Thursday, 7 December, 2023

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दिल्ली के डिप्टी सीएम बोले, एलजी का बयान कि वह दिल्ली के प्रशासक हैं, यह तानाशाही को दर्शाता है

नई दिल्ली: दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को कहा कि एलजी का बयान कि वह दिल्ली के प्रशासक हैं, यह तानाशाही को दर्शाता है। एलजी का बयान संविधान की अल्प जानकारी, जनादेश की पूरी अवहेलना को दर्शाता है। सभी राज्य और केंद्र सरकारें राज्यपाल/राष्ट्रपति के नाम पर अपनी शक्तियों का प्रयोग करती हैं। […]

Edited By : Amit Kasana | Updated: Jan 7, 2023 19:50
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मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली: दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को कहा कि एलजी का बयान कि वह दिल्ली के प्रशासक हैं, यह तानाशाही को दर्शाता है। एलजी का बयान संविधान की अल्प जानकारी, जनादेश की पूरी अवहेलना को दर्शाता है। सभी राज्य और केंद्र सरकारें राज्यपाल/राष्ट्रपति के नाम पर अपनी शक्तियों का प्रयोग करती हैं।

डिप्टी सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री भी अपनी शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति के नाम से करते हैं। यदि राष्ट्रपति स्वतंत्र निर्णय लेने लगे तो प्रधानमंत्री का कोई मतलब नहीं रह जाता है। संविधान के अनुच्छेद 239AA(3) के तहत दिल्ली में शक्तियों के बंटवारे के तहत एलजी के पास पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि के परे कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। पिछले 30 साल में डीएमसी एक्ट के तहत विभिन्न उपराज्यपालों ने प्रोटेम पीठासीन अधिकारी और एलडरमेन को चुनी हुई सरकार की सलाह पर नामित किया है।

दरअसल, बता दें दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि उन्हें एमसीडी अधिनियम सहित दिल्ली के विभिन्न अधिनियमों और विधियों के तहत सभी शक्तियों का सीधे प्रयोग करने का अधिकार है। क्योंकि वह प्रशासक हैं। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह दर्शाता है दिल्ली में शासन की संवैधानिक योजना या संसदीय लोकतंत्र में शासन के सिद्धांतों का अल्प ज्ञान है। दिल्ली की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के जनादेश की पूरी तरह से अवहेलना है और तानाशाही है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह एक स्थापित प्रथा है कि भारत में सभी कानूनों और कानूनों के तहत केंद्र-राज्य सरकारों की शक्तियों का प्रयोग निर्वाचित सरकारों द्वारा भारत के राष्ट्रपति या राज्यपालों के नाम पर किया जाता है। भारत के प्रधानमंत्री भी भारत के राष्ट्रपति के नाम के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं और बाद में प्रधानमंत्री के निर्णय से बाध्य होते हैं। यदि राष्ट्रपति अचानक स्वतंत्र निर्णय लेना शुरू कर दे क्योंकि उनके नाम से आदेश पारित किए जाते हैं तो इसका मतलब है कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या किसी भी लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की कोई आवश्यकता नहीं है।

 

First published on: Jan 07, 2023 07:50 PM

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