नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के हैप्पीनेस पाठ्यक्रम को चार वर्ष पूरे होने पर त्यागराज स्टेडियम में आयोजित हैप्पीनेस उत्सव का आज समापन हो गया। इस दौरान राजयोग मेटिटेशन की शिक्षिका बीके शिवानी ने सबको खुश रहने का मंत्र दिया। समारोह के मुख्य अतिथि सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम स्कूलों में बच्चों को कट्टर देशभक्त बना रहे हैं, जो आने वाले समय में देश में नफरत नहीं, प्यार का पैगाम फैलाएंगे।
हम अपने स्कूलों में बच्चों को अच्छा इंसान, कट्टर देशभक्त और कम से कम अपना पेट पालने के योग्य बनना सिखा रहे हैं। स्कूलों में पढ़ रहे हमारे बच्चे देश का भविष्य हैं। कल देश का प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, डॉक्टर और इंजीनियर इन्हीं बच्चों में से निकलेंगे। हमारे स्कूलों से निकलने वाले बच्चे देश को एक अच्छा वातावरण दें, ताकि हमारा देश दुनिया का नंबर वन देश बन सके।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हैप्पीनेस क्लास बच्चों को वह खुशी दे रही है, जिसे दुनिया की सारी दौलत मिलकर भी नहीं खरीद सकती। आज बच्चों के उपर एकेडमिक, साथियों और परिवार का इतना दबाव होता है कि उस वजह से कई बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं। हैप्पीनेस और आंत्रप्रिन्योरशिप क्लास बच्चों के उपर से दबाव खत्म करने में मदद कर रहा है और उनको आत्मविश्वास दे रहा है। वहीं, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमने अपने स्कूलों के बच्चों को खुश रहने और अच्छा इंसान बनाने की जिम्मेदारी ली है और इसके लिए हैप्पीनेस करिकुलम को आधार बनाया है।
हम लोगों ने शिक्षकों को ट्रेनिंग दी और पिछले साल सरकारी स्कूलों के 12वीं के नतीजे 99.7 फीसद आए, जो देश में एक इतिहास है- अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम लोगों ने शिक्षा क्रांति की यात्रा में सबसे पहले इंफ्रास्ट्रक्चर को ठीक किया। बिल्डिंग्स टूटी हुई थीं। टॉयलेट्स नहीं थे। पीने का पानी नहीं था, सफाई नहीं थी। स्कूलों में सुरक्षा नहीं था। हमने बिल्डिंग्स अच्छी बनाई। सुरक्षा को ठीक किया। पीने के पानी और टॉयलेट्स का इंतजाम किया। जबसे हमारी सरकार बनी है, तब से दिल्ली सरकार के कुल बजट का करीब 25 फीसद बजट हम शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं। पिछले सात साल में अभी तक हम लोग दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था के उपर करीब 90 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं। यह 90 हजार करोड़ रुपए खर्चा नहीं है, बल्कि यह बहुत बड़ा निवेश है। माता-पिता अपने बच्चे को स्कूल में इसलिए भेजते हैं कि उनके बच्चे का नंबर अच्छे आने चाहिए।
नंबर अच्छे आएंगे तो कहीं अच्छी नौकरी मिल जाएगी। अगर हमने स्कूल अच्छा कर दिया और शिक्षकों का इंतजाम भी कर दिया, लेकिन बच्चों के नंबर अच्छे नहीं आएंगे, तो क्या फायदा हुआ। इसलिए हम लोगों ने शिक्षकों के उपर काम किया। शिक्षको को मोटिवेट किया, उनको ट्रेनिंग दी और नंबर भी अच्छे आने लगे। पिछले साल दिल्ली सरकार के स्कूलों के 12वीं के नतीजे 99.7 फीसद आए, जो देश के अंदर एक इतिहास है। जब बच्चों के नंबर अच्छे आने लगे और प्राइवेट स्कूलों से ज्यादा नंबर आने लगे, तो लोगों को लगा कि ठीक है।
