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लो अब हम पति-पत्नी हो गए…नाबालिग के साथ युवक की शर्मनाक करतूत, कोर्ट ने सुनाई कठोर सजा

Chhattisgarh Crime: छत्तीसगढ़ में ढाई साल पहले एक किशोरी को डरा-धमकाकर उसके साथ लगातार एक महीने तक दुष्कर्म करने के आरोपित को कोर्ट ने 20 वर्ष के सश्रम कारावास और दो हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। बता दें कि आरोपी ने पीड़िता की मांग में जबरन सिंदूर भरकर मगंलसूत्र पहनाया था तथा इस […]

Edited By : Shailendra Pandey | Updated: Oct 13, 2023 13:20
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Chhattisgarh Crime: छत्तीसगढ़ में ढाई साल पहले एक किशोरी को डरा-धमकाकर उसके साथ लगातार एक महीने तक दुष्कर्म करने के आरोपित को कोर्ट ने 20 वर्ष के सश्रम कारावास और दो हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। बता दें कि आरोपी ने पीड़िता की मांग में जबरन सिंदूर भरकर मगंलसूत्र पहनाया था तथा इस दौरान उसने युवती के साथ मारपीट कर दुष्कर्म भी किया था।

जान से मारने की दी धमकी 

न्यायालय से मिली जानकारी के अनुसार 29 मई, 2021 को दुष्कर्म पीड़िता किशोरी ने मंदिर हसौद पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई कि 2 फरवरी, 2021 की रात में आरोपी ने उसे मोबाइल पर कॉल करके मिलने के लिए अपने घर की छत पर बुलाया। जब पीड़िता ने आने से इन्कार किया तो आरोपित ने उसके परिजनों को जान से मारने की धमकी दी, तब वह डरकर उससे मिलने गई। इस दौरान आरोपी ने जबरन उसकी मांग में सिंदूर भरकर मंगलसूत्र पहनाते हुए कहा कि अब हम पति-पत्नी हो गए। इस दौरान आरोपी ने उसके साथ मारपीट कर दुष्कर्म किया। आरोपित की धमकियों से डरकर पीड़िता ने परिजनों को घटना की जानकारी नहीं दी।

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युवती ने परेशान होकर परिजनों को पूरी घटना बताई

इसके बाद आरोपी हर 2-3 दिन बाद उसे अपने घर पर बुलाकर 2 अप्रैल, 2021 तक दुष्कर्म करता रहा। आखिरकार पीड़िता ने आरोपी के अत्याचार से परेशान होकर परिजनों को पूरी घटना बताई। इसके बाद परिजनों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने घटना में धारा 363, 366, 376 पाक्सो एक्ट का केस दर्ज कर आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

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अर्थदंड न देने पर 6 महीने ज्यादा भुगतनी होगी सजा

मामले की जांच के बाद 14 जून को प्रथम फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (पाक्सो) के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लवकेश प्रताप सिंह बघेल के समक्ष आरोप पत्र पेश किया गया। न्यायाधीश ने आरोपित के खिलाफ पेश किए गए सबूत और गवाहों के बयान के आधार पर दोषी पाते हुए धारा 5 (ठ) 6 लैगिंग अपराधों से बालकों को संरक्षण अधिनियम 2012 में 20 वर्ष सश्रम कारावास और दो हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। न्यायाधीश ने कहा कि अर्थदंड की राशि नहीं देने पर आरोपित को छह महीने अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

 

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Shailendra Pandey

First published on: Oct 13, 2023 01:20 PM

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