के जे श्रीवत्सन, जयपुर: त्योहारों के इस मौसम में मिलावटखोरो ने आपनी सेहत के साथ खिलवाड़ की पूरी तैयारी कर रखी है। मसलों से लेकर नकली घी तक बाज़ार में बेचकर ये लोग मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। जयपुर में भी नकली घी के एक ऐसा ही कारखाने का पता चला है जहाँ नामी ब्रांड के घी को तैयार कर बेहद ही सस्ते दामों में बाजारों में बेचकर मिलावटखोर अपनी जेबे भर रहे थे।
एक घर में चल रहे नकली घी बनाने वाले इस कारखाने से 1200 लीटर से भी ज्यादा नकली घी जब्त हुआ है। सोया तेल, वनस्पति घी जैसी हानिकारक एसेंस जैसी चीजों को घी समझकर खाने से सबसे बड़ा इफैक्ट लीवर पर पड़ता है। लीवर डेमेज हुआ तो पूरा पाचनतंत्र फैल हो जाएगा। आंतों की पाचन शक्ति कमजोर होगी। गुर्दे पर इसका बुरा असर होगा। हार्ट अटैक की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
बता दें कि अजमेर रोड के एक मोहल्ले के एक छोटे से घर में मिलावट का ऐसा कारखाना चल रहा था जो की सेहत के लिहाज़ से बेहद खतरनाक है। करीब 2 महीने पहले इस जगह से लोगों को घी बनाए जाने की खुशुबू आने लगी। लोगों को भी सस्ते में घी मिलने लगा तो किसी को शक नहीं हुआ, लेकिन जब स्वास्थ्य और खाद्य विभाग के अधिकारियों के साथ यहाँ पर पुलिस आई तो सभी चौंक गए, चौकना लाज़मी भी था, यहाँ पर जो घी बन रहा था, वह सेहत के लिहाज़ से इस कदर नकली था की खाने पर बीमार होना तय था। इस जानलेवा घी को बेचने के लिए भी इसे कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ी क्योंकि बड़े ब्रांड की पैकिंग के कारण नकली घी आसानी से बाजार में जा रहा था। पैकिंग भी ऐसी कि आम आदमी के लिए इसे पहचानना मुश्किल है।
दरअसल खाध्य और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों ने एक सूचना के आधार पर अलग अलग ब्रांड की करीब 200 किलो घी को ले जा रही एक गाडी को रोका और उसमे रखे नामी ब्रांड के घी की जाँच की तो मिलावट खोरी के इस बड़े गोरखधंधे का भंडा फोड़ होना शुरू हुआ। अजमेर रोड पर चल रहे एक एक घर में चल रहे नकली घी के इस कारखाने में दबिश दी। यहाँ पहुँचने पर राजस्थान डेयरी की सरस और कृष्णा ब्रांड की नकली घी को ना केवल बनाया जा रहा था बल्कि उसे इन्ही नामी ब्रांड के डिब्बों में पैक भी किया जा रहा था।
बता दें कि यहाँ पर सस्ते में मिलने वाले पाम आयल, सस्ती क्वालिटी का घटिया वनस्पति घी, बालों में लगाए जाने वाले नारियल के तेल के साथ घी की खुशबु देने वाले केमिकल युक्त एसेंस को मिलाकर नामी ब्रांड के नकली घी तैयार किये जा रहे थे। सोया तेल, वनस्पति घी जैसी हानिकारक वस्तुओं को घी समझकर खाने से सबसे बड़ा इफैक्ट लीवर पर पड़ता है। लीवर डेमेज हुआ तो पूरा पाचनतंत्र फैल हो जाएगा। आंतों की पाचन शक्ति कमजोर होगी। गुर्दे पर इसका बुरा असर होगा। हार्ट अटैक की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
वहीं दुसरे ब्रांड के साथ जब राजस्थान सरकार के डेयरी विभाग “सरस” विभाग के नाम पर भी नकली घी बनाकर हुबहू पैक करके बेचे जाने की खबर मिली तो सरस विभाग के अधिकारी भी यहाँ पहुँच गए, उन्होंने पाया की हर घी के पैकेट पर सीरियल नंबर अलग अलग होता है लेकिन यहाँ मिलावट खोर मात खा गए. सभी पैकेट पर एक ही सीरियल नंबर था और रेपर्स के साथ पाँव भर, आधार किली और एक किलो में पैकेट वाले पैकिंग मेटीरियल भी इन्होने नकली बनवाकर छपवा लिए लेकिन कई एसी कमिया छोड़ दी, जिससे आसानी से पता लग जाता है की यह नकली घी ही है।
इस मामले में पोइस ने जिस मिलावट खोर शख्स को गिरफ्तार किया है वह इतना बेशर्म था की एक बार पहले भी मिलावटखोरी के आरोप में पकड़ा जा चूका है, लेकिन कानून की कमियों का फायदा उठाते हुए फिर से मुनाफाखोरी के लिए सेहत के साथ खिलवाड़ के इस धंधे में उतर आया। न्यूज़ 24 के कैमरे पर इस मिलावट खोर ने अपना गुनाह भी कबूल किया है।
मिलावट के बाद अब ज़रा यह भी समझ लीजिये की मिलावट के इस गोरखधंधे से भले ही इस नकली घी को खाने वाले लोगों का खाने का स्वाद और सेहत भले ही बिगड़ रहा था लेकिन इनकी मोटी कमाई बढ़ रही थी। बाज़ार में सरस घी का पैकेट करीब 520 रूपये किलो में आता है लेकिन ये लोग इसी ब्रांड का नकली घी महज 200 रूपये के खर्च पर बना लेते और उसे 300 से 350 रूपये में दूकानदारों को बेच देते थे। ऐसे में अब पुलिस भी नकली घी खरीदने वाले दुकानदारों के बारे में भी जांच पड़ताल कर रही है।
फिलहाल तो नकली घी बनाने के इस कारखाने में अलग-अलग ब्रान्डेड कम्पनी जैसे सरस और कृष्णा जैसे नामी घी के रैपर, खाली डिब्बे मिले तथा तेल, खुला घी ड्रमों के अन्दर तथा मिलावटी घी के तैयार किए हुए पीपे, रैपर, होलो ग्राम, कार्टून प्लास्टिक कैन, रिफाइंड, वनस्पति घी के पीपे मिले। और मिलावट खोरी के साथ साथ अब इनके खिलाफ कोपी राईट एक्ट के तहत भी कारवाई करने की तैयारी शुरू हो गई है। फिलहाल तो सेम्पल लेकर उसे जाँच के लिए भेज दिया गया है।
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