नई दिल्ली: लोकसभा में ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023’ (Delhi Ordinance Bill) पर गतिरोध लगातार बरकरार है। इस बीच आज इस पर लोकसभा में चर्चा की संभावना है। विपक्ष के विरोध के बीच सरकार इस बिल को लोकसभा से पारित कराना चाहती है। लोकसभा से बीच पास होने के बाद राज्यसभा में भेजा जाएगा।
आपको बता दें कि 6 अगस्त मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से नित्यानंद राय ने इस बिल को लोकसभा में पेश किया। इसी कड़ी में आज इस बिल पर चर्चा होने की संभावना है।
हालांकि आज भी हंगामें के कारण लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही स्थगित हो गई है। सदन कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित की गई है।
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि केंद्र सरकार अध्यादेश के जरिए संविधान संशोधन कर दिल्ली सरकार के अधिकार छीनने पर उतारू हैं। यह संविधान की मूल भावना से पूरी तरह विपरीत है।
क्या है ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023’
गौरतलब है कि ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग और सर्विसेज पर नियंत्रण से जुड़ा है। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि इस विधेयक के पास होने से सर्विसेज के मामले में दिल्ली सरकार के अधिकार और भी सीमित हो जाएंगे।
आपको बता दें कि 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आदेश दिया था कि दिल्ली की निर्वाचित सरकार के पास ही सेवाओं का कार्यकारी नियंत्रण होगा। जिनमें राजधानी दिल्ली में नौकरशाहों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा।
इसके करीब एक हफ्ते बाद 19 मई को केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई। केंद्र सरकार ने ‘गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली ऑर्डिनेंस, 2023’ लाकर उपराज्यपाल को प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार फिर से वापस दे दिया।
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बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली एक्ट में भी बदलाव किया गया है। इसके तरह दिल्ली के एलजी को अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग समेत कई अधिकार दिए गए हैं। इसके बाद केंद्र सरकार दिल्ली के मामले अधिकारियों का कार्यकाल, सैलरी, ग्रेच्युटी, पीएफ आदि के बारे में भी तय कर सकेगी। इतना ही नहीं अधिकारियों की पावर, ड्यूटी और पोस्टिंग भी केंद्र तय करेगी।
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