---विज्ञापन---

सीवरेज की सफाई करने वालों के लिए काम की खबर, मुआवजे को लेकर आया ‘सुप्रीम’ फैसला

Compensation Of RS 30 Lakh सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को इस मामले में निर्देश दिया, कि सरकारों को यह निर्धारित करना चाहिए कि हाथ से मैला ढोने की (मैन्युअल स्केवेंजर्स) परंपरा पूरी तरह से खत्म हो।

Edited By : Swati Pandey | Updated: Oct 21, 2023 10:23
Share :

Compensation Of RS 30 Lakh:सुप्रीम कोर्ट ने सीवर की सफाई के दौरान मौत के मामलें में मुआवजा राशि बढ़ाकर 30 लाख रुपये करने की निर्देश जारी किया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र व राज्य सरकारों को हाथ मैला करने की प्रथा का पूर्ण रुप से खात्मा सुनिश्चित करने के लिए एक स्पष्ट निर्देश जारी किया ।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस रवींद्र भट्ट की बेंच ने इस मामलें में कहा कि जिन भी मजदूर की सीवर सफाई के दौरान मौत होती है, उसके परिजनों को 30 लाख रुपये मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सीवर सफाई के दौरान यदि कोई मजदूर परमानेंट तौर पर दिव्यांगता का शिकार हो जाता है तो उसे मुआवजे के तौर पर 20 लाख रुपये का भुगतान किया जाए।

---विज्ञापन---

हाथ से मैला ढोने की परंपरा खत्म हो

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को इस मामले में निर्देश दिया, कि सरकारों को यह निर्धारित करना चाहिए कि हाथ से मैला ढोने की (मैन्युअल स्केवेंजर्स) परंपरा पूरी तरह से खत्म हो। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि अगर कोई मजदूर सफाई काम के कारण दिव्यांग हो जाता है तो उसे मुआवजे के तौर पर 10 लाख रुपये का भुगतान किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह देश भर के राज्यों के सेक्रेटरी के साथ मीटिंग करे और हाथों से मैले की सफाई रोकने को लेकर  बातचीत करे। मैन्युअल स्केवेंजर्स को रोकने के लिए कोर्ट ने जल्द से जल्द कदम उठाने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर हाथ से मैले की सफाई रोकने के लिए अर्जी दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में केंद्र सरकार से कहा था कि वह बताए कि इस मामले में बने 2013 के कानून को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र बताए कि 2014 के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के तहत जारी गाइडलाइंस को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए हैं।

---विज्ञापन---

चीफ जस्टिस ने निर्देश जारी किए थे

सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च 2014 को निर्देश दिया था, कि सीवर लाइन में बिना सेफ्टी के मजदूर को ले जाना क्राइम होगा साथ ही मौत के हर मामले में 10 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया था। 2013 के एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइंस को देश भर के प्रत्येक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लागू करने के लिए कहा गया था।चीफ जस्टिस ने निर्देश जारी किए थे, कि तमाम राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में एक्ट के लागू होने के एक साल के बाद कोई भी खतरनाक सीवर लाइन में काम करने के लिए मजदूर को नहीं लगाएगा। साथ ही जो भी लोग हाथ से कचरे और गंदगी की सफाई करते हैं, उनकी पहचान सुनिश्चित की जाए। ऐसे मजदूर की लिस्ट बनाई जाए। उनके बच्चों को स्कॉलरशिप की उचित व्यवस्था की जाए।

खतरनाक सीवर की सफाई करने  मजदूरों को प्लाट और घर बनाने लिए सहयोग किया जाए और परिवार के एक सदस्य को ट्रेनिंग दी जाए जिससे वह अपना गुजारा चला सकें। चीफ जस्टिस ने डीएम को इस बात का निर्देश दिया था कि हाथ से काम करने वाले ऐसे सफाई मजदूरों के पुनर्वास को निर्धारित किया जाए। कोई भी हाथ से गंदगी की सफाई में मजदूर न लगाए जाएं। अगर कोई भी मजदूर बिना सेफ्टी के सीवर लाइन में जाते हैं तो इसे क्राइम माना जाए। इस बात की जिम्मेदारी डीएम को दी गई थी। यदि कोई अथॉरिटी फिर भी कानून का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है और अलग-अलग मामले में एक साल से 5 साल तक सजा का प्रावधान है।

HISTORY

Edited By

Swati Pandey

First published on: Oct 21, 2023 10:13 AM
संबंधित खबरें