हैप्पीनेस क्लास की मदद से हम स्कूलों से निकलने वाले हर बच्चे को अच्छा इंसान बना रहे हैं और इससे हजारों जिंदगियां बदल रही हैं- अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम लोगों ने समझने की कोशिश की कि हम स्कूलों के अंदर पढ़ा क्या रहे हैं? रट लो और परीक्षा में सारा उल्ला करके आ जाओ। इससे क्या फायदा है? हमें इस सिस्टम को बदलना है और यह रट्टा सिस्टम खत्म करना है। हमारे स्कूलों से जितने भी बच्चे निकल रहे हैं, उनको तीन चीजों के लिए तैयार करना है। पहला, अच्छा इंसान बनना है। आज हमारे स्कूलों से जो बच्चे निकलते हैं, वो इतनी टेंशन में जीते हैं। इसलिए पहली चीज कि बच्चों को अच्छा इंसान बनाना है। अपनी भी शांति रखनी है और दूसरों के लिए निःस्वार्स्थ भाव से काम करना है। दूसरा, कट्टर देशभक्त होना चाहिए। जो बच्चा स्कूल से निकले, उसे अपनी मातृभूमि के लिए तन-मन-धन सबकुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार होना चाहिए। तीसरा, शिक्षा पूरी करने के बाद बच्चा कम से कम अपना पेट पालने के लिए तो तैयार होना चाहिए।
ऐसा न हो कि बीए, एमए, एलएलबी, एलएलएम, डॉक्टरेट और बड़ी-बड़ी डिग्री कर ली और उसके बाद नौकरी ढूढ रहे हैं और नौकरी मिल नहीं रही है। घर में सब नाराज और दुखी हैं। इन तीनों बातों को ध्यान में रखते हुए हमने कई कोर्स डिजाइन किया और उसमें से एक कोर्स हैप्पीनेस करिकुलम था कि हम स्कूल से निकलने वाले हर बच्चे को अच्छा इंसान बनाएंगे। हैप्पीनेस कोर्स की वजह से हजारों जिंदगियां बदल रही हैं।
दिल्ली में प्रतिदिन एक ही वक्त में 18 लाख बच्चे हैप्पीनेस क्लास करते हैं, उन पर इसका कुछ तो अच्छा असर अवश्य पड़ेगा- अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हैप्पीनेस करिकुलम का मकसद यह है कि बच्चे खुश रहें और अच्छा इंसान बनें। बच्चे की खुशी बहुत महत्वपूर्ण है। अगर वो अंदर से खुश हैं, तभी अच्छा इंसान बनेंगे। इसका यह भी मकसद है कि भगवान ने पृथ्वी पर जिसको भी बनाया है, हर एक के अंदर कुछ न कुछ प्रतिभा दी है। कुछ लोग उसको पहचान लेते हैं और कुछ लोग नहीं पहचान पाते हैं। इस पृथ्वी पर आने वाले हर इंसान का कुछ न कुछ तो मकसद है।
मुझे लगता है कि जब बच्चे मेडिटेशन करते हैं और हैप्पीनेस क्लास मे जाते हैं, तो उनको अपनी प्रतिभा पहचानने में मदद मिलती है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने छठीं में पढ़ने वाले 11वर्षीय छात्र तुशांत का उदाहरण देते हुए कहा कि उसके माता-पिता दोनों कामकाजी हैं। उसके पिता कहीं शिक्षक हैं और मां भी कहीं काम करती हैं। घर में छोटी बहन है। वो स्कूल से जब घर जाता है, तो उसको अपनी बहन का ध्यान रखना पड़ता है। वो बहुत अपने में रहता था। बैकवेंचर था और पीछे बैठा करता था। उसके माता-पिता ने बताया कि घर में भी वो चुप-चुप रहता था और किसी चीज में भाग नहीं लेता था।
