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दिल्ली

भारत में 15 करोड़ महिलाओं की ब्रेस्ट कैंसर जांच; खोले जा रहे 200 डे केयर सेंटर

स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि भारत में हर साल कैंसर के 14 लाख नए मामले रिपोर्ट होते है। इसमें करीब 2 लाख मामले ब्रेस्ट कैंसर के होते हैं।

Author Written By: Pallavi Jha Author Edited By : Pooja Mishra Updated: Mar 31, 2025 17:42
Breast Cancer

देश में आए दिन ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं, नामचीन हस्तियों से लेकर आम महिलाओं तक में ब्रेस्ट कैंसर के मामले देखने को मिल रहे हैं। इसके बाद भी कई लोग जानकारी के अभाव में धीरे-धीरे इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। इसको लेकर सरकार भी काफी चिंतित है। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत अब तक 15 करोड़ महिलाओं की ब्रेस्ट कैंसर जांच की गई है। इसके साथ ही देश में 200 डे केयर कैंसर सेंटर भी खोले जा रहे हैं।

नई दिल्ली में ब्रेस्ट इमेजिंग सोसायटी ऑफ इंडिया की तरफ से आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम ‘Midterm BISICON-2025’ के दौरान स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने ये सारी बातें कही हैं।

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कैंसर के 14 लाख नए मामले

अनुप्रिया पटेल ने बताया कि भारत में हर साल कैंसर के 14 लाख नए मामले रिपोर्ट होते हैं। इसमें करीब 2 लाख मामले ब्रेस्ट कैंसर के होते हैं। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि हेल्दी लाइफस्टाइल, जागरूकता, समय पर जांच और उपचार से ब्रेस्ट कैंसर की मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि लोगों के बीच ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जागरूकता लाने और रेडियोलॉजिस्ट को बेहतर ट्रेनिंग देने के लिए BISI (Breast Imaging Society, India) पिछले 12 सालों से लगातार काम कर रही है। देश और दुनिया में इस संस्था के 800 से ज्यादा सदस्य हैं।

क्यों जरूरी है जागरूक होना

वहीं, इस मौके पर ब्रेस्ट इमेजिंग सोसायटी इंडिया के अध्यक्ष डॉक्टर प्रेम कुमार ने बताया कि साल 2018 में करीब 87 हजार महिलाओं की जान ब्रेस्ट कैंसर की वजह से चली गई थी। इससे साफ है कि अगर पहले से जागरूक न रहें, समय पर मैमोग्राफी न करवाएं, इलाज ठीक न मिले, तो यह बीमारी जानलेवा है। वहीं उपाध्यक्ष वीनू सिंगला ने बताया कि BISI एक थिंक टैंक के तौर पर इस दिशा में काम कर रहा है। यह फिजिशियन, साइंटिस्ट, हेल्थकेयर ऑथोरिटीज को समय-समय पर अपनी सलाह भी देती है।

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बीमारी के बारे में समझें

सोसायटी की महासचिव डॉक्टर माधवी चंद्रा ने बताया कि इस संस्थान और इसके सदस्यों का एक ही मकसद है कि लोगों के बीच जाएं और इस बीमारी के बारे में उन्हें समझाएं। ताकि शुरुआत में ही इसकी पहचान हो पाए और लोगों की जिंदगी बच जाए। इस कार्यक्रम में हार्वर्ड और येल मेडिकल स्कूल के फैकल्टी समेत देश के नामचीन अस्पतालों के फैकल्टी भी शामिल हुए।

First published on: Mar 31, 2025 02:57 PM

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