High Court Cancels Reservation In Promotion: प्रमोशन में आरक्षण केस में बड़ा अपडेट आया है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा फैसला सुनाते हुए 2019 के राज्य सरकार के आदेश को पूरी तरह से निरस्त कर दिया गया है। इससे पहले अदालत द्वारा इस पर रोक लगा दी गई थी। जानें क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि पूरे मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और एनके चंद्रवंशी की डबल बेंच ने की। बेंच ने फैसला सुनाते हुए याचिका निराकृत कर दी है। याचिकाकर्ता संतोष कुमार के वकील योगेश्वर शर्मा ने जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ हाईकोट द्वारा अपने फैसले में कहा गया कि पूर्ववर्ती सरकार ने आदेश को लागू करने में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्देशों का पालन नहीं किया था। इसमें कहा गया कि प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए हर डिपार्टमेंट से जातिगत डाटा इकठ्ठा कर सिर्फ जिन्हें जरूरत है उन्हीं SC/ST कर्मचारियों को इसका लाभ मिलना चाहिए। जबकि, डाटा कलेक्ट करने का काम पूर्ववर्ती सरकार ने नहीं किया था।
शासकीय सेवकों के लिए पदोन्नति में आरक्षण देने के प्रावधान को हाईकोर्ट ने किया निरस्त, कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार संवैधानिक संशोधन के बिना इसे लागू नहीं किया जा सकता। #chhattisgarh #chhattisgarhnews #bilaspur #highcourt pic.twitter.com/XvpC4xuoZD
— Mantoraa (@Mantoraa_) April 17, 2024
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इस केस पर कुछ दिनों पहले कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा आरक्षण पर लगी रोक के आदेश में संशोधन या फिर उसे रद्द करने की मांग खारिज की थी।
पूरा मामला क्या है?
दरअसल, राज्य सरकार द्वारा 22 अक्टूबर, 2019 को प्रदेश में प्रमोशन पर आरक्षण के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसके अंतर्गत पहली से चौथी श्रेणी वाले कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने की बात कही गई थी। इसमें अनुसूचित जाति को 13 परसेंट जबकि अनुसूचित जन जाति के लिए 32 परसेंट आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
नोटिफिकेशन में यह साफ किया गया था कि यह आरक्षण पहली केटेगरी के पदों से प्रथम श्रेणी के हायर पे स्केल के पदों पर प्रमोट होने, सेकंड केटेगरी के पदों से पहली केटेगरी के पदों पर प्रमोशन और तीसरी केटेगरी के पदों पर प्रमोशन होने पर दिया जाएगा।
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