जब हम लोगों ने डांसिंग और सिंगिंग किया, तो अचानक उस बच्चे के अंदर कुछ हुआ और वो बच्चा उसके बाद से बहुत तेजी से विकास करने लगा। उसके अंदर एक गजब की लीडरशिप क्वालिटी निकल कर आई है और वो पूरी क्लास का लीडर बनता गया। सुबह-सुबह जब एक साथ सभी स्कूल खूलते हैं, तो एक ही वक्त में पहला पीरियड हैप्पीनेस का होता है। दिल्ली के अंदर 18 लाख बच्चे एक ही वक्त में प्रतिदिन हैप्पीनेस क्लास कर रहे होते हैं। उन पर कुछ तो अच्छा असर अवश्य पड़ेगा। यह हैप्पीनेस क्लास इन 18 लाख बच्चों की जिंदगी में कुछ न कुछ असर अवश्यक कर रही है। किसी को ज्यादा फायदा होता है, तो किसी को कम फायदा होता है।
आंत्रप्रिन्योरशिप क्लास के जरिए बच्चों में आत्मविश्वास आ रहा है कि नंबर अच्छे नहीं आए, तो कोई बात नहीं, अपना बिजनेस कर लेंगे- अरविंद केजरीवाल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज एक बच्चे के उपर इतना ज्यादा दबाव है। खासकर एकेडमिक दवाब ज्यादा है। आज प्रतियोगिता अधिक हो गई है। मा-बाप का दबाव है। वो फेल हो गया या नंबर कम आते हैं। इस दवाब में कई बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं। हमने आंत्रप्रिन्योरशिप क्लास शुरू की है। उसका भी एकेडमिक दबाव खत्म करने में बहुत अच्छा असर हो रहा है। पहले बच्चे बहुत टेंशन में होते थे कि नंबर अच्छे नहीं आए, तो नौकरी नहीं मिलेगी। अच्छे कोर्स में एडमिशन नहीं होगा, कहीं कालेज में एडमिशन नहीं मिलेगा। हमने कई बच्चों के वीडियो देखे हैं, जिसमें बच्चे कहते हैं कि नंबर कम आए, तो कोई बात नहीं, मैं अपना बिजनेस कर लूंगा। आंत्रप्रिन्योरशिप क्लास के जरिए बच्चों के अंदर आत्मविश्वास आ रहा है कि नंबर अच्छे नहीं आए, तो कोई बात नहीं, मैं अपना बिजनेस कर लूंगा।
आंत्रप्रिन्योरशिप क्लास बच्चों के अंदर आत्मविश्वास दे रहा है। बच्चों के उपर साथियों का दबाव बहुत होता है कि मेरे दोस्ते मेरे बारे में क्या सोच रहे हैं? कई बार वो दबाव इतना ज्यादा हो जाता है कि कई बच्चे उस वजह से आत्महत्या कर लेते हैं। तीसरा, परिवार का दवाब होता है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने 13 वर्षीय एक लड़की उपेक्षा का उदाहरण देते हुए कहा कि उपेक्षा 8वीं में पढ़ती है। उसके पिता प्लंबर का काम करते हैं। उसकी मां बहुत बीमार रहती है। वह पांच भाई-बहन हैं। घर का सारा काम करने की जिम्मेदारी उपेक्षा की है। फिर वो स्कूल आती है और फिर घर जाकर सारे काम करती है। उसको अपनी मां और भाई-बहनों का भी ध्यान रखना पड़ता है। इन स्कूलों के अंदर ऐसे पृष्ठभूमि के बच्चे आते हैं। उन पर परिवार की इतनी टेंशन होती है। इन सारी टेंशन को दूर करने में हैप्पीनेस क्लासेज मदद कर रही है।
2015 से हमने शिक्षा पर काम करना शुरू किया, आज हमारे स्कूल न सिर्फ शानदार हुए हैं, बल्कि रिजल्ट भी शानदार आ रहे हैं- मनीष सिसोदिया
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि साल 2015 से हमने शिक्षा पर काम करना शुरू किया और पिछले 7 सालों से लगातार हमारा शिक्षा का बजट कुल बजट का लगभग 25 फीसद रहा है। लेकिन बात केवल बजट की नहीं, काम करने की भी है। हमनें अपने स्कूलों की रंगत को बदलने का काम किया। मकड़ी के जाल लगे जर्जर स्कूलों की इमारतों को शानदार बनाया। न केवल हमारे स्कूल शानदार हुए, बल्कि रिजल्ट भी शानदार हुए और हमारे स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब परिवारों के बच्चे भी आईआईटी, नीट के लिए चयनित होने लगे। उन्होंने कहा कि ये सब बदलाव तीन सालों में ही दिखने लगे, लेकिन हमारे मुख्यमंत्री जी ने बेहद ऊंचे क्वालिटी स्टैंडर्डस स्थापित कर रखे है।
