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दिल्ली

लाल किले पर कब्जा मांग रही सुल्ताना बेगम कौन हैं? मुगल सम्राट से बताया अपना रिश्ता

सुप्रीम कोर्ट ने मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वितीय के वंशज की विधवा सुल्ताना बेगम की लाल किले पर अधिकार की याचिका को समय से देर से दाखिल करने के कारण खारिज कर दिया है। जानें कोर्ट का पूरा रुख और जस्टिस की टिप्पणी।

Author Reported By : Prabhakar Kr Mishra Edited By : Namrata Mohanty Updated: May 5, 2025 13:09

मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर (द्वितीय) के परपोते की विधवा सुल्ताना बेगम द्वारा लाल किले पर अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुल्ताना बेगम ने खुद को मुगल सम्राट का कानूनी उत्तराधिकारी बताते हुए राजधानी दिल्ली स्थित लाल किले पर कब्जे की मांग की थी।

जस्टिस ने ली चुटकी

इस याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा, “सिर्फ लाल किला ही क्यों, फतेहपुर सीकरी और बाकी ऐतिहासिक धरोहरों पर दावा क्यों छोड़ दिया?” इस टिप्पणी से स्पष्ट संकेत मिला कि अदालत इस याचिका को तर्कहीन और अव्यावहारिक मान रही है। इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इसी याचिका को स्पष्ट आधारों की कमी के कारण खारिज कर दिया था। सुल्ताना ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे भी अब खारिज कर दिया गया है।

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कौन हैं सुल्ताना बेगम?

रिपोर्ट्स की मानें, तो सुल्ताना बेगम मिज़ा बेदार बुखात की विधवा हैं। उनका जन्म रंगून में हुआ था। वे बहादुर शाह जफर द्वितीय के परपोते हैं। सुल्ताना बेगम उनकी पत्नी हैं। मिर्जा बेदार का निधन भारत के शहर कलकत्ता में साल 1980 में हो गया था। सुल्ताना बेगम कहती हैं कि हम तलतला में रहते हैं और बहादुर शाह जफर के अंतिम अधिकारी के रूप में सरकार द्वारा दी जा रही पेंशन पर जीवन यापन कर रहे हैं। ये पेंशन कुछ सौ रुपये हैं।

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झोपड़ी में बीत रहा जीवन

बेदार बुख्त बहादुर शाह जफर के अंतिम आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त वंशज थे, जिन्हें सबसे पहले अंग्रेजों के समय में पेंशन मिली थी। याचिका में कहा गया है कि इसके बाद उन्हें केंद्र सरकार, निजाम और हजरत निज़ामुद्दीन ट्रस्ट’ से भी पेंशन मिली थी। बेगम का कहना है कि अब वह बहादुर शाह जफर द्वितीय की कानूनी उत्तराधिकारी होने के नाते हजरत निज़ामुद्दीन ट्रस्ट से मिलने वाली 6,000 रुपये की पेंशन पर गुजारा करती हैं। वे इस वक्त गरीबी में और कोलकाता की एक झोपड़ी में जीवन जी रही हैं। उन्हें पैसों की सख्त जरूरत है। साथ ही, वह बताती हैं कि उनकी बड़ी बेटी की मौत साल 2022 में हो गई थी, जिस वजह से याचिका दायर करने में देरी हुई थी।

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Edited By

Namrata Mohanty

Reported By

Prabhakar Kr Mishra

First published on: May 05, 2025 12:57 PM

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