Chhattisgarh Assembly Election: छत्तीसगढ़ में आगामी सात नवंबर को होने वाले पहले चरण के चुनाव के पहले भाजपा-कांग्रेस के बीच नक्सलवाद बनाम विकास के मुद्दे पर चुनावी मुकाबला शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़ में पहले चरण में बस्तर की 12 और दुर्ग संभाग की 8 सीटों समेत कुल 20 सीटों पर मतदान होगा। इस विधानसभा चुनाव को बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर नक्सलवाद पर लगाम नहीं लगा पाने का आरोप लगाया है। राज्य के कई इलाकों में नक्सल प्रभाव के कारण विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने भाजपा के 24 नेताओं को एक्स श्रेणी की सुरक्षा दी है। बता दें कि पिछले दो वर्षों में 10 से अधिक भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की नक्सलियों ने हत्या कर दी है। इसके बाद से सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है।
पीएम मोदी भूपेश सरकार पर साध चुके हैं निशाना
छ्त्तीसगढ़ में नक्सलवाद की घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बस्तर में अपनी सभाओं के दौरान भूपेश सरकार को घेर चुके हैं। शाह ने अपनी रैली में कहा था कि मोदी सरकार नक्सलवाद और आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टालरेंस की नीति अपना रही है। जबकि देश में नक्सलवाद सिर्फ छत्तीसगढ़ के तीन जिलों तक सिमट कर रह गया है।
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रक्षा मंत्री ने लगाया आरोप
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी सभाओं में कहा कि केंद्र सरकार ने बस्तर समेत पूर छत्तीसगढ़ में विकास पहुंचाया, वहां बिजली- पानी पहुंचाया। नक्सलग्रस्त इलाकों में लगातार सुरक्षाबलों के कैंप खोले। एनआइए और ईडी को भी नक्सलियों के खिलाफ अभियान में जोड़ा। बस्तर बटालियन बनाई गई। अगर भूपेश बघेल सरकार केंद्र सरकार का सहयोग करती तो अब तक राज्य से आतंकवाद खत्म हो चुका होता।
कांग्रेस ने बीजेपी को दिया जवाब
छत्तीसगढ़ के बस्तर में विकास के दावों को आधार बनाते हुए कांग्रेस ने बीजेपी पपर हमला बोला है। भूपेश सरकार नक्सल प्रभाव के कारण बंद किए गए बस्तर में 363 स्कूलों को खुलवाने, उद्योग और कारोबार में वृद्धि, आपसी विश्वास और सुरक्षा की कार्ययोजनाओं से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बदलाव का दावा कर रही है। बस्तर की सभी 12 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं, जबकि बस्तर लोकसभा सीट कांग्रेस सांसद हैं।
छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभाव के मामलों पर नजर
छत्तीसगढ़ में 2018 में 994 ग्राम पंचायत के 2710 गांव नक्सलियों के प्रभाव में थे। इनमें से आज 589 गांव नक्सल प्रभाव से आजाद हो चुके हैं। एंटी नक्सल ऑपरेशन के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में जहां 151 पुलिस-नक्सली मुठभेड़ हुई थी, वह 2022 में घटकर 46 हो गई हैं। कांग्रेस की सरकार आने के बाद नक्सली घटनाओं में 80 प्रतिशत कमी आई है। भाजपा सरकार में नक्सली पूरे प्रदेश में सक्रिय थे। इनके कार्यकाल में झीरम घाटी जैसी वारदात में कांग्रेस के नेता मारे गए थे।
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