उनका मानना है कि स्कूल बेहतर हो गए, रिजल्ट शानदार हो गए, लेकिन जबतक हमारे स्कूलों से बच्चे अच्छे इंसान बनकर न निकलें तब तक हमारा राजनीति में आना सफल नहीं होगा। मुख्यमंत्री जी के आदेश पर हमने इस पर काम करना शुरु कर दिया औऱ देश-दुनिया में जहां भी मेन्टल-इमोशनल वेल-बींग पर काम हो रहा है, उस पर स्टडी करना शुरू कर दिया। अपनी स्टडी में हमने पाया कि भारत में सदियों पहले लोगों को बेहतर इंसान बनाने का जो रिसर्च हुआ है, वो पहले कहीं और नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हमारे पास लोगों को बेहतर इंसान बनाने का समाधान तो है लेकिन उसे हमें शिक्षा के माध्यम से बच्चों को नहीं सिखाया और हमेशा यही सोचा कि ये तो बच्चे अपने आप सीख जाएंगे।
हम हैप्पीनेस के जरिए बच्चों को कोई थ्योरी नहीं पढ़ाते हैं, बल्कि चर्चाओं, कहानियों, गतिविधियों के माध्यम से उनको खुश रहना सिखाते हैं- मनीष सिसोदिया
हमने स्कूलों में बच्चों को साइंस, मैथ, लैंग्वेज पढ़ाया, उन्हें वैज्ञानिक बनना सिखाया, अच्छे डॉक्टर- इंजीनियर बनना सिखाया, लेकिन खुश रहना, अच्छा इंसान बनना नहीं सिखाया। लेकिन हमने इसे शिक्षा पद्धति में स्वीकार्य बनाया और यह जिम्मेदारी ली कि अपने स्कूलों से निकलने वाले बच्चों को खुश रहना भी सिखाएंगे, उन्हें अच्छा इंसान बनाएंगे इसके लिए हमने हैप्पीनेस करिकुलम को आधार बनाया।
उन्होंने कहा कि हम हैप्पीनेस के माध्यम से बच्चों को कोई थ्योरी नहीं पढ़ा रहे है। यहां चर्चाओं, कहानियों, एक्टिविटीज के माध्यम से बच्चों को खुश रहना सिखाया जाता है और इसका एक सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माइंडफुलनेस है। उन्होंने कहा कि मुझे गर्व और खुशी है कि रोजाना दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले 18 लाख बच्चे माइंडफुलनेस के साथ अपने दिन की शुरुआत करते है। इससे न केवल बच्चों में बदलाव आया, बल्कि स्कूल के वातावरण में भी सकारात्मक बदलाव आया। इसे देखने और इससे सीखने के लिए देश-दुनिया से लोग आ रहे है। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमारा मकसद अच्छे प्रोफेशनल्स के साथ-साथ अच्छे इंसान भी बनाना है। दिल्ली में हमने यह जिम्मेदारी ली है, अब देश और दुनिया की शिक्षा व्यवस्था को इस जिम्मेदारी को लेने की जरूरत है। जिस दिन पूरे विश्व की शिक्षा व्यवस्था ने यह जिम्मेदारी लेगी, उस दिन से विश्व का हर व्यक्ति खुश रहना सीख जाएगा।
म्युजिकल अवतार में दिखे सीएम अरविंद केजरीवाल
