दिल्ली के लोगों के लिए राहत भरी खबर है। सरकार पानी के बकाया बिलों में लगने वाले लेट पेमेंट सरचार्ज के साथ उस पर लगने वाले जुर्माने में 100% तक राहत दे सकती है। दिल्ली सरकार ने लेट पेमेंट को लेकर जल बोर्ड से जानकारी मांगी है। इसके अलावा पानी के बकाया बिल पर जुर्माना माफ कर सकती है। बड़ी संख्या में पानी के बिल जमा न होने का कारण पिछली सरकार में वन टाइम सेटलमेंट योजना को बताया जा रहा है। पिछली आप सरकार ने वन टाइम सेटलमेंट योजना लाकर पानी के बिलों को माफ करने का आश्वासन दिया था।
कितने लोगों ने बिल जमा नहीं किया
पिछली सरकार ने खुद माना था कि पानी के गलत बिल भेजे जा रहे हैं और उसके बाद बिल जमा न होने से उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ती चली गई। दिल्ली में लगभग 28 लाख 99 हजार 615 पानी के कनेक्शन हैं, जिसमें घरेलू और व्यावसायिक दोनों तरह के कनेक्शन हैं। बीते 1 साल में दिल्ली में 4.22 लाख लोगों ने एक बार भी पानी का बिल नहीं जमा किया।
बता दें, दिल्ली में वर्तमान में 28 लाख 99 हजार 615 पानी के कनेक्शन हैं। इसमें 18.54 लाख ग्राहक ऐसे हैं जो फ्री जल योजना का लाभ ले रहे हैं। मतलब उनका पानी का बिल जीरो आता है। बाकी 11 लाख ग्राहकों में से 4.22 लाख ने, बीते 1 साल से पानी का बिल एक बार भी नहीं भरा है। इस कारण उन पर लगने वाले लेट पेमेंट सरचार्ज के कारण उनका बिल लाखों में पहुंच गया है।
सूत्रों के अनुसार, पानी के बकाया बिल पर सरकार लेट पेमेंट सरचार्ज और जुर्माने की राशि पर 100 फीसदी तक छूट देने की योजना पर विचार कर रही है। इससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। इसके अलावा प्रॉपर्टी कैटेगरी A से लेकर H के बीच, उसके मूल बिल पर भी किसी-किसी कैटेगरी में 50 फीसदी तक की राहत दे सकती है।
क्यों बढ़ गई संख्या?
बड़ी संख्या में पानी के बिल जमा नहीं होने का कारण पिछली सरकार में वन टाइम सेंटलमेंट योजना को बताया जा रहा है। पिछली सरकार ने लोगों को आश्वासन दिया था कि वह वन टाइम सेंटलमेंट योजना लाकर पानी के बिलों को माफ कर देगी। सरकार ने खुद मान लिया था कि पानी के गलत बिल भेजे जा रहे हैं। इसके बाद बिल जमा नहीं करने वालों की संख्या बढ़ती चली गई।
वन टाइम सेटलमेंट योजना क्या है?
वन टाइम सेटलमेंट (One Time Settlement – OTS) एक ऋण समाधान योजना है, जिसमें उधारकर्ता बकाया ऋण का एक भाग चुकाकर बाकी राशि को माफ करवा लेता है। यह अक्सर तब लागू होता है जब उधारकर्ता वित्तीय परेशानियों के कारण पूरा ऋण चुकाने में सक्षम नहीं होता है।
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