Chhattisgarh News: इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद छत्तीसगढ़ के युवा किसान बने अमर चंद्राकर, भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां लाखों की संख्या में आज भी किसान खेती करते है और लाखों कि आय कमाते है। अब खेती के लिए युवा भी बढ़- चढ़ कर आगे आ रहे है और अपना करियर बना रहे है। किसी ने सच ही कहा है कि खेती का माध्यम शिक्षा से होकर जाता है, इसका उदाहरण छत्तीसगढ़ के युवा किसान अमर चंद्राकर बड़े ही आधुनिक पैमाने पर दे रहे है। जहां अमर चंद्राकर ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वह घर लौटें तो उन्होंने खेती करने का फैसला लिया। जिसके बाद अपने आधुनिक अध्ययन और तकनीकी के मदद से अमर चंद्राकर कृषि को आगे ले जा रहे है।
कृषि को आगे बढ़ाने के लिए उद्यान विभाग के अधिकारियों से लिया मार्गदर्शन
छत्तीसगढ़ के निवासी अमर चंद्राकर ने कुछ अलग तरीके से कृषि को आगे बढ़ाने के लिए उद्यान विभाग के अधिकारियों से मार्गदर्शन लिया है और अपने गांव मालीडीह में खेत में एक पॉलीहाउस बना दिया। जहां अमर चंद्राकर गुलाबों की खेती करते है। उनके इस पॉलीहाउस में उन्हें सरकार की बागवानी योजना के तहत अनुदान और तकनीक का सहयोग भी मिला है। जहां उन्होंने उद्यान विभाग से फूलों की खेती का प्रशिक्षण लेकर गुलाब की खेती को आगे बढ़ाते हुए इसे झरबेरा और सेवंती के फूलों की खेती तक पहुंचा दिया है।
गुलाब के साथ-साथ झरबेरा और सेवंती के फूलो की भी शुरू की खेती
अमर चंद्राकर ने अपनी सफलता कि कहानी बताते हुए कहा की कुछ साल पहले उनके पिता अरुण चंद्राकर ने परम्परागत तरीके से चल रही खेती के बीच ही गुलाब की खेती का छोटा सा प्रयोग किया था। जिसके बाद उनके पिता ने 400×400 वर्ग मीटर क्षेत्र में गुलाब के पौधे भी लगाए थे। जिससे प्ररित होकर अमर चंद्राकर ने गुलाब कि खेती करने का फैसला लिया। वहीं अब अमर चंद्राकर कि सफलता को देखकर हर कोई कृषि करने के लिए प्रेरित हो रहा है। उद्यान विभाग से फूलों की खेती का प्रशिक्षण लेकर उन्होंने अब गुलाब की खेती का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए इसे झरबेरा और सेवंती के फूलों की खेती तक पहुंचा दिया है.
गुलाब की खेती से कमा रहे लाखों का
चंद्राकर ने बताया कि फूलों की खेती से नियमित आय होती है। अब उन्होंने एक-एक एकड़ के दो खेतों में झरबेरा के फूल की खेती 2020-21 में प्रारम्भ की थी। इससे उन्हें प्रति माह लगभग 1 लाख रुपये की शुद्ध बचत हो जाती है। इस काम में उन्होंने 35 श्रमिकों को नियमित रोजगार भी दिया है। अब वह फूलों की खेती का 6 एकड़ करने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके खेत में उपजे फूल कम से कम 2.5 रुपये से लेकर 17 रुपये प्रति नग की दर से रायपुर, मुंबई, नागपुर, कोलकाता और बेंगलुरु आदि महानगरों में सप्लाई होते हैं.