समापन समारोह की शुरूआत ड्रम कैफे परफार्मेंस के साथ हुई। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी ड्रम कैफे टीम के साथ ड्रम बजाया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहली बार म्युजिकल अवतार में दिखे। इससे पहले कभी उन्हें इस अवतार में नहीं देखा गया था। वो पूरी तरह से तल्लीन होकर ड्रम म्युजिक में डूब गए थे। उनके साथ स्टेडियम में मौजूद प्रमुख लोगों ने भी ड्रम बजाया और ड्रम टीम का पूरा साथ दिया। ड्रम बजाते वक्त सभी के चेहरे पर खुशी झलक रही थी।
पंजाब सरकार के शिक्षक हैप्पीनेस उत्सव के बने विशेष मेहमान
त्यागराज स्टेडियम में आयोजित हैप्पीनेस उत्सव में कई गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें पंजाब सरकार के 170 शिक्षकों और अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। यह शिक्षक हैप्पीनेस उत्सव कार्यक्रम में मेहमान के तौर पर शामिल हुए थे। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि कल मेरा पंजाब से आए शिक्षकों से संवाद हुआ था। आज इस हैप्पीनेस उत्सव में हमारे विशेष मेहमान हैं। उनका तहे दिल से स्वागत करता हूं।
सिस्टर बीके शिवानी ने लोगों को दिया खुश रहने का मंत्र
राजयोग मेडिटेशन की शिक्षिका सिस्टर बीके शिवानी ने सभी को मेडिटेशन सिखाया और खुश रहने का मंत्र दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में पहली बार दिल्ली सरकार इस तरह का कोई कायक्रम कर रही है और बच्चों के मानसिक उत्थान के बारे में सोच रही है। हैप्पीनेस कार्यक्रम की वजह से बच्चे समस्याओं से जूझना और मानसिक रूप से खुद को मजबूत होना सिख रहे हैं।
यह पहली बार है कि कोई सरकार हैप्पीनेस कार्यक्रम चला रही है, हमें यह सकल्प लेना है कि इसको पूरे विश्व में लेकर जाना है। आखिर में उन्होंने सभी से संकल्प कराया, ‘‘मैं सदा खुश हूं। मैं सदा शांत हूं। शांति मेरा संस्कार है। मैं निडर हूं, निर्भय हूं। मैं सबको देने वाला हूं, देना मेरा संस्कार हैं। मेरा मन सदा स्वस्थ, शरीर सदा स्वस्थ, रिश्ते हमेशा मधुर, सफलता मेरे लिए निश्चित है। खुशी मेरा स्वभाव है। खुशी मेरा संस्कार है। खुशी मेरा संसार है।’’
शिक्षकों और बच्चों ने साझा किए अपने अनुभव
इस दौरान पिछले तीन-चार से हैप्पीनेस क्लास ले रहे बच्चों ने अपने अनुभवों को साझाा किया। 8वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा अनीता ने बताया कि मैंने हैप्पीनेस क्लास की मदद से अपने जीवन में बहुत बदलाव देखा है। जैसे कि मेरा पहले किसी काम में मन नहीं लगता था, लेकिन अब लगता है और सारे काम बहुत अच्छे से करती हूं। 8वीं छात्रा सोनी ने बताया कि मैं पहले जब पढ़ाई करती थी, तो तनाव रहता था, लेकिन अब वो चीज नहीं है। माइंडफुल बहुत अच्छी चीज है। हैप्पीनेस क्लास से हम अपने बड़ों का सम्मान करना सीखते हैं। मैं हमेशा हैप्पीनेस क्लास का इंतजार करती हूं।
8वीं का छात्र मनीष ने बताया कि पहले मुझे मोटिवेटर बनने का सपना था, लेकिन मैं चिड़चिड़ापन और गुस्सेदार बच्चा था। उससे मैं तनाव में भी रहता था कि क्या मैं मोटिवेशनर बन पाउंगा। जब हैप्पीनेस किया, तो मुझ पर प्रभाव पड़ा। मैंने कई नई चीजें सीखीं और काफी प्रभाव हुआ। छात्रा रैधेमा ने कहा कि हैप्पीनेस के तहत जो स्टोरी होती है, मुझे ऐसा लगता है कि वो स्टोरी में मैं कहीं न कहीं हूं। उससे मिलने वाली सीख को अपनी जिंदगी में उतारती हूं। अपनी जिंदगी को अच्छा बनाने के लिए बहुत सीख मिली। वहीं, शिक्षिका किरण ने बताया कि इसकी हर स्टोरी और गतिविधि बहुत रूचिकर है। पढ़ाते-पढ़ाते मैंने अपने अंदर भी बहुत बदलाव पाया। बच्चों को सिखाते-सिखाते हम भी बहुत कुछ सीख गए हैं।
