दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल पर जोरदार हमला बोलते हुए उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। सीएम रेखा गुप्ता ने CAG रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि 5223 बसें पहले चलती थीं, लेकिन केजरीवाल सरकार ने 1500 बसें कम कर दीं और इसके बदले 1500 प्राइवेट बसें बढ़ा दी गईं।
उन्होंने आगे कहा कि 2018 में 1000 इलेक्ट्रिक बसों का टेंडर जारी किया जाना था, लेकिन दो साल बाद यह कहते हुए इसे रद्द कर दिया गया कि पैसे नहीं हैं। दरअसल, प्राइवेट कंपनियों ने केजरीवाल को पैसे देने से मना कर दिया था। रेखा गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया कि ऑड-ईवन योजना पर 53 करोड़ रुपये खर्च किए गए। 22 करोड़ रुपये स्मॉग टावर पर खर्च किए गए जबकि 20 करोड़ रुपये से अधिक आम आदमी पार्टी ने अपनी प्रचार छवि को चमकाने में खर्च किए।
एक लाख से अधिक गाड़ियों का नहीं जारी हुआ PUC
उन्होंने आगे कहा कि हजारों वालंटियर्स को दिल्ली के विभिन्न इलाकों में तैनात किया गया, ताकि वे प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाएं। प्रत्येक वालंटियर को 850 रुपये प्रति दिन का भुगतान किया गया। साथ ही 1,08,000 गाड़ियों को पॉल्यूशन सर्टिफिकेट (PUC) जारी नहीं किया जाना चाहिए था, लेकिन फिर भी उन्हें दे दिया गया। इसके बदले 5,000 से 10,000 रुपये तक की रिश्वत ली गई।
मुख्यमंत्री श्रीमती @gupta_rekha ने आज बजट सत्र के दौरान दिल्ली में वाहन वायु प्रदूषण रोकथाम और शमन पर निष्पादन CAG रिपोर्ट 2022 सदन के पटल पर प्रस्तुत की।#CAGReport
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— CMO Delhi (@CMODelhi) April 1, 2025
केंद्र सरकार से मिले 233 करोड़ रुपये का नहीं हुआ इस्तेमाल
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि एक ही समय पर 7643 वाहनों को PUC प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया, यानी प्रति सेकंड 3 वाहनों को सर्टिफिकेट दिया गया, जो संभव ही नहीं है। सीएम रेखा गुप्ता ने AAP सरकार पर आरोप लगाया कि DTC को 70,471 करोड़ रुपये का भारी घाटा हुआ। 14,198 करोड़ रुपये परिचालन घाटे में चले गए। 814 बस रूट होने के बावजूद, सेवाएं सिर्फ 468 रूट तक सीमित रहीं। केंद्र सरकार से मिले 233 करोड़ रुपये भी इस्तेमाल नहीं किए गए।
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CAG रिपोर्ट के अनुसार, पिछली सरकार ने “मोनोरेल और लाइट रेल ट्रांजिट” तथा “इलेक्ट्रॉनिक ट्रॉली बसों” जैसे कम प्रदूषणकारी विकल्पों को लागू नहीं किया। दिल्ली में प्रदूषण के लिहाज से ये आरोप काफी गंभीर हैं, क्योंकि पिछले 5 वर्षों में 2,137 दिनों में से 1,195 दिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता “खराब” से “गंभीर” श्रेणी में दर्ज की गई। इस मुद्दे पर काफी राजनीति भी हो चुकी है।