नई दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड के चेयरमैन और दिल्ली के जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एलजी से हरियाणा में अवैध रेत खनन को लेकर जल्द से जल्द संज्ञान लेने की अपील की है। हाल ही में दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना ने वजीराबाद डब्ल्यूटीपी की स्थिति पर चिंता जताई थी। इस पर दिल्ली के जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एलजी को अवगत कराया कि हरियाणा में अवैध रेत खनन के चलते यमुना के पानी की दिल्ली की ओर आपूर्ति बाधित हो रही है। हरियाणा औद्योगिक अपशिष्ट जल को दिल्ली की ओर छोड़ रहा है।
सौरभ भारद्वाज ने एलजी को हरियाणा में इन अवैध रेत खनन वाले इलाकों में संयुक्त निरीक्षण करने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि दिल्ली के लोग बेहद दुखी हैं कि एलजी दिल्ली में पानी की आपूर्ति के संवेदनशील मुद्दे पर गंदी राजनीति कर रहे हैं। उन्हें या तो तथ्यों की जानकारी नहीं है या वह जानबूझकर घटिया राजनीति कर रहे हैं। उनके द्वारा उठाया गया मुद्दा हरियाणा सरकार की अक्षमता और निष्क्रियता के कारण है। जिसके कारण दिल्ली के लोग परेशान हैं। भाजपा की हरियाणा सरकार की गलती का ठीकरा उपराज्यपाल, दिल्ली सरकार पर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
पिछले सप्ताह किया था दौरा
पिछले सप्ताह सौरभ भारद्वाज ने वजीराबाद पोंड में पानी के लगातार घटते स्तर को दिखाने के लिए मीडियाकर्मियों के साथ वजीराबाद डब्ल्यूटीपी और पोंड का दौरा किया था। उन्होंने बताया कि वजीराबाद और चंद्रावल डब्ल्यूटीपी से फुल प्रोडक्शन के लिए वजीराबाद पोंड का स्तर 674.5 फीट होना चाहिए। पिछले कुछ हफ्तों से वजीराबाद पोंड का स्तर 671.4 फीट पर पहुंच गया है। इससे चंद्रावल और वजीराबाद में डब्ल्यूटीपी में पानी के प्रोडक्शन पर असर पड़ा है। चंद्रावल का अब उत्पादन 100 एमजीडी के सामान्य उत्पादन के मुकाबले 90 एमजीडी है, जबकि वजीराबाद 135 एमजीडी के सामान्य उत्पादन के मुकाबले 90 एमजीडी का उत्पादन कर रहा है।
हरियाणा के नालों से निकलने वाला औद्योगिक कचरा
इसके चलते पूरी दिल्ली में पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है क्योंकि हैदरपुर, द्वारका, नांगलोई और ओखला जैसे डब्ल्यूटीपी के अन्य हिस्सों से रॉ वाटर लिया जा रहा है। वर्तमान में वजीराबाद पोंड में जो पानी जमा है, उसमें केवल हरियाणा के नालों से निकलने वाला औद्योगिक कचरा है। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस पानी में अमोनिया की मात्रा बेहत ज्यादा है, जिसकी वजह से इसे साफ भी नहीं किया जा सकता। यहां तक कि वजीराबाद पोंड को गहरा करने से भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता क्योंकि इससे भूजल के दूषित होने की संभावना बढ़ जाएगी। वजीराबाद और चंद्रावल डब्ल्यूटीपी में पिछले कई वर्षों से दूषित पानी आ रहा है, जिससे उपकरणों में बार-बार जंग लग जाता हैं। प्रजेंटेशन के जरिए सौरभ भारद्वाज ने यह भी दिखाया कि यमुना नदी के ऊपरी हिस्से में किस तरह से बड़े पैमाने पर रेती का खनन चल रहा है। जिसके कारण हथिनीकुंड और ताजेवाला से छोड़ा गया साफ पानी दिल्ली तक नहीं पहुंच रहा है।
नदी के तल में गहरे गड्ढों के कारण समस्या
उन्होंने कहा कि यह मुख्य रूप से नदी के पार बांधों के निर्माण और नदी के तल में गहरे गड्ढों के कारण है। यमुनानगर से लेकर करीब 7-8 किलोमीटर के लंबे स्ट्रेच में जगह-जगह रेत माफिया ने यमुना को रोक रखा है। इसके ऊपर बांध बना रखें है। वर्तमान में वजीराबाद बैराज में डीडी-8 और डीडी-2 आदि दो नालों का पानी आ रहा है। इन दो नालों का इंडस्ट्रियल वेस्ट यानी रसायनिक पानी यहां पर आ रहा है। रेती के खनन के वास्तविक मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए जानबूझकर हरियाणा सरकार और उपराज्यपाल के कार्यालय की ओर से ध्यान भटकाया जा रहा है।
वीवीआईपी इलाके भी प्रभावित
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली भारत की राजधानी है और इस संकट के कारण एनडीएमसी, संसद और यहां तक कि राष्ट्रपति भवन जैसे वीवीआईपी इलाके भी प्रभावित हैं। दिल्ली के लोगों को होली के दौरान भी पानी का संकट झेलना पड़ा। जिससे उनकी धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंची हैं। यह बेहद शर्म की बात है कि पानी पर राजनीति की जाती है। संवैधानिक पदाधिकारियों के रूप में दिल्ली की जनता को स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना हम सबकी संयुक्त जिम्मेदारी है। इसलिए दिल्ली सरकार ने खनन के विशिष्ट साक्ष्य दिखाने के लिए उपराज्यपाल और हरियाणा के मुख्यमंत्री के साथ दिल्ली सीमा से ताजेवाला तक यमुना के पूरे हिस्से का संयुक्त दौरा करने का प्रस्ताव दिया है।
990 एमडीजी से अधिक पानी का उत्पादन
उल्लेखनीय है कि दिल्ली जल बोर्ड पिछले कई महीनों से लगातार 990 एमडीजी से अधिक पानी का उत्पादन कर रहा है। हालाकि, 23 फरवरी से प्रवाह बंद कर दिया गया है और अमोनिया का स्तर बहुत अधिक बढ़ गया है। जिससे पानी के उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है। दिल्ली जल बोर्ड ने एलजी से अनुरोध किया है कि इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर हरियाणा सरकार और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के समक्ष उठाया जाए।