हैप्पीनेस उत्सव-2022 का विजन
हैप्पीनेस करिकुलम-2018 में छात्रों को खुशहाल इंसान बनने के लिए सिखाने के विचार के साथ शुरू किया गया था। दिल्ली के 18 लाख छात्र हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की शिक्षा को 40 लाख दिल्लीवासियों तक ले जाते हैं। लॉकडाउन के बाद अब पूरी क्षमता से फिर से साथ स्कूलों में खुशी का माहौल वापस लाने के लिए हैप्पीनेस क्लास शुरू की गई है। हैप्पीनेस उत्सव की शुरूआत 14 जुलाई को गौर गोपाल दास और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की उपस्थिति में की गई थी। यह उत्सव स्कूलों में तीन सप्ताह तक मनाया जाता था, जहां प्रत्येक सप्ताह पाठ्यक्रम के एक प्रमुख घटक का पालन किया गया। पहले सप्ताह, माइंडफुलनेस, दूसरे सप्ताह कहानियां और तिसरे सप्ताह गतिविधियां आयोजित की गईं। इसके साथ, छात्रों ने अपनी शिक्षा को अपने परिवार, पड़ोसियों और पांच अन्य लोगों तक पहुंचाया।
सिस्टर बीके शिवानी के बारे में
राजयोग मेडिटेशन की शिक्षिका सिस्टर बीके शिवानी 1996 से राजयोग ध्यान की एक प्रैक्टिशनर और शिक्षिका रही हैं, जो ब्रह्मा कुमारियों के विश्व आध्यात्मिक संगठन की शिक्षाओं में से एक हैं। उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है। 2007 में पहली बार प्रसारित उनके शो अवेकनिंग विद ब्रह्मा कुमारिज ने जीवन के सभी क्षेत्रों से विविध और वैश्विक दर्शकों को मजबूत बनाया है। 2017 से उन्हें वर्ल्ड साइकियाट्रिक एसोसिएशन द्वारा सद्भावना राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया है।
मार्च 2019 में, बीके शिवानी को मानव व्यवहार को बदलने में उनकी भूमिका के लिए प्रतिष्ठित नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो भारत में महिलाओं के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। बीके शिवानी कई पुस्तकें लिख चुकी हैं और नियमित रूप से सोशल मीडिया पर 6 मिलियन से अधिक अनुयायियों के साथ बातचीत करती हैं।
प्रबोधक सोमदेव त्यागी के बारे में
सोमदेव त्यागी 2000 से जीवन विद्या के प्रबोधक (शिक्षक) रहे हैं। जीवन विद्या मध्यस्थ दर्शन पर आधारित सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व का दर्शन है, जो ए. नागराज द्वारा प्रतिपादित मानव केंद्रित दर्शन है। वह मानव शिक्षा प्रणाली के माध्यम से जीवन के हर पहलू में शाश्वत सुख और समृद्धि की परंपरा को स्थापित करने के लिए समर्पित मध्यस्थ दर्शन पर आधारित अभ्युदय संस्थान के संस्थापक सदस्य भी हैं।
उन्होंने पूरे भारत में समाज के विभिन्न वर्गों के साथ सात दिवसीय 200 से अधिक कार्यशालाओं का आयोजन किया है। वह पिछले 6 वर्षों से एससीईआरटी दिल्ली के साथ जुड़े हैं और उन्होंने शिक्षा मंत्री, कुलपतियों, वरिष्ठ अधिकारियों, प्रधानाचार्यों और दिल्ली सरकार के शिक्षकों सहित टीम शिक्षा के लिए जीवन विद्या शिविर का आयोजन किया है।