नई दिल्ली। मणिपुर के मुद्दे पर संसद में विपक्षी दलों और सत्ता पक्ष के बीच जमकर हंगामा हो रहा है। वहीं इस मामले में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए नो कॉन्फिडेंस मोशन को लेकर बड़ी मांग की है।
कोई भी बिल न लाया जाए
राघव चड्ढा ने कहा कि संसदीय परंपरा, कानून रूल्स यह बताते हैं कि जब भी अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में जमा करवाया जाता है और उसको माननीय स्पीकर के द्वारा स्वीकार किया जाता है। तो इस दौरान कोई भी लॉजिस्टिक बिल सदन के भीतर नहीं लाया जाता, जबकि अगर कोई बिल आता है तो फिर उस पर मतदान नहीं किया जाता, तब तक जब तक नो कॉन्फिडेंस मोशन का फैसला नहीं हो जाता है।
राघव चड्ढा ने कहा कि लेकिन इस बार हम कह रहे हैं कि तमाम रूल्स, कनवेंशन को ताक पर रख रखते हुए बिल पर बिल लाए जा रहे है। यह दुखदाई है और सीधे तौर पर संसदीय रूल्स का वायलेंसन है। मेरी यह अपील केंद्र सरकार से रहेगी कि जब तक अविश्वास प्रस्ताव का फैसला नहीं हो जाता, तब तक कोई लेजिस्लेटिव बिजनेस ट्रांजिट नहीं होना चाहिए।
मणिपुर जाएंगे विपक्षी सांसद
इंडिया ब्लॉक के साथी राजनैतिक दल अपने प्रतिनिधियों का एक समूह बनाकर पुरे इंडिया ब्लॉक का एक डेलीगेशन मणिपुर जाएगा जिसका उद्देश बस इतना ही है कि मणिपुर में जाकर वहां के हालातों की वस्तु स्थिति क्या है। उसे देखा और समझा जाए। क्योंकि हमें मणिपुर के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना होगा। और वापस आकर संसद के भीतर सरकार को इन सारी चीजों के बारे में बताएं की वास्तव में मणिपुर में हो क्या रहा है और मणिपुर क्यों जल रहा है ?
राघव चड्ढा ने कहा कि मणिपुर से जो खबरें आ रही है, वह बताती है कि मणिपुर के अपने बीजेपी द्वारा अपॉइंटेड गवर्नर वहां पर बीजेपी के विधायक जो बीजेपी के अपने पद अधिकारी है वह चीख-चीख कर बोल रहे हैं कि मणिपुर जल रहा है हजारों लोग बेघर हो गए हैं और ना जाने कितने लोगों की जानें चली गई,विमिंस क्राइम अगेंस्ट चरम पर है। यह चीज मन को बहुत विचलित करती हैं इसीलिए एक वफद इंडिया ब्लॉक की ओर से मणिपुर भेजा जा रहा है।
सीबीआई को सौंपी जाए जांच
राघव चड्ढा ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की बात कही है। उनका कहना है कि 80–85 दिन घटना घटी को हो गए यह एक विषय है। पिछले 80–85 दिन से जो मणिपुर में चल रहा है वहां की सरकार क्यों अभी तक बर्खास्त नहीं की गई। भारत के अनुच्छेद 355, 356 का पालन क्यों नहीं किया गया है।
एक महत्वपूर्ण सवाल मेरे जेहन में आता है, मणिपुर एक छोटा राज्य है, जिसमें मात्र 2 लोकसभा सीट है, लेकिन उत्तर प्रदेश जैसा 80 लोकसभा सीटों वाला बड़ा राज्य होता या फिर यहां बिहार की तरह 40 लोकसभा सीटें होती तो क्या पीएम यहां नहीं जाते।
अगर मणिपुर में गैर भाजपा राजनीतिक दल की सरकार होती या फिर नॉन बीजेपी पॉलिटिकल पार्टी की सरकार होती क्या अभी तक मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू नहीं किया होता ? मेरा दूसरा सवाल था इसका जवाब हां है।
बीजेपी हर जगह जहां पर गैर भाजपा सरकार है, वहां कानून व्यवस्था की समस्याएं क्रिएट करती है यह भारतीय जनता पार्टी का एक स्टैंडिंग ऑपरेटिंग प्रोसीजर है।