Supreme Court Reprimanded Delhi Govt For RRTS Project: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक बार फिर से फटकार लगाई है। इस बार कोर्ट ने दिल्ली सरकार को राजस्थान के अलवर और हरियाणा के पानीपत में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए फंड न देने के लिए फटकार लगाई है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से सवाल किया कि उनके अगर पास विज्ञापन और प्रचार करने के लिए पैसे हैं, तो रेल प्रोजेक्ट के लिए क्यों नहीं है।
जज ने लगाई फटकार
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने कहा कि आप विज्ञापन के लिए 500 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान कर सकते हैं लेकिन आप रेल प्रोजेक्ट के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रावधान नहीं कर सकते? इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अपने हिस्से का पूरा भुगतान करने का निर्देश दिया और सुनवाई 7 दिसंबर तक के लिए टाल दी।
Supreme Court hearing plea regarding non-payment of dues by Delhi government towards it share for various Regional Rapid Rail Transport System (RRTS) corridors. pic.twitter.com/lzE7Z9dcEN
— Social News Daily (@SocialNewsDail2) November 28, 2023
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बजटीय प्रावधान पर गौर करें राज्य सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को बजटीय प्रावधान पर गौर करना चाहिए। अगर ऐसे राष्ट्रीय प्रोजेक्ट फंड की वजह से प्रभावित होते हैं और विज्ञापनों पर पैसा खर्च किया जाता है। ऐसे में विज्ञापनों के फंड को इस तरह कि परियोजना के लिए ट्रांसफर करने का निर्देश दिया जाए।
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पहले भी लगी थी फटकार
बता दें कि, पिछली सुनवाई में भी न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने दिल्ली सरकार पर कठोर की थी। जिसमे कोर्ट ने कहा था कि अगर आप तीन सालों में विज्ञापन पर 1100 करोड़ रुपए खर्च कर सकते हैं, तो रेल प्रोजेक्ट्स के लिए फंड मुहैया करवा ही सकते हैं।
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दिल्ली के परिवहन मंत्री का बयान
पिछले हफ्ते, शुक्रवार को दिल्ली सरकार ने कहा था कि उसने 28 नवंबर की सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा से 4 दिन पहले क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) परियोजना के लिए 415 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए हैं। दिल्ली के परिवहन मंत्री अशोक गहलोत के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया, ‘आज, 24 नवंबर को परिवहन विभाग द्वारा एनसीआरटीसी को 415 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।’