Super Natwarlal Dhaniram Mittal Death: 85 साल की उम्र में सुपर नटवरलाल धनीराम का हार्ट अटैक से निधन हो गया। लेकिन जिस तरह के कारनामे धनीराम ने किए, कई राज्यों की पुलिस को शायद ही उसकी मौत पर यकीन हो। दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में 26 अप्रैल को धनीराम की पेशी थी। इसलिए पुलिस भी कन्फर्म करेगी कि वह मर चुका है। धनीराम चंडीगढ़ में भी एक केस में 2 माह की जेल काट चुका है। वहीं, 2010 के रानी बाग थाने में उसको एक केस में गैरहाजिर रहने पर एनबीडब्ल्यू घोषित किया गया था।
Who is Dhani Ram Mittal?
---विज्ञापन---Highly Educated Criminal: Mittal was a law graduate, a handwriting expert, and a graphologist. Despite his education, he chose a life of crime at the age of 25.
Master Car Thief: His primary notoriety came from stealing over 1000 cars across various…
---विज्ञापन---— Civil Learning (@CivilLearning1) February 25, 2024
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वीरवार को निधन के बाद धनीराम का निगमबोध घाट पर संस्कार किया गया था। दिल्ली के अलावा धनीराम के खिलाफ हरियाणा, पंजाब, यूपी और राजस्थान में कई मामले दर्ज थे। अक्टूबर 2022 में धनीराम की बायोग्राफी पर एक डायरेक्टर ने उसके साथ फिल्म साइन की थी। जिसमें धनीराम के अनूठे किस्से जल्द देखने को मिलेंगे। धनीराम ने कहा था कि लोग खुद धोखा खाते हैं। उसने किसी को चोट नहीं पहुंचाई।
धनीराम के खिलाफ जालसाजी के 150 मामले
पुलिस के मुताबिक धनीराम पर जालसाजी के 150 केस दर्ज थे। उसे हूबहू लिखावट का मास्टर माना जाता है। एलएलबी पास ठग खुद ही अपने मुकदमों की पैरवी करता था। दिल्ली में मित्तल के खिलाफ सबसे अधिक एसीपी राजपाल डबास ने कार्रवाई की। वे पहले एसआई और फिर इंस्पेक्टर बने थे। राजपाल की तैनाती पीसीआर में थी। कार चोरी के काफी मामलों में उन्होंने मित्तल को अरेस्ट किया था। हाल में धनीराम बुराड़ी इलाके में रहता था। इससे पहले वह नरेला में रह रहा था। धनीराम का जन्म हरियाणा के भिवानी में 1939 को हुआ था।
अखबार में पढ़ी खबर, पहुंच गया कोर्ट
रोहतक कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद वह फर्जी दस्तावेजों के जरिए रेलवे में भर्ती हुआ था। 1968-74 तक बतौर स्टेशन मास्टर काम किया। 1964 में धनीराम को फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के आरोप में रोहतक आरटीओ ने गिरफ्तार किया था। 70 के दशक में धनीराम ने अखबार में झज्जर के एडिशनल जज के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश की खबर पढ़ी थी। इसके बाद कोर्ट परिसर जाकर जानकारी ली और एक लेटर टाइप कर सीलबंद लिफाफे में रख दिया था। इस पर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार की स्टैंप लगाई, साइन किए और विभागीय जांच वाले जज के नाम से इसे पोस्ट कर दिया था। लेटर में दो महीने की छुट्टी के फर्जी आदेशों को जज ने सही समझ लिया। वे छुट्टी पर चले गए।
अगले दिन कोर्ट में हरियाणा हाई कोर्ट के नाम से एक लिफाफा आता है। जिसमें विभागीय जांच वाले जज के छुट्टी पर होने के कारण कोर्ट का काम न रुके। इसलिए दो महीने नए जज काम देखेंगे। तय डेट को धनीराम ही जज की वेशभूषा में कोर्ट आ गया। कोर्ट स्टाफ उसको सही मान बैठा और चैंबर दे दिया। 40 दिन में नकली जज ने 2740 आरोपियों को बेल दे दी। लेकिन किसी संगीन मामले में आरोपी को बेल नहीं दी। 40 दिन में धनीराम ने हजारों फैसले भी सुनाए।