रायपुर: छत्तीसगढ़ के 17 साल पुराने बहुचर्चित इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले ने एकबार फिर से तूल पकड़ लिया है। रायपुर के न्यायाकि मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने बुधवार को पुलिस को नए सबूत के आधार पर दोबारा जांच की अनुमति दी है। नार्को टेस्ट के दौरान इंदिरा बैंक के तत्कालीन मैनेजर उमेश सिन्हा ने बताया था कि उसने पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल व रामविचार नेताम सहित कई भाजपा नेताओं को करोड़ो रुपए दिए थे। बैंक संचालकों सहित कई अन्य लोगों को भी पैसे दिए गए।
करोड़ो रुपए का हुआ घोटाला
इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में साल 2006 में करोड़ो रुपए के घोटाले की बात सामने आई। इसमें बैंक कर्मचारियों सहित कई प्रभावशाली लोगों के नाम भी उजागर हुए। यह एक महिला नागरिक सहकारी बैंक था। इस बैंक में आम लोगों की गाढ़ी कमाई जमा थी। इंदिरा बैंक में 22 हजार खातेदार थे। घोटाला उजागर होने के बाद बैंक ने खुद को डिफॉल्टर घोषित कर दिया था। बाद में इंश्योरेंस कंपनियों की मदद से खातेदारों को राशि लौटाई गई थी। लेकिन अभी भी कुछ उपभोक्ताओं के करोड़ो रुपए चुकाने बाकी हैं।
भ्रष्टाचार उजागर हो- सीएम बघेल
वैसे ये मुद्दा पिछले कई वर्षों से रह रह कर उठता रहा है। इसबार राज्य सरकार ने घोटाले की नए सिरे से जांच की अनुमति के लिए हाईकोर्ट में अपील की थी। जिस अपील पर हाईकोर्ट ने दोबारा जांच के आदेश दे दिए हैं। इस पर सीएम बघेल ने ट्वीट करके कहा है कि भाजपा के कई लोग इस घोटाले में शामिल हैं। बैंक संचालकों सहित अन्य लोगों को भी पैसे दिए गए। साथ ही सीएम ने ये भी लिखा है कि भ्रष्टाचार उजागर होना चाहिए। दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए।