजूदा फिल्टर बेड्स के माध्यम से करीब 44 एमजीडी पानी ट्रीट हो रहा है। वहीं, आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस नए फिल्टर हाउस को इस तरीके से डिजाइन किया जाएगा कि यह गर्मियों के सीजन में पानी का ओवरलोड ले सकेगा, और करीब 10-15 फीसद ज्यादा पानी को ट्रीट करेगा। साथ ही यह पॉल्यूटेंट लोड भी ज्यादा लेगा।
क्यों जरूरी है फिल्टर हाउस का निर्माण?
वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में फिल्टर बेड्स, यानी सेंड फिल्टर होते हैं, जिसमें एक टैंक में रेत भरी होती है। फिल्ट्रेशन प्रक्रिया में पानी में बच गई सुक्ष्म कण, वायरस, बैक्टीरिया, स्वाद, गंध वगैरह को दूर किया जाता है। फिल्टर बेड्स के खराब होने की वजह से पानी की क्वॉलिटी खराब हो जाती है, ऐसे में पानी की प्रोडक्शन कम हो जाता है। आने वाले समय में यहां मौजूदा फिल्टर बेड्स काम करना बंद न कर दें, इसलिए समय रहते इस समस्या का समाधान करना जरुरी है। इसी के चलते केजरीवाल सरकार नया फिल्टर हाउस बना रही है।
पानी का उत्पादन को बढ़ेगा
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि केजरीवाल सरकार की ओर से पानी का उत्पादन बढ़ाने के लिए अलग-अलग नवीन परियोजनाओं जैसे अमोनिया हटाने के संयंत्र और लवणता को कम करने के लिए आरओ प्लांट, टोटल हाई डिज़ॉल्व्ड सॉलिड (टीडीएस) कम करने का प्लांट, मौजूदा डब्ल्यूटीपी क्षमता को बढ़ाने के लिए उन्नत फिल्टर और सूक्ष्म प्रदूषकों को हटाने के लिए अल्ट्राफिल्ट्रेशन जाली लगाने जैसे कदम उठाए जा रहे है। दिल्ली सरकार राजधानी के हर घर में 24 घंटे पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ऐसी नवीन तकनीकों का इस्तेमाल आने वाले वक़्त में भी करती रहेगी, ताकि इस लक्ष्य को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके।