What is the Global Tender Row: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राज्य में सियासी घमासान मचा हुआ है। आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर बवाल मचा रहता है। एक ऐसा ही एक विवाद ग्लोबल टेंडर को लेकर हुआ। इस विवाद पर बिहार ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बिहार में ग्रामीण सड़कों के निर्माण को लेकर उठे ग्लोबल टेंडर विवाद पर कहा कि ग्रामीण कार्य विभाग ने कभी भी ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया नहीं अपनाई है, और यह दावा भ्रामक और तथ्यहीन है।
क्या है ग्लोबल टेंडर विवाद?
यह बयान उस समय आया जब उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा समेत कुछ सत्ताधारी विधायकों ने विभाग पर ग्लोबल टेंडर आमंत्रित करके छोटे और स्थानीय ठेकेदारों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। इस पर सफाई देते हुए अशोक चौधरी ने कहा कि हम केवल नेशनल बिडिंग के तहत काम कराते हैं और ज्यादातर कार्य बिहार के ही संवेदकों को दिए जाते हैं।
पारदर्शिता और गुणवत्ता का दावा
मंत्री चौधरी ने यह भी बताया कि विभाग द्वारा बनाई गई सड़कों का 7 साल तक मेंटेनेंस अनिवार्य है। इसके तहत 5 सालों में सड़कों का ब्लैकटॉपिंग सुनिश्चित किया जाता है। साथ ही सभी संवेदकों को ‘रैपिड रिस्पॉन्स व्हीकल’ रखना होता है, ताकि सड़क क्षति की स्थिति में तत्काल मरम्मत कराई जा सके।
पैकेज नीति से तेजी और बचत
2025-26 के लिए अब तक 4079 पथों (6484 किमी) की स्वीकृति दी जा चुकी है, और 1038 पैकेजों का कार्य आवंटन भी पूरा हो चुका है। चौधरी के मुताबिक, पैकेज आधारित प्रखंडवार नीति से कार्य गति बढ़ी है और अब तक 816.68 करोड़ रुपये की बचत भी हुई है।
निविदा प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल
मंत्री ने बताया कि विभाग ने सीएमबीडी (कंबाइंड मॉडल बिडिंग डॉक्यूमेंट) के तहत निविदा प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल कर दिया है। अब निविदाकारों को केवल शपथ पत्र अपलोड करना होता है, जिससे हार्डकॉपी जमा करने की जरूरत नहीं रह गई है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और दक्षता की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
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‘ग्लोबल टेंडर का सवाल ही नहीं…’
अंत में मंत्री अशोक चौधरी ने जोर देते हुए कहा कि राज्य में चल रहे लगभग सभी प्रमुख कार्य बिहार के ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे हैं। केवल दो संवेदक झारखंड से और दो उत्तर प्रदेश से हैं। वहीं, बाकी सभी स्थानीय हैं। इसलिए ग्लोबल टेंडर का कोई सवाल ही नहीं उठता। बिहार में विकास कार्यों और सरकारी टेंडर प्रक्रिया को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन मंत्री चौधरी का यह विस्तृत और दस्तावेजों पर आधारित बयान विपक्ष और सत्ताधारी दल के अंदर ही उठे आरोपों का सीधा और ठोस जवाब माना जा रहा है।










