नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान के बाद चर्चा तेज हो गई है कि क्या पेट्रोलियम पदार्थ माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में आ सकते हैं?दरअसल, उन्होंने उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सदस्यों के साथ बजट के बाद हुई बैठक में कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर प्रावधान पहले से उपलब्ध है।
राज्यों के सहमत होने के बाद पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के दायरे में आ सकते हैं।यदि ऐसा हुआ, तो पेट्रोल और डीजल के रेट्स में अच्छी खासी कमी हो सकती है।इससे आसमान पर पहुंची महंगाई नीचे आ सकती है।
इस विषय पर चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है।
इसमें आग्रह किया है कि लंबे समय से व्यापारी, फैक्ट्री ओनर और आम आदमी पेट्रोल और डीजल के जीएसटी में लाने की मांग कर रहे हैं।
शनिवार को जीएसटी काउंसिल की मीटिंग है, इसमें इस पर चर्चा और फैसला होना चाहिए।सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि यदि जीएसटी के अधिकतम टैक्स स्लैब 28 प्रतिशत में भी पेट्रोल को शामिल किया जाए तो पेट्रोल पर 17.11 रूपए GST लगेगा और पेट्रोल 18.50 रुपए प्रति लीटर सस्ता हो जाएगा,
यदि डीजल को भी GST के अधिकतम 28% स्लैब में लाया जाए तो डीजल पर 16.99 रूपए प्रति लीटर GST लगेगा और डीजल 11.92 रूपए प्रति लीटर सस्ता हो जाएगा ।
इसके अलावा एक विकल्प यह है कि अभी एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल और डीजल पर रुपये प्रति लीटर लगती है, जो कि पूरे देश में एक है। इसके ऊपर हर राज्य अपने हिसाब से वैट की दर वसूलते हैं, जिस तरह एक्साइज ड्यूटी रुपये प्रति लीटर पर लगता है, उसी तरह जीएसटी को भी रुपये प्रति लीटर लगाया जाए।
इससे सरकार को राजस्व में भी नुकसान नहीं होगा, सभी राज्य आसानी से संतुष्ट हो सकते हैं।बृजेश गोयल ने कहा कि जीएसटी को जब लागू किया गया था तब वन नेशन वन टैक्स की बात की गई थी जो कि गलत साबित हो रही है क्योंकि अलग अलग राज्यों में पेट्रोल डीजल पर GST की दरें अलग अलग हैं ।अगर पेट्रोल डीजल को GST के दायरे में लाया गया तो पूरे देश में इनकी दरें समान हो जाएंगी और तभी वन नेशन वन टैक्स सफल हो पाएगा ।